
सपा के पीडीए नारे को चुनौती, पूजा पाल को मंत्री बना बीजेपी साध सकती है कई निशाने
पूजा पाल को मंत्री बनाकर बीजेपी कई मोर्चों पर एक साथ काम कर सकती है। पाल समाज को संदेश के अलावा एक महिला के न्याय के पक्ष में आवाज़ उठाने, माफियाओं के ख़िलाफ़ एक्शन और अपराध के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस को पार्टी इस एक फ़ैसले से ही साध सकती है।
यूपी में स्कूल मर्जर को पीडीए के खिलाफ बताकर पीडीए पाठशाला खोलने पर मचे सियासी घमासान में बीच समाजवादी पार्टी से निष्कासित पिछड़े वर्ग की विधायक पूजा पाल को योगी सरकार में मंत्री बनाने को लेकर चर्चा तेज हो गई है। माना जा रहा है कि योगी के संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में पूजा पाल को मंत्रिमंडल में जगह देकर चुनाव से पहले बीजेपी अपनी रणनीति बना सकती है और सपा के PDA में सेंध लगा सकती है।बीजेपी के रणनीतिकारों ने इस पर काम शुरू कर दिया है और ख़ुद यूपी के मुख्यमंत्री इसके सूत्रधार बन सकते हैं।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में जाति हमेशा से केंद्र में रही है। हाल ही में कौशांबी जिले की चायल विधानसभा सीट से विधायक पूजा पाल को समाजवादी पार्टी ने निष्कासित किया तो अब इस बात पर चर्चा तेज़ हो गई है कि पूजा पाल को योगी आदित्यनाथ के संभावित मंत्रिमंडल विस्तार में जगह मिल सकती है। कहा जा रहा है कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले योगी कैबिनेट का आख़िरी विस्तार नवरात्र में हो सकता है।ज़ाहिर है यह विस्तार और फेरबदल चुनाव की दृष्टि से अहम होगा। ऐसे में पाल-गड़रिया जाति की पूजा पाल को मंत्री बनाना बीजेपी के लिए इस वर्ग के मतदाताओं को संदेश देने और सपा के पीडीए के नारे को चुनौती देने का ज़रिया बन सकता है। पूजा पाल ने समाजवादी पार्टी से निष्कासन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाक़ात की तो इस चर्चा में और तेज़ी आ गई।
जाति के सम्मान से जोड़ने की रणनीति
दरअसल पूजा पाल ने विधानसभा के मॉनसून सत्र के दौरान यूपी के विज़न डॉक्यूमेंट पर चर्चा में मुख्यमंत्री की जमकर तारीफ़ की थी। उन्होंने अपने पति पूर्व विधायक राजू पाल के हत्यारों को सज़ा देने और उनको न्याय देने के लिए योगी को धन्यवाद कहा। इसके तुरंत बाद पूजा पाल को सपा से निष्कासित कर दिया गया। पूजा पाल तब से लगातार इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी पर हमलावर हैं और इस बात को कह रही हैं कि सच बोलने के लिए ही उनको पार्टी से निकाला गया। ख़ास बात यह है कि सोशल मीडिया पर पूजा पाल के समर्थन में एक वर्ग आगे आया है और निष्कासन को उनकी जाति (पाल-गड़रिया) के सम्मान से जोड़ कर देख रहा है तो इसे महिला विधायक होने से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। जानकारी के अनुसार, पूजा पाल जल्द भाजपा में शामिल हो सकती हैं। उसके बाद उनको योगी के मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बनाया जा सकता है। यही वजह है कि पूजा पाल को मंत्री बनाकर बीजेपी कई मोर्चों कर काम कर सकती है। पाल समाज को संदेश के अलावा एक महिला के न्याय के पक्ष में आवाज़ उठाने, माफियाओं के ख़िलाफ़ एक्शन और अपराध के ख़िलाफ़ जीरो टॉलरेंस को बीजेपी इस एक फ़ैसले से ही साध सकती है।
पीडीए मंत्र की काट
सपा के पीडीए समीकरण ने लोकसभा चुनाव में बीजेपी का नुक़सान किया। सपा मौजूदा स्कूल मर्जर के फैसले को भी PDA पाठशाला से चुनौती दे रही है। अखिलेश यादव यह प्रचारित करते हुए कई बार कह चुके हैं कि पीडीए वर्ग के बच्चों के ख़िलाफ़ यह फ़ैसला यूपी सरकार में लिया है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग के पाल-गड़रिया जाति की विधायक पूजा पाल को पार्टी से निकालने को बीजेपी सपा के ख़िलाफ़ प्रचारित कर सकती है। पाल-गड़रिया जाति यूपी की आबादी में लगभग 4 प्रतिशत है और पश्चिमी यूपी, अवध और बुंदेलखंड तक में क़रीब 22-25 सीटों में वोट को प्रभावित करती है।पूजा पाल को मंत्री बनाकर भाजपा इस ‘ग़ैर यादव ओबीसी’ वोट को संदेश दे सकती है। भाजपा इसे ‘ओबीसी सम्मान’ से जोड़ कर प्रचार की रणनीति बना सकती है।
बुलडोजर एक्शन का प्रचार
राजू पाल की हत्या और माफिया अतीक अहमद के सफ़ाये को बीजेपी ‘माफिया मुक्त यूपी’ के संदेश के साथ भी लोगों के बीच ले जा सकती है।बीजेपी इसे ‘सपा की माफिया समर्थक छवि’ और वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण के ख़िलाफ़ भी प्रचारित कर सकती है। पूजा पाल को मंत्री बनाकर भाजपा योगी सरकार की ‘बुलडोजर एक्शन’ और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस को भी उठा सकती है। सपा से निकाले जाने के बाद पूजा पाल ने सोशल मीडिया पर इस बात को खुलकर कहा है कि समाजवादी पार्टी ने एक वोट बैंक को खुश करने के लिए ही उनको पार्टी से निकाला है।पूजा पाल इस मुद्दे पर भावनात्मक अपील भी कर रही हैं। ज़ाहिर है इसे न्याय के लिए एक महिला की लड़ाई के तौर पर भी भाजपा प्रचारित कर सकती है।
हालांकि, पूजा पाल के भाजपा में जाने की चर्चा पहली बार नहीं हो रही है। पिछले साल इस तरह की चर्चा हुई थी कि पूजा पाल भाजपा के संपर्क में हैं। फ़रवरी 2024 में राज्यसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी संजय सेठ के जीतने में सपा के जिन सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की भूमिका थी, उनमें भी पूजा पाल शामिल थीं। इस साल जून में सपा ने उनमें से तीन विधायकों को पार्टी से निकाला दिया था। लेकिन विधानसभा में पार्टी के स्टैंड से अलग पूजा पाल के यूपी के मुख़्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ़ करने के बाद उनको पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में सपा से निकाल दिया गया।