
दलित नेता के. आर्मस्ट्रॉन्ग की हत्या को एक साल, जांच अब भी अधूरी
एक वर्ष बाद भी के आर्मस्ट्रॉन्ग हत्या की गुत्थी गूढ़ बनी हुई है. गिरफ्तारियों और चार्जशीट के बावजूद प्रमुख आरोपी फरार है और राजनीतिक दबाव का संदेह ने पूरी प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया है।
बहुजन समाज पार्टी (BSP) के तमिलनाडु अध्यक्ष के आर्मस्ट्रॉन्ग की निर्मम हत्या को एक पूरा साल हो गया, लेकिन जांच विवादों के दलदल में फंसी हुई है। सिविल सोसाइटी के कार्यकर्ता, राजनीतिक नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। 28 आरोपी गिरफ्तार करने और 5,200 पन्नों की चार्जशीट दाखिल करने के बावजूद मुख्य दोषियों की गिरफ्तारी अभी बाकी है और हत्या की साजिश पर उठते विवाद जांच पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
आर्मस्ट्रॉन्ग (52) की 5 जुलाई 2024 की रात में चेन्नई के पेरम्बूर स्थित उनके बन रहे घर के पास हमला किया था। पुलिस के संयुक्त आयुक्त विजयकुमार की अगुवाई में विशेष टीमों ने तुरंत कार्रवाई की। जांच में नगेंद्रन और उसके पुत्र अश्वत्थमन जैसे कथित मास्टरमाइंड भी पकड़े गए। हथियार बरामद करने के 90 दिनों में ही 30 आरोपियों के नामों को शामिल करते हुए चार्जशीट फाइल की गई।
मुख्य संदिग्ध ‘सैंबो’ सेंथिल (A2) अभी भी फरार हैं। उन्होंने कर्नाटक, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश तक भागने की कोशिश की और इनके खिलाफ इंटरपोल ने नोटिस जारी किया, पर गिरफ्तारी नहीं हो सकी, जिससे समाज में गहरी नाराज़गी दिख रही है। सोशल मीडिया पर पुलिस की कार्यक्षमता पर तीखे सवाल उठ रहे हैं।
परिवार का दर्द
आर्मस्ट्रॉन्ग की विधवा पोरकोडी का कहना है कि दुख अब तक कम नहीं हुआ। मेरी बेटी पिता को भूल नहीं पा रही, हर दिन उम्मीद करती है कि वह लौट आएंगे। हम अभी तक उस दर्द से उबर नहीं पाए।
अधिवक्ताओं की आलोचना
वरिष्ठ अधिवक्ता इलंगोवन ने कहा कि हत्या की जांच कुछ “सोशल मीडिया कहानियों” जैसा लग रहा है, बजाय पूरी समर्पित कानूनी प्रक्रिया के। उन्होंने पूछा कि SC/ST एक्ट क्यों लागू नहीं किया गया, जबकि आर्मस्ट्रॉन्ग दलित थे। उन्होंने यह भी कहा कि चार्जशीट इतनी लंबी (5,200 पन्ने) और आरोपियों की संख्या इतनी व्यापक है कि केस “रेडिकल सेंसशनलिज़्म” तक पहुंचता दिख रहा है। उनका यह भी दावा है कि पहले ‘सिंगिंग राजा’ नामक संदिग्ध पर शक जताया गया, लेकिन बाद में उसे रेखांकित नहीं किया गया — जांच में निरंतरता का अभाव स्पष्ट है।
संदिग्ध एनकाउंटर ने बढ़ाए सवाल
14 जुलाई 2024 को संदिग्ध थिरुवेंगडम की कथित “एनकाउंटर हत्या” ने भी खासी बहस छेड़ दी। इलंगोवन की टिप्पणी है, “ऐसा क्यों हुआ? क्यों इसकी स्वतंत्र जांच नहीं हुई?” यदि ऐसे शरारती तत्व अभी भी चेन्नई से संपर्क में हैं तो उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हो पाई?
राजनीतिक हस्तक्षेप के संदेह
इलंगोवन ने कहा, “कुछ लोग इस केस का उपयोग विरोधियों को निशाना बनाने के लिए कर रहे हैं, जिससे जांच की निष्पक्षता संदिग्ध हो गई है।” उन्होंने यह भी कहा कि जो आरोपी जल्दबाज़ी में आत्मसमर्पण कर चुके हैं, उनमें से वास्तविक दोषी कौन है, यह स्पष्ट नहीं है। गुंडा एक्ट लगाने से भी केस पर कोई ठोस असर नहीं पड़ा।
CBI जांच की मांग
जांच में जिन लोगों के राजनीतिक कानूनों (DMK, AIADMK, BJP, तमिल माणिल कांग्रेस) से संबंध हैं, उनके कारण CBI जांच की मांग जोर पकड़ती जा रही है। आर्मस्ट्रॉन्ग के भाई कीनोस ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है, जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप और मुख्य आरोपी की गिरफ्तारी में विफलता को बताया गया है। अगली सुनवाई 21 जुलाई 2025 को निर्धारित है।
पहली बरसी
आज (5 जुलाई) आर्मस्ट्रॉन्ग की पहली बरसी है। पेरम्बूर के घटनास्थल पर पुलिस ने स्मारक आयोजन की अनुमति नहीं दी, लेकिन पोटुर (तिरुवल्लुर) में जो उनकी अंत्येष्टि हुई थी, वहां सबसे यादगार सभा की अनुमति दी गई है। सुरक्षा व्यवस्था तेज कर दी गई है।