फिर यूपी की राजनीति के केंद्र में ब्राह्मण, लाठीचार्ज में सियाराम उपाध्याय की मौत पर सियासत गर्म
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लाठीचार्ज में सियाराम उपाध्याय की मौत के बाद बढ़ा बवाल

फिर यूपी की राजनीति के केंद्र में ब्राह्मण, लाठीचार्ज में सियाराम उपाध्याय की मौत पर सियासत गर्म

ग़ाज़ीपुर लाठीचार्ज में भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय की मौत पर कलराज मिश्रा का खुलकर विरोध दर्ज़ करना अहम है।क्या यह बीजेपी में चल रही अंदरूनी राजनीति का कोई संकेत है ? या यह ब्राह्मणों और कार्यकर्ताओं के असंतोष को थामने की कोशिश है?


उत्तर प्रदेश में एक बार फिर 'ब्राह्मण' राजनीति के केंद्र में है। इस बार ग़ाज़ीपुर में पुलिस लाठीचार्ज में भाजपा कार्यकर्ता की मौत के बाद यह मुद्दा सियासी बन गया है।बीजेपी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुखर होकर विरोध किया। विपक्ष भी इस घटना को सरकार की नाकामी के साथ ब्राह्मण उत्पीड़न के रूप में उठा रहा है पर अब पूर्व केंद्रीय मंत्री, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्र ने भी इस घटना पर विरोध दर्ज़ करा दिया है।

इस बात ने बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में हलचल मचा दी है। कलराज मिश्रा ने अपने एक्स हैंडल पर लिखा कि उन्होंने इस मामले में यूपी के मुख्यमंत्री से बात की है और अब उनके प्रतिनिधि सियाराम उपाध्याय के परिवार से मिलकर एक लाख रुपए की सहायता देंगे।इधर शुरुआती कार्रवाई के तहत पुलिसकर्मियों के निलंबन के बाद सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी( SIT ) का गठन कर दिया है।

कलराज मिश्रा भी सामने आए, परिजनों को आर्थिक सहायता की बात की

ग़ाज़ीपुर के नोनहरा थाने में हुई भाजपा कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय की मौत ने एक बार फिर यूपी पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है।वहीं इस घटना ने प्रदेश की सियासत को भी जातिगत रंग दे दिया है।यूपी में ब्राह्मणों की सुनवाई न होने और उनके पीड़ित होने पर चर्चा एक बार फिर तेज़ हो गई है जबकि विपक्षी दल भी इसे ‘ब्राह्मण’ कार्ड खेलने के अवसर के रूप में देख रहे हैं। यह बात इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सियाराम की मौत के बाद यूपी बीजेपी से कई ब्राह्मण नेता और कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर खुलकर इस बात को उठा रहे हैं और ब्राह्मणों को न्याय न मिलने की बात जोर पकड़ रही है जिससे पार्टी के भीतर भी जातीय राजनीति और असंतोष तेज़ होने की संभावना है।

अब पूर्व केंद्रीय मंत्री और राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी इस मामले पर बयान देकर हलचल मचा दी है।कलराज मिश्रा ने अपने एक्स अकाउंट से पोस्ट करते हुए लिखा है कि ‘ दिव्यांग श्री सियाराम उर्फ़ जोखू उपाध्याय जी का निधन अत्यंत व्यथित करने वाला है।इस संबंध में आज माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से दूरभाष पर चर्चा हुई। उन्होंने आश्वस्त किया है कि आवश्यक कार्यवाही की जा रही है तथा पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई है।’ लेकिन इसके साथ ही कलराज मिश्र ने यह भी लिखा है कि उनके प्रतिनिधि सियाराम के परिवार से मिलकर 1 लाख रुपए की सहायता राशि देंगे।

कलराज मिश्रा यूपी के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं और एक समय तक भाजपा के सबसे प्रभावशाली ब्राह्मण चेहरे के तौर पर उनको देखा जाता रहा है।ऐसे में उनका विरोध दर्ज़ कराना और अपने प्रतिनिधि को ब्राह्मण कार्यकर्ता के घर भेजना आने वाले समय में बीजेपी की अंदरूनी राजनीति का संकेत भी दे रहा है।स्थानीय यूनिट की नाराज़गी और कार्यकर्ताओं के आक्रोश को लेकर संगठन की बेचैनी भी झलक रही है।विपक्ष कहीं उस असंतोष का राजनीतिक लाभ न ले इसपर भी पार्टी में बेचैनी है।

