J-K Chief Minister Omar Abdullah attends the funeral prayers of Syed Adil Hussain Shah
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जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए खच्चर संचालक सैयद आदिल हुसैन शाह की जनाज़े की नमाज़ में हिस्सा लिया। | (फोटो : PTI)

पहलगाम नरसंहार : जिम्मेदारी केंद्र पर, नुकसान उमर को झेलना पड़ेगा

पर्यटकों की संख्या में तेज गिरावट उमर अब्दुल्ला सरकार के राजस्व के स्रोत को प्रभावित करेगी, जिससे वो केंद्र की मदद और सहयोग पर पहले से भी ज़्यादा निर्भर हो जाएगी


जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में उमर अब्दुल्ला के पास सुरक्षा और खुफिया तंत्र पर कोई नियंत्रण नहीं है, इसलिए 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरण घाटी में द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) के आतंकियों द्वारा दिनदहाड़े 26 लोगों, जिनमें से 25 पर्यटक थे, की हत्या में हुई चूक के लिए उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता। फिर भी, यह त्रासदी अब्दुल्ला के लिए अशुभ संकेत देती है।

2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जब जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य से घटाकर केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था, तभी से कानून-व्यवस्था, पुलिसिंग, स्थानीय खुफिया और सुरक्षा बलों की तैनाती पर केंद्र और इसके उपराज्यपाल (वर्तमान में मनोज सिन्हा) का पूर्ण नियंत्रण है। इन वर्षों में केंद्र और एलजी कार्यालय ने बार-बार जम्मू-कश्मीर में "आतंकवादियों की कमर तोड़ने" के दावे किए हैं।

लेकिन ये दावे शुरू से ही खोखले रहे , क्योंकि TRF का गठन अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद ही हुआ था और तब से इसने जम्मू क्षेत्र और कश्मीर घाटी में कई जानें ली हैं, हालांकि केंद्र ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया। बैसरण के मैदान में बिखरी लाशों ने अंततः भाजपा नेतृत्व, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा फैलाए गए 'सामान्यता' के भ्रम को तोड़ दिया है।

इस महीने की शुरुआत में शाह ने संसद में दावा किया था कि "आतंकी अब कश्मीर में दफन हैं"। लेकिन 24 अप्रैल को, विपक्ष के दबाव में शाह ने सर्वदलीय बैठक में माना कि "अगर सब कुछ ठीक होता तो हमें यह बैठक करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती"।

IB ने पर्यटकों पर मढ़ी गलती

बैठक में मौजूद खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों ने जब यह कहकर जिम्मेदारी टालने की कोशिश की कि पर्यटक पुलिस अनुमति के बिना बैसरण गए थे, तो विपक्षी नेताओं ने उन्हें फटकारते हुए कहा कि पर्यटक हमेशा से वहां जाते रहे हैं और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना पुलिस और अन्य एजेंसियों का काम है।

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी शाह से कहा कि अगर IB की बात मानी जाए तो यह "भयावह सुरक्षा विफलता" का संकेत है, क्योंकि सैकड़ों लोग बिना पुलिस की जानकारी के वहां जा रहे थे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि पुलिस अब राज्य सरकार के नहीं, बल्कि एलजी और केंद्र सरकार के अधीन है।

उमर की चिंता

तो अगर बैसरण हत्याकांड की जिम्मेदारी केंद्र पर है, तो उमर अब्दुल्ला को चिंता क्यों करनी चाहिए? इसका जवाब सीधा नहीं है — जैसा कि जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अक्सर होता है।

पिछले छह महीनों में, जब से अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेंस की बड़ी जीत के बाद मुख्यमंत्री पद संभाला है, वह एक के बाद एक राजनीतिक संकटों से जूझते रहे हैं। सबसे बड़ा संकट था, जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 370 की बहाली का वादा, जिसे लेकर अब्दुल्ला ने कार्यभार संभालते ही साफ कर दिया कि वह उस केंद्र सरकार से कोई सहयोग की उम्मीद नहीं कर सकते जिसने खुद अनुच्छेद 370 हटाया था।

अनुच्छेद 370 और फारूक अब्दुल्ला का विवाद

हाल ही में, उमर के पिता और नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला को भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा जब रॉ के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत ने अपनी नई किताब The Chief Minister and The Spy में लिखा कि फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कथित तौर पर कहा था कि यदि केंद्र ने परामर्श किया होता तो नेशनल कांफ्रेंस सहयोग करने को तैयार थी। हालांकि अब्दुल्ला परिवार ने इस दावे को खारिज कर दिया।

जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा

राज्य का दर्जा बहाल कराने का वादा अब्दुल्ला के लिए और भी कठिन बनता जा रहा है। मुख्यमंत्री ने भले ही विधानसभा में इस पर प्रस्ताव पारित करा लिया हो, लेकिन केंद्र सरकार लगातार इस पर टालमटोल कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, पहलगाम हमले के बाद अब केंद्र इस मुद्दे पर और भी कठोर हो जाएगा।

तात्कालिक समस्याएँ

कश्मीर के एक वरिष्ठ NC विधायक ने बताया, "यह हमला एक बहुत बड़ा झटका है; अब तो राज्य का दर्जा मिलना लगभग नामुमकिन है... मुख्यमंत्री के लिए यह और कठिन हो जाएगा क्योंकि अब उन्हें केंद्र की हर योजना में सहयोग करना पड़ेगा, चाहे वह कितनी भी अलोकप्रिय क्यों न हो।"

कश्मीर के कई राजनेता मानते हैं कि पहलगाम की हत्या और मोदी का पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक रुख घाटी में भारी सैन्यीकरण को बढ़ावा देगा, जिससे आम नागरिकों के हताहत होने की संभावना बढ़ जाएगी।

केंद्र ने कश्मीरी छात्रों को निराश किया

एक अन्य NC नेता ने कहा कि पहलगाम हत्याकांड के बाद पूरा कश्मीर आतंकियों के खिलाफ एकजुट हो गया था और मारे गए भारतीय पर्यटकों के साथ एकजुटता व्यक्त कर रहा था। फिर भी, उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि मोदी या शाह ने उन "कट्टर हिंदुत्व तत्वों" के खिलाफ कुछ नहीं कहा जो देश के अन्य हिस्सों में रह रहे कश्मीरियों पर हमले कर रहे हैं।

आतंकवाद ने पर्यटन को मारा

राज्य का दर्जा बहाल कराने की लड़ाई तो लंबी थी ही, लेकिन पहलगाम हमले ने उमर के सामने एक और तत्काल संकट खड़ा कर दिया — आर्थिक नुकसान। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से हमले के दिन फोन पर बातचीत में अब्दुल्ला ने कहा था, "हम खत्म हो गए।"

क्योंकि पर्यटन कश्मीर की अर्थव्यवस्था का सबसे बड़ा आधार है। और यह हमला पर्यटन सीज़न की शुरुआत में ही हो गया, जब मई-जून के महीनों में पर्यटकों की सबसे ज्यादा भीड़ होती है, और उसके बाद जुलाई में अमरनाथ यात्रा होती है।

राजस्व संकट और केंद्र पर निर्भरता

सरकारी सूत्रों ने कहा कि बैसरण हत्याकांड पिछले आतंकवादी हमलों से अलग है, क्योंकि पहले पर्यटक स्थलों को ऐसे निशाना नहीं बनाया जाता था। अब आतंकवादियों ने समझ लिया है कि पर्यटन पर हमला स्थानीय अर्थव्यवस्था और जीवनयापन को प्रभावित करेगा।

पर्यटकों की संख्या में गिरावट से उमर अब्दुल्ला सरकार की आमदनी घटेगी और उसे केंद्र पर और अधिक निर्भर होना पड़ेगा। इससे उन्हें भाजपा नेतृत्व को भी खुश रखना पड़ेगा — जो घाटी में अविश्वास का मुख्य स्रोत है।

अशांत राजनीति

फिलहाल, घाटी के सभी राजनीतिक दल आतंकवाद से निपटने में केंद्र के साथ सहयोग कर रहे हैं। लेकिन जल्द ही स्थानीय मुद्दे — जैसे अर्थव्यवस्था, रोज़गार, सरकार का प्रदर्शन, और केंद्र तथा एलजी का हस्तक्षेप — फिर से बहस का मुद्दा बन जाएंगे।

पीडीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "आतंकवाद के खिलाफ हम केंद्र के साथ खड़े हैं, लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि कश्मीरियों से कई वादे किए गए थे, जिन्हें इस त्रासदी की आड़ में भुलाया नहीं जा सकता।"

उन्होंने चेतावनी दी कि पिछले छह महीनों में उमर अब्दुल्ला ने हर चुनावी वादे पर बहाने बनाए हैं, चाहे वह राज्य का दर्जा हो, संविदा कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति हो, या भाजपा के खिलाफ लड़ाई हो।

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