पहले किसानों पर बरसाए फूल फिर छोड़ी रबड़ की गोलियां, किसानों ने स्थगित किया दिल्ली मार्च
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पहले किसानों पर बरसाए फूल फिर छोड़ी रबड़ की गोलियां, किसानों ने स्थगित किया दिल्ली मार्च

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर का दावा है कि पुलिस ने पहले हम पर फ्हूल बरसाए फिर 2 मिनट बाद आंसू गैस के गोले और रबड़ की गोलियां चलायीं. एक किसान गंभीर रूप से घायल है. आज का मार्च स्थगित किया गया है, सोमवार को बैठक में टी होगी आगे की रणनीति


Shambhu Border Farmer's Protest : शम्भू बॉर्डर पर किसानों ने रविवार का मार्च स्थगित कर दिया है। इसके पीछे की वजह पुलिस द्वारा आंसू गैस और रबड़ की गोलियां छोड़ना बताया है। किसानों का आरोप है कि पुलिस ने ये सब सोची समझी साजिश के तहत किया गया है। किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने ये दावा किया कि पुलिस किसानों को बहलाने के लिए पहले तो फूल बरसाए और फिर 2 मिनट बाद ही किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ दिए और रबड़ की गोलियां भी चलायीं। इस वजह से कुछ किसान घायल हुए हैं, एक की हालत काफी गंभीर है। इसी वजह से रविवार के लिए दिल्ली चलो मार्च को स्थगित किया जा रहा है।

किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि प्रदर्शन के दौरान छह किसान घायल हो गए हैं। उन्होंने कहा, "हमने अपने जत्थों को वापस बुलाने का फैसला किया है। कल संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की बैठक में आगे की रणनीति पर निर्णय लिया जाएगा।"



पुलिस और किसानों के बीच झड़प
रविवार दोपहर 12 बजे, 101 किसानों का एक जत्था शंभू बॉर्डर से दिल्ली की ओर शांतिपूर्ण मार्च करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन उन्हें पुलिस द्वारा रोक दिया गया। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके चलते पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। पुलिस का दावा है कि प्रदर्शनकारी किसानों के नाम उनकी सूची में नहीं थे, जबकि किसान दिल्ली जाने पर अड़े हुए थे।

स्थिति तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में
पुलिस के हस्तक्षेप के बाद शंभू बॉर्डर पर स्थिति तनावपूर्ण हो गई, लेकिन फिलहाल नियंत्रण में है। किसान नेताओं ने कहा कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण था और वे किसी भी उकसावे में नहीं आएंगे।

सोमवार पर सबकी नज़र
किसानों का यह आंदोलन केंद्र सरकार पर एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए है। अब सभी की निगाहें सोमवार को होने वाली किसान नेताओं की बैठक पर हैं, जिसमें आगे के विरोध प्रदर्शन की योजना तय की जाएगी। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि किसानों और सरकार के बीच संवाद में बाधा कहां है, और इसका समाधान कैसे निकलेगा।


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