कर्नाटक में सीएम कुर्सी को लेकर सियासी हंगामा थमा? डीके शिवकुमार ने कहा– मुझे कोई जल्दी नहीं
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कर्नाटक में सीएम कुर्सी को लेकर सियासी हंगामा थमा? डीके शिवकुमार ने कहा– 'मुझे कोई जल्दी नहीं'

Karnataka politics: कांग्रेस नेतृत्व अब राज्य के दोनों बड़े नेताओं से बात कर इस मुद्दे को स्थायी रूप से सुलझाने की तैयारी कर रहा है।


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कर्नाटक में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ता जा रहा है। यह टकराव मौजूदा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच चल रहा है। हालांकि, इसी बीच CM पद को लेकर चल रही चर्चा के बीच डीके शिवकुमार ने गुरुवार को साफ कहा कि उन्होंने सिद्धारमैया की जगह लेने को लेकर कोई बातचीत नहीं की है।

उन्होंने कहा कि उन्हें किसी तरह की जल्दबाज़ी नहीं है। मुंबई दौरे के दौरान उन्होंने किसी भी पार्टी नेता से मुलाकात नहीं की। अगर कभी ऐसी चर्चा हुई तो वह बेंगलुरु या दिल्ली में ही होगी, मुंबई में नहीं।

अटकलों की जड़ क्या है?

नेतृत्व परिवर्तन की चर्चा 2023 में हुए एक कथित सत्ता-साझेदारी समझौते से निकल रही है, जिसमें कहा गया था कि सिद्धारमैया और शिवकुमार को ढाई-ढाई साल तक CM का पद साझा करना था। शिवकुमार ने इस समझौते का कई बार जिक्र किया, लेकिन हाल ही में उन्होंने कहा कि यह बात सिर्फ 5–6 वरिष्ठ नेताओं के बीच थी और इसे सार्वजनिक करना सही नहीं होगा। क्योंकि इससे पार्टी कमजोर दिख सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह फॉर्मूला 18 मई 2023 को हुई लंबी बैठक में तय हुआ था। इस बैठक में सिद्धारमैया, डीके शिवकुमार, मल्लिकार्जुन खड़गे, केसी वेणुगोपाल, रणदीप सुरजेवाला और डीके सुरेश शामिल थे।

सिद्धारमैया का रुख बदला

पहले सिद्धारमैया ने कहा था कि वह पूरा 5 साल मुख्यमंत्री रहेंगे। लेकिन 22 नवंबर को खड़गे से मुलाकात के बाद उन्होंने अपना रुख नरम करते हुए कहा कि सत्ता-साझेदारी पर फैसला हाईकमान करेगा।

तनाव के संकेत

पिछले कुछ दिनों में दोनों नेताओं के बीच खटास साफ दिखी। शिवकुमार ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अपना वचन निभाना सबसे बड़ी ताकत है। शब्द शक्ति ही विश्व शक्ति है। इस पोस्ट को पार्टी हाईकमान पर दबाव बनाने का संकेत माना गया।

कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने भी संकेत दिया है कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में मौजूद हैं। दलित संगठनों ने भी दलित CM बनाने की मांग उठाई है। परमेश्वर ने कहा कि वह हमेशा से सीएम पद की दौड़ में रहे हैं। 2013 में जब कांग्रेस सत्ता में आई, तब वे KPCC अध्यक्ष थे। लंबे समय से दलित समुदाय दलित मुख्यमंत्री चाहता आया है।

हाईकमान जल्द करेगा फैसला

मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी वाला कांग्रेस नेतृत्व अब राज्य के दोनों बड़े नेताओं से बात कर इस मुद्दे को स्थायी रूप से सुलझाने की तैयारी कर रहा है। उधर, शिवकुमार के समर्थन में कई विधायक दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं, ताकि नेतृत्व परिवर्तन के लिए हाईकमान पर दबाव बनाया जा सके।

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