
यूपी में स्कूलों के मर्जर पर विपक्ष ने सरकार को घेरा
यूपी में 50 से कम छात्र संख्या वाले स्कूलों के विलय पर विपक्ष हमलावर है। वहीं सरकार अपने स्टैंड कर कायम है। विभाग का कहना है कि सभी छात्रों को सुविधा देने के लिए यह योजना तैयार को गयी है।
उत्तर प्रदेश में क़रीब 27 हज़ार सरकारी स्कूलों के मर्जर के मामले पर विपक्ष ने योगी सरकार को घेरा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बाद आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने भी इस मुद्दे पर सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है। बावजूद इसके इस फ़ैसले पर विभाग अपने स्टैंड पर क़ायम है। इधर बेसिक शिक्षक संघ में भी सरकार के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है और अभिभावकों की सहमति से आंदोलन की बात कही है।
50 से कम छात्रों वाले स्कूलों का होगा मर्जर
उत्तर प्रदेश में कम छात्रों वाले सरकारी बेसिक स्कूलों (कक्षा 1 से 8 तक) के दूसरे स्कूलों में मर्जर ( merger) का मामला तूल पकड़ता जा रहा है।यूपी सरकार ने फ़ैसला किया है कि 50 से कम संख्या में छात्रों वाले परिषदीय स्कूलों को पास के दूसरे स्कूलों में मर्जर कराया जाए। यानी अब वो स्कूल बंद होंगे, जिनमें छात्रों की संख्या 50 से कम है। उन स्कूलों के छात्र दूसरे स्कूलों में पढ़ाई करेंगे। बेसिक शिक्षा निदेशक कंचन वर्मा ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों से उसका ब्योरा माँगा था। इसके बाद बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल सामने आए। जानकारी के अनुसार, यूपी में 27000 से ज़्यादा ऐसे परिषदीय स्कूल हैं, जिनमें 50 से कम छात्र पढ़ते हैं। ज़ाहिर है इन स्कूलों का विलय (Merger) आस पड़ोस के स्कूलों में किया जाएगा।
सपा-आप ने किया विरोध
इस फ़ैसले के बाहर आते ही हंगामा शुरू हो गया। बेसिक शिक्षक संघ इस फ़ैसले का विरोध कर रहा है और आंदोलन करने चेतावनी दी है। जिसके बाद समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार कर स्कूल बंद करने का आरोप लगाते हुए कहा सरकार ने शिक्षा विभाग को बर्बाद कर दिया है। जितने कम स्कूल होंगे, उतनी कम नौकरियाँ देनी पड़ेंगी। अब आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने ये कहा है कि सरकार पाठशाला बंद करके मधुशाला खोलना चाहती है। उन्होंने ये भी कहा है कि आम आदमी पार्टी इसके लिए सड़कों पर उतरेगी।
आस-पड़ोस के स्कूलों का भी मांगा गया है ब्योरा
वहीं, चौतरफा विरोध के बावजूद बेसिक शिक्षा विभाग ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है। बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सभी जिलाधिकारियों एक पत्र भेजकर इस बात के लिए कहा है कि केंद्र सरकार की इस मंशा के अनुरूप कदम उठाया जाएगा, जिसमें मौजूदा संसाधनों से ज़्यादा से ज़्यादा इस्तेमाल के लिए कहा गया है। शिक्षा विभाग के अधिकारी कह रहे हैं कि जो प्लान तैयार किया गया है, उसमें किसी छात्र का नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। बेसिक शिक्षा निदेशक ने सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों से कहा है कि न सिर्फ़ कम संख्या वाले स्कूलों का विवरण भेजा जाए, बल्कि उन स्कूलों का ब्योरा भी भेजें, यहाँ छात्रों को शिफ्ट किया जाएगा। ऐसे दोनों स्कूलों के बीच में कोई नदी, नाला, रेलवे ट्रैक नहीं होना चाहिए। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी में बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 ( NEP) के तहत स्कूलों के परस्पर समन्वय की बात भी कही गई है। ऐसे में ये फ़ैसला पूरी तरह से उस मंशा के अनुरूप है। इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि सभी छात्रों नो बेहतर पढ़ाई की सुविधा देने के लिए ये फैसला किया गया है।
हालाँकि बेसिक शिक्षक संघ इसका विरोध कर रहा है। शिक्षक संघ का कहना है कि दूर दराज़ के क्षेत्रों में छात्रों को स्कूल तक लाने में बहुत ज़्यादा दिक्कत होती है। ऐसे में बच्चे का नाम अगर दूसरे स्कूल में लिखा दिया जाए तो या तो अभिभावक पढ़ाई छुड़ा देंगे या प्राइवेट स्कूलों को ओर रूख करेंगे। शिक्षकों का विरोध इस बात को लेकर भी है कि विभाग जिन स्कूलों का मर्जर करेगा, उनके शिक्षकों को भी पास के स्कूलों में शिफ्ट करने की बात कही है। पर वहाँ के प्रिंसिपल का पद खत्म हो जाएगा। वहीं जिन स्कूलों में इन टीचर्स को भेजा जाएगा वहाँ शिक्षक-छात्र अनुपात भी सरप्लस हो जाएगा। प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष दिनेश चंद्र शर्मा ने द फ़ेडरल देश को बताया ‘ ये गाइडलाइन है कि जहाँ भी आबादी 300 हो वहाँ प्राथमिक विद्यालय होगा। क्योंकि छात्रों को स्कूल तक लाने में ही बहुत ज़्यादा कोशिश करनी पड़ी। अब ऐसे में छात्रों का नुक़सान ही होगा। ग्राम प्रधान और अभिभावक हम लोगों ने संपर्क कर रहे हैं। हम लोगों ने 30 जून को बैठक बुलायी है। उसमें अभिभावकों को भी बुलाया है। इसके बाद रणनीति तय करेंगे।’