
शिंदे गुट में फूट? भाषा विवाद के बीच शिवसेना नेता का अजीब कदम
BMC elections 2025: प्रताप सरनाइक के कदम ने भाषा-बेस्ड राजनीति में शिंदे को संकट में खड़ा कर दिया है. BMC चुनाव से पहले यह मराठी मुद्दा कई मोड़ ले सकता है. ठाकरे पुनर्मिलन ने इस मुद्दे को और भी राजनीतिक महत्व दिया है.
Thackeray family united: राजनीति के रंगमंच पर महाराष्ट्र में एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जिसने सबको चौंका दिया. शिवसेना सरकार में मंत्री होते हुए भी प्रताप सरनाइक एमएनएस के विरोध प्रदर्शन में शामिल होने पहुंच गए. वहीं, प्रदर्शनकारियों ने उन्हें 'गद्दार' कहकर भगा दिया. ये सिर्फ एक विरोध नहीं, बल्कि मराठी अस्मिता, चुनावी रणनीति और ठाकरे परिवार की वापसी से जुड़ी एक बड़ी कहानी का हिस्सा है.
सरनाइक ने पुलिस की कार्यवाही की आलोचना की और इस मार्च को “मराठी हितों के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन” बताया था. लेकिन उनका यह कदम सवालों को जन्म दे गया. क्या यह उनका व्यक्तिगत फैसला था या शिवसेना (शिंदे गुट) नेतृत्व का इशारा?
मजबूत रुख या अचूक चाल?
माना जा रहा है कि शायद उन्होंने उद्धव या शिंदे से जानकारी लिए बगैर यह कदम उठाया. हालांकि, शिवसेना नेतृत्व ने स्पष्ट टिप्पणी से परहेज किया, इसीलिए कुछ विश्लेषक बहस कर रहे हैं कि यह कदम शीर्ष नेतृत्व की रणनीति का हिस्सा हो सकता है.
भाषावाद बनाम राजनीति का फेर
भाषा का सवाल महाराष्ट्र की राजनीति में भावनात्मक मुद्दा रहा है. शिवसेना संस्थापक बाल ठाकरे ने सदैव मराठी माणूस के समर्थन की वकालत की है. लेकिन शिंदे‑भाजपा गठबंधन ने यह मुद्दा जोर-शोर से नहीं उठाया, जिससे शिवसेना समर्थक शायद फीके रहे। सरनाइक का कदम इसे “FOMO (Fear Of Missing Out)” पल भी कहा जा रहा है, जहां वे एमएनएस के भाषाई पाखण्ड में शामिल होकर मराठी मुद्दे पर बराबरी करना चाह रहे थे.
ठाकरे पुनर्मिलन
उद्धव–राज ठाकरें की हालिया पुनर्मिलन ने ठाकरे परिवार को राजनीतिक रूप से एकजुट कर दिया है. यह पुनर्मिलन भाषा आंदोलन में प्रबल नींव प्रदान कर सकता है, जो शिंदे‑भाजपा गठबंधन के चुनावी सफर के लिए चुनौती बनेगा. राज ठाकरे ने भाषाई मुद्दे पर गंभीरता से वार किया, जबकि उद्धव ने ज़ोरदार विरोध किया.
बीएमसी चुनाव
इस साल होने वाले मुंबई के नगर निगम (BMC) चुनाव में यह मुद्दा निर्णायक साबित हो सकता है. शिंदे‑भाजपा गठबंधन को मराठी मतदाता का समर्थन सुरक्षित करना होगा. एमएनएस और शिवसेना (UBT) इस भाषा मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने की स्थिति में हैं.
उद्धव गुट का जवाबी हमला
शिप्रा राउत समेत शिवसेना (UBT) नेताओं ने शिंदे को निशाने पर लिया. बाल ठाकरे की तस्वीर हटाने को कहा जा रहा है. क्योंकि शिंदे ने भाजपा के विरोधी भाजपाई Nishikant Dubey से गठबंधन किया है. राउत ने कहा कि अगर शिंदे यह मुद्दा प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से नहीं उठा सकते तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए. उन्होंने शिंदे नेतृत्व के 'डुप्लिकेट शिवसेना' की भी उपमा दी.