
रायता खाने के बाद एंटी-रैबीज टीका क्यों लगवा रहे हैं यूपी के इस गांव के लोग?
भैंस के दूध से बना रायता यूपी के बदायूं जिले के पिपरौल गांव में लोगों में बदहवासी की वजह बना हुआ है। इस गांव के लोग एंटी-रेबीज टीके लगवाने के लिए दौड़ने पर मजबूर हैं।
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के पिपरौल गांव के लोग आजकल बड़े डरे-सहमे हैं। उनके डर का आलम ये है कि वो पिछले तीन दिन से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी-रेबीज के टीके लगवाने के लिए कतारों में खड़े नजर आ रहे हैं। इसकी वजह है एक भैंस, जिसके दूध से पिछले मंगलवार को आयोजित एक तेरहवीं समारोह में एक व्यंजन तैयार किया गया था और जिसे सैकड़ों लोगों ने खाया था। वह भैंस कुछ दिनों बाद मर गई। बताया जा रहा है कि भैंस को किसी आवारा कुत्ते ने काट लिया था। अब उस भैंस के दूध से बना रायता खाने वाले लोग भयभीत हैं।
स्थानीय निवासियों के मुताबिक, यह तेरहवीं समारोह गांव के ही निवासी ओरन साहू के निधन के बाद आयोजित किया गया था, जिसमें पिपरौल गांव और आसपास के इलाकों के कई लोग शामिल हुए थे। तीन दिन बाद मृतक के चचेरे भाई की भैंस की मौत हो गई। ग्रामीणों का आरोप है कि इसी भैंस के दूध से समारोह में परोसे गए व्यंजनों में से एक रायता बनाया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके बाद गांव में एक आपात बैठक बुलाई गई, जिसमें ग्रामीणों ने एंटी-रेबीज का टीका लगवाने का फैसला किया।
गांव में मेडिकल टीम तैनात
अधिकारियों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि स्थिति का आकलन करने और ग्रामीणों को समझाने के लिए गांव में एक मेडिकल टीम तैनात की गई है। हालांकि, ग्रामीणों ने खुद ही आपात बैठक कर टीकाकरण का निर्णय लिया।
मीडिया रिपोर्ट से पता चला है कि पिछले दो दिनों में, 26 दिसंबर से अब तक 200 से ज्यादा ग्रामीण एंटी-रेबीज के इंजेक्शन लगवा चुके हैं, जबकि बाकी लोग टीकाकरण की प्रक्रिया में हैं।
करीब 1,800 की आबादी वाले पिपरौल गांव में चिंता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि जिस आवारा कुत्ते ने कथित तौर पर भैंस को काटा था, उसका अब तक कोई पता नहीं चल सका है। इसके अलावा, भैंस को बिना पोस्टमॉर्टम कराए ही दफना दिया गया, जिससे उसकी मौत का सही कारण पता नहीं चल सका।
पिछड़ा वर्ग बहुल पिपरौल गांव की आबादी करीब 1,800 है। मीडिया रिपोर्ट में बदायूं के उझानी स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के अधीक्षक डॉ. सर्वेश कुमार के हवाले से बताया गया है कि पिछले दो दिनों में पिपरौल गांव के करीब 250 लोगों को हमारे केंद्र पर एंटी-रेबीज वैक्सीन दी गई है। सिर्फ शुक्रवार को ही 110 लोगों को इंजेक्शन लगाया गया।
डॉ. सर्वेश कुमार ने ग्रामीणों से घबराने की बजाय संयम बरतने की अपील की। उन्होंने कहा कि मेडिकल टीमें लगातार गांव में लोगों को समझा रही हैं और पैनिक न करने की सलाह दे रही हैं। बदायूं के एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्सा अधिकारी डॉ. महेश प्रताप ने भी कहा कि संभावित जोखिम के डर से लोग स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंच रहे हैं और उन्हें एहतियात के तौर पर एंटी-रेबीज टीके लगाए जा रहे हैं।
इसी तरह की एक घटना नवंबर में गोरखपुर के एक गांव में भी सामने आई थी, जहां एक गांव की गाय के दूध से बने पूजा प्रसाद (चरणामृत) को खाने के बाद कई लोग एंटी-रेबीज का टीका लगवाने पहुंच गए थे। बताया गया था कि उस गाय की मौत भी कथित तौर पर कुत्ते के काटने से हुई थी।

