पिनाराई विजयन का बड़ा दांव, कल्याण योजनाओं से क्या बदलेगी 2026 की जंग
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पिनाराई विजयन का बड़ा दांव, कल्याण योजनाओं से क्या बदलेगी 2026 की जंग

केरल के सीएम पिनाराई विजयन ने नई पेंशन और कल्याण योजनाओं का ऐलान कर CPI विवाद के बीच 2026 विधानसभा चुनाव से पहले “वेलफेयर राजनीति” को नया मोर्चा बना दिया।


केरल में गुरुवार (29 अक्टूबर) को हुई कैबिनेट बैठक का इंतज़ार खासा उत्सुकता से किया जा रहा था। यह वही बैठक थी, जिस पर CPI के बहिष्कार की धमकी का साया मंडरा रहा था — कारण था PM SHRI योजना को लेकर विवाद। लेकिन जब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पत्रकारों को बैठक के निर्णय बताने के लिए मीडिया कक्ष में पहुँचे, तो उन्होंने इस मौके को एक राजनीतिक पलटवार में बदल दिया।

दबाव में दिखने के बजाय उन्होंने कई नई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की — जिनमें सामाजिक सुरक्षा पेंशन बढ़ाने से लेकर महिलाओं और युवाओं के लिए नई योजनाएँ शामिल हैं। यह साफ संकेत था कि एलडीएफ (वाम लोकतांत्रिक मोर्चा) आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों और 2026 विधानसभा चुनाव से पहले आक्रामक रुख अपनाने जा रहा है।

सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बड़ी बढ़ोतरी

मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के 60 लाख से अधिक लाभार्थियों की मासिक पेंशन ₹1,600 से बढ़ाकर ₹2,000 और आगे चलकर ₹2,500 तक की जाएगी। यह वही वादा था जो एलडीएफ ने 2021 के चुनावी घोषणापत्र में किया था, लेकिन वित्तीय संकटों के चलते अब तक अधूरा था।

उन्होंने 35 से 60 वर्ष की उन 31 लाख महिलाओं के लिए ₹1,000 प्रतिमाह की “महिला सुरक्षा पेंशन” योजना की भी घोषणा की जो किसी मौजूदा कल्याण योजना में शामिल नहीं हैं। इसके अलावा, 18–30 वर्ष के शिक्षित युवाओं के लिए “कनेक्ट टू वर्क स्कॉलरशिप” योजना शुरू की जाएगी, जिसके तहत उन्हें हर माह ₹1,000 की राशि दी जाएगी।

इन घोषणाओं के साथ विजयन सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वह रक्षात्मक राजनीति से आगे बढ़कर चुनावी मैदान में आक्रामक कल्याणवादी रणनीति अपनाने जा रही है।

विवादों से कल्याण तक: एक रणनीतिक बदलाव

पिछले कुछ महीनों से एलडीएफ सरकार सबरीमला स्वर्ण चोरी और PM SHRI योजना विवाद जैसे मुद्दों पर घिरी हुई थी। केंद्र सरकार की शिक्षा योजना को लागू करने से इंकार करने पर राज्य सरकार पर “विकास विरोधी” रवैया अपनाने के आरोप लगे थे।

अब विजयन सरकार ने कल्याण को अपनी सबसे बड़ी राजनीतिक ढाल बना लिया है। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह कदम निम्न और वंचित वर्गों में पारंपरिक समर्थन को मजबूत करने की कोशिश है।

पहले कार्यकाल (2016–2021) में एलडीएफ ने बाढ़, निपाह और कोविड संकट जैसे दौरों में अपने प्रशासनिक कौशल से छवि बनाई थी। परंतु दूसरे कार्यकाल में सरकार विवादों और शासन थकान से जूझ रही थी। अब यह पेंशन वृद्धि और नई योजनाएँ मुख्यमंत्री की “वेलफेयर लीडर” वाली छवि को फिर से गढ़ने का प्रयास हैं।

