महाकुंभ में मिले 'IIT बाबा' अभय सिंह, जानें क्यों एयरोस्पेस इंजीनियरिंग छोड़ बने सन्यासी?
Engineer Baba Abhay Singh: महाकुंभ में पहुंचे आईआईटी बाबा अभय सिंह ने अपने इंजीनियरिंग वाले जीवन को आध्यात्मिकता के लिए समर्पित कर दिया.
IITian Baba Abhay Singh: दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव महाकुंभ का आयोजन इस बार उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हो रहा है. यहां देश-विदेश से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. नागा बाबा, अघोरी और महिला संत लगातार लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं. हालांकि, इन सबके बीच एक शख्स ऐसा है, जो अपने खास अंदाज के चलते सभी का ध्यान खींच रहा है. ये हैं 'IITian Baba' अभय सिंह. महाकुंभ में इन्हें लोग इंजीनियर बाबा के नाम से भी जानते हैं. आईआईटी बॉम्बे के पूर्व एयरोस्पेस इंजीनियर अभय सिंह के सन्यासी बनने की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है.
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु त्रिवेणी संगम के पवित्र जल में आध्यात्मिक शांति और शुद्धि की तलाश में जुटे हुए हैं. इस आध्यात्मिक समागम में शामिल होने वाले कई संत, ऋषियों और धार्मिक नेताओं के बीच आईआईटी बाबा अभय सिंह सबके नजरों में बने हुए हैं. इन्होंने अपने इंजीनियरिंग वाले जीवन को आध्यात्मिकता के लिए समर्पित कर दिया. अभय सिंह की तरह उनके जीवन की कहानी भी बेहद अनूठी है.
अभय सिंह मूलरूप से हरियाणा के रहने वाले हैं. उन्होंने अपने सन्यासी जीवन के सफर के बारे में बताते हुए कहा कि उन्होंने आध्यात्मिकता के लिए साइंस का मार्ग छोड़ दिया. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे से अपनी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की है.
उन्होंने कहा कि फोटोग्राफी और आर्ट पर अपना ध्यान केंद्रित करने से पहले वे चार साल तक मुंबई में रहे. यहां तक कि उन्होंने फिल्म '3 इडियट्स' के साथ अपनी जिंदगी के बारे में समानताएं भी बताईं. अभय सिंह को कैंपस प्लेसमेंट के ज़रिए नौकरी का प्रस्ताव मिला था. उन्होंने कुछ समय तक कॉर्पोरेट जगत में काम भी किया. लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि उनका असली लक्ष्य कहीं और है.
फोटोग्राफी, खास तौर पर ट्रैवल फोटोग्राफी के प्रति उनके जुनून ने ही उन्हें इंजीनियरिंग छोड़ने के लिए मजबूर किया. उन्होंने ट्रैवल फोटोग्राफी में पेशेवर कोर्स किया. जो उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. उन्होंने कहा कि इस दौरान जीवन के बारे में मेरा दर्शन बदलने लगा. फोटोग्राफी में कदम रखने के बाद अभय सिंह ने अध्यापन में भी हाथ आजमाया. उन्होंने एक कोचिंग सेंटर खोला, जहां उन्होंने छात्रों को फिजिक्स भी पढ़ाया. हालांकि, अपनी शैक्षणिक सफलता के बावजूद, पारंपरिक करियर पथ ने उन्हें वह संतुष्टि नहीं दी, जिसकी उन्हें तलाश थी. धीरे-धीरे उनकी रुचि अध्यात्म की ओर बढ़ी और उन्होंने अपना जीवन गहन आध्यात्मिक सत्य को समझने और अनुभव करने के लिए समर्पित कर दिया.
आज अभय सिंह खुद को भगवान शिव का भक्त मानते हैं. उन्होंने कहा कि अब मैं अध्यात्म का आनंद ले रहा हूं. मैं विज्ञान के माध्यम से अध्यात्म को समझता हूं. मैं इसकी गहराई में जा रहा हूं. सब कुछ शिव है. सत्य शिव है और शिव सुंदर है.
महाकुंभ में उनकी उपस्थिति ने लोगों में जिज्ञासा जगाई है. क्योंकि वे पत्रकारों से अंग्रेजी में बात कर सकते हैं. वैज्ञानिक ज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान का उनका मिश्रण उन्हें एक तपस्वी की पारंपरिक छवि से अलग करता है. सोशल मीडिया पर, वह एक मामूली लेकिन बढ़ती हुई उपस्थिति बनाए रखते हैं. इंस्टाग्राम पर, उनके लगभग 29,000 अनुयायी पहले ही बन चुके हैं. उनके पोस्ट मुख्य रूप से ध्यान, योग, प्राचीन सूत्रों और आध्यात्मिक प्रथाओं के इर्द-गिर्द घूमते हैं. महाकुंभ में अपने अनुभव के बारे में बोलते हुए अभय ने कहा कि वहां रहने से उन्हें मानसिक शांति मिली है.