ऐसे में कलराज मिश्रा के इस बारे में खुलकर सामने आने के अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।दरअसल पिछले एक साल में कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें ब्राह्मण समुदाय की नाराज़गी सामने आई है।ऐसे में पार्टी के रणनीतिकारों के लिए यह एक चिंता की बात हो सकती है।पार्टी के रणनीतिकारों को भी यह पता है कि सपा और कांग्रेस के साथ ने अगर इस असंतोष को हवा दी तो आने वाले समय में बीजेपी के लिए मुश्किल बढ़ सकती है।

भाजपा कार्यकर्ता के घर पहुंचे सपा-कांग्रेस नेता

इधर कांग्रेस और सपा नेता ‘ब्राह्मण’ युवा सियाराम उपाध्याय की मौत पर सोशल मीडिया में मुखर हैं और इसे लेकर भाजपा सरकार पर हमला करते हुए पीड़ित परिवार से मिल रहे हैं।विपक्ष इसे सीधे तौर पर सरकार और प्रशासन की नाकामी से जोड़ रहा है और यूपी पुलिस की निरंकुशता और अराजकता का प्रतीक बता रहा है।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने सियाराम के परिजनों से मुलाकात की और न्याय का भरोसा दिलाया।यूपी कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर तंज कसा कि भाजपा सरकार अपने ही कार्यकर्ता की मौत पर पल्ला झाड़ रही है।कांग्रेस ने माहौल को भांपते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि ‘भाजपा हमेशा कार्यकर्ताओं की बलि चढ़ाती रही है।’ समाजवादी पार्टी के नेता भी परिवार से मिले और उनको बताया कि सपा उनके साथ है।इस बीच पुलिस द्वारा हार्ट फेल से मौत बताने पर भी परिजनों और स्थानीय लोगों में आक्रोश है।

क्या थी पूरी घटना

उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर जिले में 9 सितंबर को नोनहरा थाने में एक साधारण विवाद पर लोग धरना दे रहे थे। रात में पुलिस ने धरना दे रहे लोगों पर लाठीचार्ज कर दिया। इस घटना में भाजपा के दिव्यांग कार्यकर्ता सियाराम उपाध्याय (35 वर्ष) गंभीर रूप से घायल हो गए और 11 सितम्बर को सियाराम की मौत हो गई।पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हार्ट अटैक को मौत का कारण बताया गया लेकिन परिवार और स्थानीय भाजपा नेताओं ने इसे पुलिस की बर्बर पिटाई का नतीजा करार दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार लोग धरना दे रहे थे कि क़रीब दस बजे बिजली काट दी गई।उसके बाद पुलिस के लाठी भांजने से अफरातफरी हुई।दिव्यांग सियाराम भाग नहीं पाए और उनके शरीर पर कई जगह गंभीर चोटें आईं।पुलिस ने इन सभी बातों से इनकार तो किया पर वायरल वीडियो में थाने के बाहर लाठीचार्ज की झलक दिखाई देती है।इसके साथ ही सियाराम के शरीर पर चोटों के निशान भी पुलिस के दावे पर सवाल उठा रहे हैं।

परिवार ने पुलिस पर हत्या का आरोप लगाते हुए न्याय की गुहार लगाई है।ख़ास बात यह है कि स्थानीय लोगों के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी पुलिस की बर्बरता पर सवाल उठाते हुए अपनी ही सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है।मामले की गंभीरता को देखते हुए पहले एसओ समेत 6 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड किया गया था।वहीं मजिस्ट्रेटी जाँच के आदेश भी दिए गए थे।पर आक्रोश बढ़ता देखकर रविवार को मामले की जाँच के लिए डीसीपी गौरव बंसवाल के नेतृत्व में तीन सदस्यीय एसआईटी( SIT ) का गठन भी किया गया है। जानकारी के अनुसार बीजेपी के स्थानीय नेताओं और जिलाध्यक्ष ने भी बीजेपी के प्रति बढ़ते आक्रोश को लेकर शिकायत की।

पुलिस पर लगातार उठ रहे सवाल

हाल के कई मामलों में कटघरे में खड़ी यूपी पुलिस की कार्यशैली पर इस घटना के बाद एक बार फिर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। वहीं इससे इतर इस घटना की वजह से सरकार को संगठन के कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है।घटना के बाद ब्राह्मण-क्षत्रिय राजनीति तेज हो गई है।पूर्वी यूपी में ब्राह्मण वोट बैंक भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है। इसलिए आने वाले दिनों में भाजपा को इससे नुक़सान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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