मुस्लिम आरक्षण पर मोदी आंध्र प्रदेश में क्यों रहे चुप, वजह यह तो नहीं
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मुस्लिम आरक्षण पर मोदी आंध्र प्रदेश में क्यों रहे चुप, वजह यह तो नहीं

चौथे फेज में आंध्र प्रदेश में आम चुनाव के साथ विधानसभा का चुनाव भी संपन्न हुआ.इस समय वाईएसआर कांग्रेस सत्ता में है. टीडीपी, बीजेपी और जन सेना पार्टी एक साथ हैं.


Andhra Pradesh Lok Sabha Election 2024 News: सियासत में मुद्दों को गढ़ा जाता है. इसका मतलब यह कि कोई भी राजनीतिक जब बयान जारी करता है तो उसके विपक्षी की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि वो किस तरह से उसका प्रतिवाद करता है. आपको याद होगा कि कांग्रेस के मैनिफेस्टो में आर्थिक सर्वेक्षण करा कर संपत्तियों के बंटवारे की बात कही गई. बीजेपी ने उस मुद्दे को लपक लिया और मंगलसूत्र के जरिए यह बताने की कोशिश की कांग्रेस किस तरह से आपकी थाती किसी और को देना चाहती है. इसके साथ ही आरक्षण के मुद्दे पर पीएम मोदी ने कहा कि ओबीसी आरक्षण में से कांग्रेस मुस्लिमों को आरक्षण देने की जुगत में है. लेकिन वो ऐसा नहीं होने देंगे. इन सबके बीच आंध्र प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी चुप ही रहे.

मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर पीएम मोदी रही चुप

आंध्र प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि समय की मांग है कि भ्रष्टाचारी और माफिया वाईएसआर सरकार को उखाड़ फेंके.इसके साथ ही उन्होंने डबल इंजन वाली सरकार को समझाया कि राज्य के विकास के लिए एक तरह की सरकार क्यों जरूरी है. लेकिन लोगों के दिल और दिमाग को एक सवाल ने मथा कि आंध्र में पीएम मोदी मुस्लिम आरक्षण वाले मसले पर क्यों चुप रहे हैं. आंध्र प्रदेश के चिलकालुरीपेट में मार्च के मध्य में चुनाव प्रचार का आगाज करने के साथ 8 मई को विजयवाड़ा में पीएम ने चुनावी रैली को संपन्न किया लेकिन मुस्लिम आरक्षण के विषय पर एक शब्द भी नहीं बोला. जबकि पड़ोस के राज्य तेलंगाना और कर्नाटक में इस विषय पर वो मुखर रहे. बीआरएस की सरकार में तेलंगाना विधानसभा ने 4 से 12 मुस्लिम आरक्षण के प्रस्ताव को पारित किया हालांकि यह मुद्दा केंद्र सरकार में अटका हुआ है.तेलंगाना के मेडक रैली में उन्होंने कहा कि जब तक वो जिंदा हैं मुस्लिम आरक्षण लागू नहीं होने देंगे. एससी, एसटी और ओबीसी के हक पर डाका नहीं डालने देंगे. लेकिन आंध्र प्रदेश में पूरी तरह से चुप्पी साध ली.


सवाल अभी बना हुआ है कि मुस्लिम आरक्षण पर मोदी मुखर क्यों नहीं हुए. इस मुद्दे पर आंध्र प्रदेश कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी शेख का आकलन कुछ यूं है. कांग्रेस के मुताबिक अगर मुस्लिम आरक्षण पर मोदी कोई टफ स्टैंड लेते तो उसका मतलब साफ था कि मुस्लिम मत कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हो जाते थे. उनके लिए विधानसभा से अधिक लोकसभा की लड़ाई अहम है लिहाजा वो इस विषय पर कुछ नहीं बोलने से बचते रहे. बीजेपी को यह भी लगता है कि तेलंगाना की तरह आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस की वापसी हो सकती है लिहाजा उन्होंने चुप्पी साध ली. शेख का कहना है कि आरक्षण की वजह से 2004 से 2024 के दौरान अलग अलग इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में 20 लाख से अधिक मुस्लिम स्टूडेंट्स का दाखिला हुआ है, मुस्लिम मत ना सिर्फ वाईएसआर कांग्रेस बल्कि टीडीपी के लिए भी अहम है. अब टीडीपी के साथ बीजेपी है लिहाजा पीएम या कोई और नेता ऐसी बात करने से बचना चाहेगा जो उनकी जीत की उम्मीद को धुमिल करती हो.टीडीपी के एक नेता अहमद शरीफ कहते हैं कि टीडीपी की वजह से ही पीएम मोदी ने चुप्पी साध ली.

कहीं नायडू वजह तो नहीं

यहां बता दें कि बीजेपी, टीडीपी और जनसेना पार्टी के साथ मिलकर जगनमोहन रेड्डी को टक्कर दे रही है.चंद्रबाबू नायडू कहते हैं कि ना सिर्फ वो मुसलमानों को चार फीसद आरक्षण देंगे बल्कि वधुओं को एक लाख रुपए, हजयात्रियों को 1 लाख, विजयवाड़ा और हैदराबाद में हज हाउस और उर्दू विश्वविद्यालय खोलेंगे. वास्तव में वाईएसआर कांग्रेस हो या नायडू की पार्टी टीडीपी दोनों की नजर 175 सदस्यों वाली विधानसभा की 30 सीटों पर है जहां जीत और हार में मुस्लिम मतदाताओं की भूमिका अहम है.खासतौर से रायलसीमा इलाके में यह जोरआजमाइश कुछ अधिक है. वाईएसआर कांग्रेस लगातार कह रही है कि सीएए को वो लागू नहीं होने देंगे, एनआरसी को चलने नहीं देंगे और समान नागरिक संहिता तो बहुत दूर की बात है.

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