दो लड़कों की जोड़ी कब तक, रिश्ते की मजबूती तय करेंगे नतीजे
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राहुल गांधी- अखिलेश यादव को दो लड़कों की जोड़ी कहते हैं.

दो लड़कों की जोड़ी कब तक, रिश्ते की मजबूती तय करेंगे नतीजे

सियासत में रिश्ते एक जैसे कभी नहीं होते. 2017 में राहुल गांधी- अखिलेश यादव एक बैनर तले चुनाव लड़े. लेकिन सात साल तक राह जुदा रही. अब एक बार फिर साथ है. लेकिन यह साथ कब तक..


Rahul Gandhi- Akhilesh Yadav News: देश की सियासत में आप दो लड़कों की जोड़ी को सुनते होंगे. अगर आप की राजनीति में दिलचस्पी होगी तो समझना कठिन नहीं होगा कि वो दो लड़के कौन से हैं. लेकिन जिनकी दिलचस्पी कम होगी उन्हें हम बताएंगे कि वो दो लड़के कौन हैं. जी हां, उनका नाम अखिलेश यादव और राहुल गांधी है. अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष तो राहुल गांधी कांग्रेस के कद्दावर चेहरा हैं.

2017 में बनी थी जोड़ी

बात सात साल पुरानी है. 2017 में यूपी में विधानसभा चुनाव होने वाला था.राज्य की कमान अखिलेश यादव के हाथ में थी और वो एक बार यूपी की सत्ता पर काबिज होने की कोशिश कर रहे थे. उधर विपक्ष के तौर पर बीजेपी हमलावर थी. इस सूरत में अपने राजनीतिक आधार को बढ़ाने के लिए सपा और कांग्रेस दोनों एक साथ आए और इस तरह दो लड़कों की चर्चा होने लगी. लेकिन मूल सवाल वही था कि यह जोड़ी कब तक चलती. यूपी विधानसभा चुनाव के नतीजे जब सामने आए तो समाजवादी पार्टी बुरी तरह हार चुकी थी और उसका असर कांग्रेस के साथ तलाक में नजर आया.

2017 में नतीजों के बाद तलाक

2017 के बाद यूपी में दो और चुनाव हुए. 2019 में आम चुनाव और 2022 में विधानसभा चुनाव. इन दोनों चुनावों में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. हालांकि 2022 विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के प्रदर्शन में थोड़ा सुधार हुआ था.लेकिन सच तो यही था कि समाजवादी पार्टी एक बार फिर सरकार बनाने में नाकाम रही. लेकिन सियासत का फलसफा यही है कि जीत हो या हार आगे बढ़ते चलो. उस क्रम में साल 2024 आया. 2024 का साल इसलिए भी खास क्योंकि देश को आम चुनाव के दौर से गुजरना था.राजनीतिक समीकरणों को बनने और बिगड़ने की खबरें सामने आने लगीं. सात साल के राजनीतिक मिजाज को समझने के बाद एक बार फिर यूपी के ये दोनों लड़के एक साथ आ गए.

सात साल बाद फिर आए साथ

2024 में इंडिया गठबंधन के बैनर तले अखिलेश यादव और राहुल गांधी प्रचार में जुटे हैं. कन्नौज की रैली में अखिलश यादव ने कहा था कि बब्बर शेर बनकर हम शिकार कर रहे हैं. ये दोनों नेता कहते हैं कि चार जून को नया सवेरा होने वाला है. मोदी सरकार की विदाई तय हैं.लेकिन एक तस्वीर पर और गौर करिए. अगर नतीदे मोदी सरकार के पक्ष में जाते हैं तो क्या इन दो लड़कों की जोड़ी सही सलामत बनी रहेगी. दरअसल यह सवाल इसलिए वाजिब है कि अगर 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को कामयाबी नहीं मिली तो क्या इन दोनों लड़कों का साथ आगे तक जारी नहीं रह सकता था.

नतीजे तय करेंगे रिश्ते

इसके जवाब में जानकार कहते हैं कि पहली नजर में आप स्वार्थ की राजनीति कह सकते हैं. फायदा मिले तो ठीक ना मिले तो राम राम कर लो. लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह भी है कि सियासत में संवेदना की जगह सिर्फ वहीं तक बनी रहती है जहां खुद का बहुत नुकसान हो. यदि 2024 के आम चुनाव में एक बार फिर मोदी सरकार को कामयाबी मिलती है तो 2029 आम चुनाव तक इन दोनों लड़कों को इंतजार करना होगा. हालांकि 2027 में यूपी विधानसभा चुनाव भी होगा. लिहाजा इनके संबंधों की मजबूती या कमजोरी को तात्कालिक और दूरगामी फैसले निर्धारित करेंगे.
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