विपक्ष का पलटवार: “चुनावी नौटंकी”

कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ (UDF) ने सरकार की घोषणाओं को “चुनावी नौटंकी” बताया। वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने कहा कि मुख्यमंत्री अपनी सरकार के आखिरी चरण में असंभव वादे कर रहे हैं, जो अगली सरकार पर वित्तीय बोझ डालेंगे।आईयूएमएल नेता पी.के. फिरोज़ ने सोशल मीडिया पर लिखा “जब PM SHRI को लेकर RSS से सौदा विफल हुआ, तो मुख्यमंत्री अब एक और छलावा लेकर आए हैं — पेंशन बढ़ाने और महिलाओं-युवाओं को लाभ देने के नाम पर। नौ साल तक जनता को भुलाने के बाद अब चुनाव से पहले उन्हें याद करना एक ढोंग है।”

आर्थिक संकट के बावजूद जोखिम भरा कदम

केरल की वित्तीय स्थिति पहले से ही दबाव में है — राजस्व घाटा बढ़ रहा है और केंद्र से मिलने वाले फंड कम हो रहे हैं। फिर भी एलडीएफ ने यह जोखिम उठाया है। वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार, इन योजनाओं पर खर्च को अगले बजट चक्र तक टालने की योजना है, जिससे फिलहाल सरकारी खजाने पर तत्काल बोझ न पड़े।एक अधिकारी ने कहा, यह जोखिम भरा दांव है, लेकिन अगर चुनाव से पहले जनता के बीच लोकप्रियता लौट आई, तो राजनीतिक रूप से यह फायदेमंद हो सकता है।”

2026 की तैयारी: “कल्याण बनाम विचारधारा”

अगले महीने होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव इन योजनाओं की पहली परीक्षा होंगे। एलडीएफ अब भी अधिकांश निकायों पर नियंत्रण रखता है, लेकिन इस बार शासन से थकान और असंतोष दिखने लगा है। विजयन सरकार अब “कल्याण और विकास” को अपना मुख्य एजेंडा बना रही है — न कि धार्मिक या बहुसंख्यक राजनीति को। चरम गरीबी खत्म करने की घोषणा, राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएँ, विजिंजम पोर्ट, आईटी सेक्टर और औद्योगिक विकास के साथ सरकार अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने रखेगी।

यह रणनीति PM SHRI विवाद से पैदा हुई वैचारिक असहजता को भी संतुलित करती दिख रही है। केंद्र के साथ टकराव की छवि के बजाय अब सरकार खुद को “जनहितैषी” दिखाने की कोशिश कर रही है।

आलोचना और यथार्थ

हालाँकि, वामपंथी खेमे के भीतर भी यह चिंता है कि सरकार कल्याणवाद पर अधिक निर्भर हो रही है और संरचनात्मक सुधारों की उपेक्षा कर रही है।एक CPI(M) नेता के शब्दों में केरल का विकास मॉडल केवल उपभोग और नकद हस्तांतरण पर नहीं चल सकता। केंद्र की वित्तीय नीतियों और दक्षिणपंथी प्रभाव से मुकाबले के बिना ये योजनाएँ लंबे समय तक असर नहीं दिखाएँगी।”

पिनाराई विजयन का यह कदम राजनीतिक जुआ है। लेकिन अगर यह जनता के दिल तक पहुँचा, तो यह 2026 की जंग में निर्णायक साबित हो सकता है।जैसा कि एक वरिष्ठ माकपा नेता ने कहा “केरल के मतदाता मांग करते हैं, लेकिन माफ भी करते हैं। अगर उन्हें याद दिलाया जाए कि संकट के समय कौन साथ था, तो वे एक और मौका देने से नहीं चूकेंगे।”स्पष्ट है — 2026 की जंग अब वैचारिक नहीं, बल्कि इस बात पर होगी कि केरल की नब्ज़ को कौन बेहतर समझता है।

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