प्राइमरी स्कूल बंद करने के मामले में बैकफुट पर योगी सरकार, न स्कूल बंद होंगे, न पद घटेंगे
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राज्य सरकार ने साफ किया है कि कोई भी स्कूल स्थायी रूप से मर्ज नहीं किया गया है

प्राइमरी स्कूल बंद करने के मामले में बैकफुट पर योगी सरकार, न स्कूल बंद होंगे, न पद घटेंगे

यूपी सरकार ने कहा है कि कोई भी स्कूल स्थायी रूप से मर्ज नहीं किया गया है। अगर छात्रों की संख्या बढ़ती है या बैठने की जगह कम पड़ती है, तो पुरानी इमारतों में कक्षाएं फिर से चलाई जाएंगी


उत्तर प्रदेश में कम नामांकन वाले सरकारी प्राइमरी स्कूलों के मर्जर को लेकर बढ़ते विरोध के बीच, राज्य सरकार ने साफ किया है कि कोई भी स्कूल स्थायी रूप से मर्ज नहीं किया गया है, और ऐसे किसी स्कूल को मर्ज नहीं किया जाएगा जिसकी दूरी छात्रों के घर से एक किलोमीटर से अधिक हो। सरकार ने यह भी कहा कि यदि किसी स्कूल में छात्र संख्या बढ़ती है या बैठने की व्यवस्था अपर्याप्त होती है, तो वहीं पुरानी इमारत में फिर से कक्षाएं शुरू की जाएंगी।

लखनऊ स्थित लोक भवन में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया, "लगभग 10,000 स्कूलों की पहचान पेयरिंग के लिए की गई है और आवश्यकता अनुसार जो स्कूल अनपेयर करने हैं, वह प्रक्रिया आगामी एक सप्ताह के भीतर पूरी कर ली जाएगी। 50 से कम छात्रों वाले स्कूल पेयरिंग के दायरे में हैं। लेकिन कोई भी स्कूल स्थायी रूप से मर्ज नहीं किया गया है। अगर छात्रों की संख्या बढ़ती है या बैठने की जगह कम पड़ती है, तो पुरानी इमारतों में कक्षाएं फिर से चलाई जाएंगी और यूडीआईएसई कोड (UDISE code) भी यथावत रहेगा।"

मंत्री ने आगे कहा, "बेसिक शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी 1,32,886 स्कूल पूरी तरह चालू रहेंगे। यदि मर्ज किए गए किसी स्कूल की दूरी छात्रों के लिए एक किलोमीटर से अधिक है और उन्हें कोई असुविधा हो रही है, तो ऐसे स्कूल फिर से अनपेयर कर दिए जाएंगे।"

नौकरी जाने की आशंका पर स्पष्टीकरण देते हुए, संदीप सिंह ने कहा, "सभी स्वीकृत पद यथावत रहेंगे, जिनमें प्रधानाध्यापक का पद भी शामिल है। शिक्षकों और रसोइयों की भूमिकाएं प्रभावित नहीं होंगी। कोई भी पद समाप्त नहीं किया जा रहा है। बल्कि इस योजना के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि जिन स्कूलों में 50 तक छात्र नामांकित हैं, वहां तीन शिक्षक अनिवार्य रूप से नियुक्त किए जाएं। यदि आवश्यकता पड़ी, तो हम नए शिक्षक नियुक्त करेंगे ताकि छात्र-शिक्षक अनुपात संतुलित रहे।"

संदीप सिंह ने इस पेयरिंग योजना को बच्चों के लिए बेहतर शैक्षिक वातावरण और संसाधनों की उपलब्धता की दिशा में एक ठोस कदम बताया।

"बहुत कम नामांकन वाले स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को कक्षा संवाद, समूह में सीखना, खेल-कूद, परियोजना आधारित कार्य जैसे जरूरी अनुभव नहीं मिल पाते। ऐसे बच्चों को समुचित नामांकन वाले स्कूलों में शामिल कर एक पूर्ण शैक्षिक वातावरण दिया जा सकता है।"

विपक्ष का हमला

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दावा किया कि सरकार को विपक्ष के दबाव और जन विरोध के चलते यह फैसला वापस लेना पड़ा।

उन्होंने एक्स (X) पर लिखा, "स्कूल मर्जर का फैसला वापस लेना ‘पीडीए पाठशाला’ आंदोलन की बड़ी जीत है। शिक्षा का अधिकार अविभाज्य है और रहेगा। यह एंटी-एजुकेशन बीजेपी की नैतिक हार है।"

उत्तर प्रदेश सरकार ने ऐसे स्कूलों को मर्ज करने की योजना शुरू की थी, जिनमें छात्रों की संख्या 50 से कम है। योजना के तहत इन स्कूलों के छात्रों को नजदीकी स्कूलों में स्थानांतरित किया जा रहा था ताकि शिक्षा व्यवस्था को अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाया जा सके। हालांकि इस फैसले को कई शिक्षकों और विपक्षी दलों ने गरीब विरोधी करार देते हुए विरोध किया।

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