North Bengal: SIR प्रक्रिया ने राजबोंगशी वोटरों में पैदा किया तनाव, मुश्किलों में BJP
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आवा सरकार और उनके पति निखिल चंद्र सरकार (96) SIR सुनवाई के लिए ब्लॉक ऑफिस तक बहुत लंबा सफर तय करके आए।

North Bengal: SIR प्रक्रिया ने राजबोंगशी वोटरों में पैदा किया तनाव, मुश्किलों में BJP

उत्तर बंगाल में बार-बार होने वाली बाढ़ और नदी कटाव ने घर और दस्तावेज़ों को नष्ट कर दिया है। कई गरीब राजबोंगशी परिवारों के लिए खोए हुए दस्तावेज़ों को बदलना आसान नहीं है।

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उत्तर बंगाल के बाढ़ वाले मैदानों और सीमावर्ती गांवों में चुनावी मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (Special Intensive Revision – SIR) का नया चरण बीजेपी के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है। पार्टी पहले ही मतुआ समुदाय में इस अभ्यास को लेकर असंतोष का सामना कर रही है, वहीं अब राजबोंगशी समुदाय के कई परिवार भी SIR प्रक्रिया से जुड़े तनाव में हैं।

ब्यूरोक्रेटिक झंझटों ने बढ़ाई परेशानी

कूच बिहार, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार और उत्तर दिनाजपुर के कई राजबोंगशी परिवारों को SIR से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अपने मतदान के हक को साबित करने के लिए दस्तावेज़ जमा करने और सत्यापन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

सुनवाई नोटिस के बाद तनाव

नताबरी विधानसभा क्षेत्र की वरिष्ठ मतदाता नीला बर्मन ने कहा कि सुनवाई नोटिस मिलने के बाद से मैं अत्यधिक तनाव में हूं। मुझे नहीं लगा था कि दस्तावेज़ जुटाना और सुरक्षित रखना इतना महत्वपूर्ण होगा। अब मैं जरूरी पहचान पत्र लेने के लिए हर जगह दौड़ रही हूं।

बुजुर्ग मतदाताओं की लंबी कतारें

SIR सुनवाई केंद्रों पर बुजुर्ग मतदाता भी घंटों कतार में खड़े रहते दिखे। कई बार उन्हें बैठने की जगह या छाया भी नहीं मिलती और अंत में कहा जाता है कि उनके दस्तावेज़ अधूरे या अपर्याप्त हैं।

96 साल के पति के साथ लंबी यात्रा

आवा सरकार ने बताया कि मैं अपने 96 वर्षीय पति, निखिल चंद्र सरकार को सुनवाई के लिए लेकर आई हूं। उन्हें सुनवाई नोटिस मिला क्योंकि उनका नाम अनमैप्ड था। उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद, मैंने उन्हें घर से करीब 8 किलोमीटर दूर डिनहटा ब्लॉक I BDO कार्यालय तक लाया।

SIR प्रक्रिया का दायरा

2026 विधानसभा चुनाव से पहले पूरे राज्य में SIR का नया चरण चल रहा है। इसमें सिर्फ “अनमैप्ड” मतदाता ही नहीं, बल्कि कई अन्य समूहों को भी सुनवाई में भाग लेना आवश्यक है। लगभग 30 लाख मतदाता अनमैप्ड श्रेणी में हैं, जिनके विवरण 2002 के मतदाता सूची से मेल नहीं खाते। साथ ही लगभग 1.36 करोड़ प्रविष्टियां “तार्किक विसंगति” के कारण चिह्नित की गई हैं, जैसे उम्र या परिवार के विवरण में अंतर। इन्हें भी अपने रिकॉर्ड स्पष्ट या सुधारने के लिए बुलाया गया है।

दस्तावेज़ों की कमी और बाढ़ की चुनौती

उत्तर बंगाल में बार-बार होने वाली बाढ़ और नदी कटाव ने घर और दस्तावेज़ों को नष्ट कर दिया है। कई गरीब राजबोंगशी परिवारों के लिए खोए हुए दस्तावेज़ों को बदलना आसान नहीं है। BJP के राज्यसभा सांसद और राजबोंगशी नेता अनंत महाराज ने कहा कि कई मतदाता जरूरी दस्तावेज़ न होने के कारण संघर्ष कर रहे हैं, जिसका मतलब है कि अंतिम SIR सूची में कई नाम छूट सकते हैं।

माइग्रेशन से बढ़ी चिंता

असम-बंगाल सीमा के पार राजबोंगशी परिवारों के सामाजिक और वैवाहिक संबंध लंबे समय से हैं। शादी या मौसमी काम के कारण कई परिवारों के पुरुष सदस्य सुनवाई में भाग नहीं ले पा रहे हैं, जिससे उनके नाम हटने का डर बढ़ गया है।

अनंत महाराज के बयान से राजनीतिक हलचल

कूच बिहार में हाल ही में दिए गए भाषण में अनंत महाराज ने पूछा कि लंबे समय से रहने वाले लोगों को बार-बार अपनी पहचान क्यों साबित करनी पड़ रही है। उनके बयान, जिसमें विवादास्पद संदर्भ जैसे “डिटेंशन कैंप” भी शामिल थे, ने राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया। बीजेपी की राज्य नेतृत्व ने उनसे दूरी बनाई, हालांकि मतदाताओं की चिंताओं को हल करने की जरूरत स्वीकार की।

राजबोंगशी समुदाय में SIR को लेकर चिंता और महाराज के बयानों ने बीजेपी के लिए राजनीतिक चुनौती खड़ी कर दी है। इस समुदाय का समर्थन, मतुआ समुदाय के साथ मिलकर, BJP के लिए TMC को चुनौती देने में अहम माना जाता है। अनंत महाराज का असंतोष सामने आने के बाद पार्टी के लिए यह चुनौती बन गई है कि कैसे राष्ट्रीय स्तर पर SIR का समर्थन करते हुए स्थानीय स्तर पर दो महत्वपूर्ण समुदायों राजबोंगशी और मतुआ के साथ संतुलन बनाए रखा जाए।

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