‘500 करोड़ का सीएम’ बयान, नवजोत कौर सिद्धू के दावे से पंजाब कांग्रेस में घमासान
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‘500 करोड़ का सीएम’ बयान, नवजोत कौर सिद्धू के दावे से पंजाब कांग्रेस में घमासान

इस बयान के बाद कांग्रेस ने नवजोत कौर को पार्टी से निलंबित कर दिया, लेकिन इससे वह और अधिक आक्रामक हो गईं।


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Punjab Congress crisis: चार साल पहले नवजोत सिंह सिद्धू की बगावत से शुरू हुई घटनाओं ने आखिरकार 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार का रास्ता तैयार किया था, अब एक बार फिर पार्टी के लिए संकट का कारण बन गई है। इस बार कांग्रेस को असहज स्थिति में डालने वाली शख्सियत सिद्धू की पत्नी और पूर्व विधायक नवजोत कौर सिद्धू हैं। पंजाब की राजनीति में चल रहे इस घटनाक्रम को और जटिल बना रहे हैं पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, जिन्हें सिद्धू की बगावत के चलते मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था और जो अब बीजेपी में हाशिये पर चले गए हैं।

कौर का विस्फोटक बयान

इसी महीने की शुरुआत में कैंसर से पूरी तरह उबर चुकीं नवजोत कौर सिद्धू ने जब यह कहा कि पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के लिए “500 करोड़ रुपये से भरा सूटकेस” चाहिए तो कांग्रेस नेतृत्व को गहरी असहजता का सामना करना पड़ा। राजनीतिक गलियारों में इस बयान को इस संकेत के रूप में देखा गया कि कांग्रेस हाईकमान कथित तौर पर कीमत लेकर मुख्यमंत्री चुनता है। यह वही पद है, जो सितंबर 2021 में नवजोत सिंह सिद्धू के पति को नहीं मिला और अप्रत्याशित घटनाक्रम में चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री बने थे।

इस बयान के बाद कांग्रेस ने नवजोत कौर को पार्टी से निलंबित कर दिया, लेकिन इससे वह और अधिक आक्रामक हो गईं। उन्होंने पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव सुखजिंदर सिंह रंधावा समेत कई वरिष्ठ नेताओं पर आरोप लगाए।

पति के रास्ते पर चल रहीं कौर?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नवजोत कौर अपने मुखर पति के ही रास्ते पर चलती दिख रही हैं। पंजाब कांग्रेस के भीतर मूल ‘विघटनकारी’ माने जाने वाले नवजोत सिंह सिद्धू की इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी ने भी अटकलों को हवा दी है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर अपने संक्षिप्त कार्यकाल के दौरान सिद्धू ने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों आम आदमी पार्टी, अकाली दल और भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोलने के बजाय अपनी ही पार्टी की चन्नी सरकार पर हमले किए थे। कौर के बयान का एक और असर यह हुआ है कि पंजाब कांग्रेस के भीतर गुटबाजी फिर से सतह पर आ गई है। लुधियाना से सांसद और प्रदेश अध्यक्ष वड़िंग के खिलाफ असंतोष की आवाजें तेज हो रही हैं।

कांग्रेस हाईकमान की चुप्पी

नवजोत कौर के आरोपों से आहत कांग्रेस हाईकमान ने कथित तौर पर पंजाब के नेताओं को पार्टी के आंतरिक मामलों पर सार्वजनिक या मीडिया में चर्चा न करने का निर्देश दिया है। इस रणनीतिक चुप्पी के जरिए पार्टी भीतर बढ़ती दरारों को ढकने की कोशिश कर रही है। इसी बीच कांग्रेस को अप्रत्याशित समर्थन कैप्टन अमरिंदर सिंह की ओर से मिलता दिख रहा है। वही, नेता जिन्हें सिद्धू के प्रभाव में पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखाया था और जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए।

कैप्टन का तीखा हमला

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत कौर के आरोपों को “खुला झूठ” करार दिया और नवजोत दंपती को “मानसिक रूप से असंतुलित” बताया। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही भाजपा में रहते हुए उनकी सलाह शायद ही सुनी जाती हो, लेकिन उन्हें कांग्रेस की “लोकतांत्रिक कार्यशैली” की याद आती है, जहां फैसले सभी नेताओं से चर्चा के बाद लिए जाते थे। कैप्टन ने हाल ही में यह भी कहा था कि अकाली दल के साथ गठबंधन के बिना भाजपा पंजाब में सरकार नहीं बना सकती और भाजपा अब भी पंजाब को नहीं समझती।

सूत्रों के अनुसार, 83 वर्षीय कैप्टन अमरिंदर सिंह, जो सोनिया गांधी से अब भी सौहार्दपूर्ण संबंध रखते हैं, कांग्रेस से सुलह की राह तलाश रहे हैं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस नेतृत्व उनके संकेतों पर कैसे प्रतिक्रिया देगा या नवजोत कौर के साथ चल रहा टकराव किस दिशा में जाएगा।

उपचुनावों में कांग्रेस की लगातार हार

पंजाब में कांग्रेस की स्थिति पहले से ही कमजोर है। पिछले महीने तरनतारन विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा, जहां उसके उम्मीदवार करणबीर सिंह बुर्ज चौथे स्थान पर रहे। मार्च 2022 में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत के बाद कांग्रेस जालंधर वेस्ट, छब्बेवाल, डेरा बाबा नानक, गिद्दड़बाहा और हाल में लुधियाना वेस्ट जैसे उपचुनाव भी हार चुकी है। इनमें लुधियाना वेस्ट, गिद्दड़बाहा और डेरा बाबा नानक की हार खास तौर पर इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि ये सीटें प्रदेश अध्यक्ष वड़िंग और राष्ट्रीय महासचिव रंधावा जैसे बड़े चेहरों से जुड़ी थीं।

असंतोष की आवाजें तेज

नवजोत कौर की बगावत और वड़िंग व रंधावा पर उनके सीधे हमलों ने पार्टी के भीतर असंतुष्ट गुटों को खुलकर बोलने का मौका दे दिया है। वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा, पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और अन्य नेताओं पर भी सवाल उठने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि पार्टी के भीतर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, हालांकि यह सब अभी बंद कमरों में हो रहा है।

नेतृत्व पर सवाल

कई नेताओं का मानना है कि मौजूदा राजनीतिक हालात में वड़िंग पार्टी की सबसे बड़ी कमजोरी बनते जा रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि वे वरिष्ठ नेताओं पर अनुशासन लागू करने के लिए बहुत जूनियर हैं और कई बार राजनीतिक रूप से अपरिपक्व बयान दे बैठते हैं। तरनतारन उपचुनाव के दौरान उम्मीदवार की तुलना “वफादार कुत्ते” से करने और दिवंगत दलित नेता बूटा सिंह की रंगत पर टिप्पणी जैसे बयान पार्टी के लिए असहजता का कारण बने। पंजाब में चुनाव को अब ज्यादा समय नहीं बचा है, ऐसे में पार्टी की चुनावी रणनीति को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इस पर कांग्रेस के पंजाब प्रभारी सचिव रविंद्र डालवी ने सिर्फ इतना कहा कि पार्टी एकजुट होकर चुनाव लड़ेगी। उन्होंने कहा कि सभी नेता मिलकर काम करेंगे और हम चुनाव जीतेंगे। वे पार्टी की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हैं और पूरी मेहनत कर रहे हैं।

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