बिहार है असफल राज्य, पीके बोल हार से हताशा या खीझ
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बिहार है असफल राज्य, 'पीके बोल' हार से हताशा या खीझ

बिहार विधानसभा की चार सीटों के लिए उपचुनाव में NDA ने बाजी मारी। तेजस्वी यादव ने BJP की चतुराई बताई वहीं प्रशांत किशोर व्यवस्था को दोष दे रहे है।


Prashant Kishor News: आप स्कूली छात्रों की जुबां से सुनते होंगे कि तैयारी अच्छी थी लेकिन पेपर आउट ऑफ सिलेबस था और उसकी वजह से रिजल्ट खराब हो गया। क्या करें टीचर ने बहुत कड़ाई की और मामला खराब हो गया। यानी कि खुद में कमी ढूंढने की जगह औरों में खामी निकालना। कुछ इसी तरह का जवाब जन सुराज पार्टी के कर्ता धर्ता प्रशांत किशोर की तरफ से भी आया। उन्होंने अमेरिका में बिहार के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा राज्य असफल है। उन्होंने अंग्रेजी में Bihar Failed State का जिक्र किया।

अब सवाल यह है कि उनका या गुस्सा है, खीझ है, परेशानी या हकीकत है। लेकिन उससे पहले बिहार विधानसभा की चार सीटों के उपचुनाव के नतीजे को समझिए। सभी चार सीटों पर एनडीए अपना झंडा लहराने में कामयाब हुआ। यानी कि इंडिया गठबंधन को ना तो विजय मिली और ना ही नई नवेली पार्टी जनसुराज पार्टी को कामयाबी मिली। जन सुराज पार्टी का नया अवतार वैसे तो 2 अक्टूबर को हुआ। लेकिन पिछले दो साल से जन सुराज यात्रा के जरिए प्रशांत किशोर ने बिहार को मथने की कोशिश की थी।

'इसमें दो मत नहीं कि बिहार विफल राज्य'
प्रशांत किशोर ने कहा है कि बिहार वास्तव में एक विफल राज्य है, जो गहरे संकट में है और इसके सर्वांगीण विकास के लिए जबरदस्त प्रयासों की आवश्यकता है। वो कहते हैं कि उनकी पार्टी 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करेगी और कहा कि वह शराब पर प्रतिबंध हटाएंगे और राजस्व का उपयोग स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए करेंगे। हमें यह समझना होगा कि यह (Bihar) एक ऐसा राज्य है जो गहरे संकट में है। अगर बिहार एक देश होता तो यह दुनिया में जनसंख्या के मामले में 11वां सबसे बड़ा देश होता। हमने जनसंख्या के मामले में जापान को पीछे छोड़ दिया है। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि समाज बिहार की स्थिति को सुधारने के बारे में "निराशाजनक" हो गया है। उन्होंने कहा कि जब आप निराश हो जाते हैं, तो तत्काल अस्तित्व की जरूरतें इतनी प्रबल हो जाती हैं कि कुछ भी (अन्य) मायने नहीं रखता। हालांकि किशोर ने कहा कि सब कुछ खत्म नहीं हुआ है।

पिछले ढाई सालों में हमने जो कुछ किया है, उससे कुछ उम्मीदें जरूर हैं। लेकिन इसे ठोस चुनावी नतीजे और आगे चलकर शासन के नतीजे में बदलने में समय लगेगा। जो कोई भी इसका हिस्सा बनना चाहता है, उसे कम से कम पांच-छह साल तक प्रतिबद्ध रहना होगा। जन सुराज की सरकार 2025 में बन जाए और हम इसी तीव्रता से कड़ी मेहनत करते रहें, लेकिन अगर बिहार 2029-2030 तक मध्यम आय वाला राज्य बन जाए, तो यह बड़ी बात होगी। यह सभी विकासात्मक मापदंडों पर आज की स्थिति में सचमुच एक विफल राज्य है।

'असफल राज्य की सभी खासियत बिहार में'
उन्होंने कहा कि असफल राज्यों की विशेषताएं यहां की आबादी में दिखाई देती हैं। उदाहरण के लिए कभी-कभी हम सोचते हैं...सूडान में लोग 20 साल से गृहयुद्ध में क्यों लड़ रहे हैं। क्योंकि जब आप उस असफल राज्य में होते हैं, तो लोगों को इस बात की चिंता नहीं होती कि हमारे बच्चे सूडान में कैसे पढ़ेंगे। उन्हें इस बात की चिंता होती है कि किसे गोली मारनी है और कहां पकड़ना है। तो बिहार में भी यही स्थिति है। और हमें इसके बारे में पता होना चाहिए। किशोर ने बिहारी प्रवासी समुदाय से कहा कि वह "उन्हें डराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्हें जमीनी हकीकत और आगे की लंबी राह के बारे में जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2025 (बिहार विधानसभा चुनाव) में जन सुराज जीतेगा। इसमें कोई संदेह नहीं है हम नहीं जीतेंगे।

सत्तारूढ़ एनडीए ने उपचुनावों में सभी चार सीटों पर जीत दर्ज की।किशोर ने आगे कहा कि बिहारी समुदाय ने बिहार के विकास के लिए कुछ खास नहीं किया है।"मैंने ज़मीन पर कुछ भी ठोस नहीं देखा है। सत्रों के अलावा, मैंने ज़मीन पर कुछ भी ठोस नहीं देखा है। मैं इस बारे में स्पष्ट रूप से कह सकता हूँ। आखिरकार, आप कुछ भी नहीं करते हैं। इसे अन्यथा न लें। लेकिन आप कुछ भी नहीं करते हैं," उन्होंने सभा को बताया।

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