यह आपदा नहीं लापरवाही, कोचिंग सेंटर हादसे पर छात्रों का फूटा गुस्सा
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'यह आपदा नहीं लापरवाही', कोचिंग सेंटर हादसे पर छात्रों का फूटा गुस्सा

दिल्ली के राजेंद्र नगर स्थित आईएसए कोचिंग सेंटर हादसे पर छात्रों ने कहा कि इस इलाके में बेसमेंट में अवैध तरीके से लाइब्रेरी चलाई जा रही है जिस पर रोक की जरूरत है।


Old Rajendra Nagar Coaching Centre: दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भरने से तीन छात्रों की मौत हो गई. बेसमेंट में करीब 12 फुट तक पानी भर गया और बचाव कार्य के लिए गोताखोरों की मदद लेनी पड़ी। दिल्ली नगर निगम की मेयर शैली ओबेरॉय कहती हैं कि जांच के आदेश दिए गए हैं और जो लोग दोषी पाए जाएंगे उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन छात्रों का क्या कुछ कहना है पहले उसे समझना जरूरी है. छात्रों के मुताबिक जो लोग आपदा की राग अलाप रहे हैं उन्हें समझना चाहिए. हकीकत तो यह है कि यहां पर हर साल पानी भर जाता है।

आपदा नहीं पूरी तरह से लापरवाही
"एमसीडी का कहना है कि यह आपदा है, लेकिन मैं कहूंगा कि यह पूरी तरह से लापरवाही है। आधे घंटे की बारिश में घुटनों तक पानी भर जाता है। आपदा कभी-कभी होती है। मेरे मकान मालिक ने कहा कि वह पिछले 10-12 दिनों से पार्षद से कह रहा था कि नाले की सफाई होनी चाहिए... पहली मांग यह है कि दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। तत्काल मांग यह है कि घायलों और मौतों की वास्तविक संख्या बताई जाए... आपदा प्रबंधन के लोगों ने मुझे बताया कि 8-10 लोग मारे गए हैं..." यह दावा एक छात्र ने किया जो कल रात एक कोचिंग संस्थान के बेसमेंट में पानी भरने और तीन छात्रों की जान जाने के बाद एमसीडी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा था।

सब कुछ अवैध
यूपीएससी के एक अभ्यर्थी ने कहा, "हमारी मांग है कि इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यहां बेसमेंट में खोली गई ये सारी चीजें अवैध रूप से संचालित की जा रही हैं और इनमें सुरक्षा के कोई उपाय नहीं हैं। इसलिए इन सब चीजों को रोका जाना चाहिए और कार्रवाई की जानी चाहिए..."

अवैध लाइब्रेरी बंद
यूपीएससी की तैयारी कर रहे अमन शुक्ला कहते हैं, "हमारी मांग है कि सबसे पहले, बेसमेंट में अवैध रूप से बनी ये सभी लाइब्रेरी बंद की जानी चाहिए। एमसीडी को देखना चाहिए कि समस्या कहां है, यह पहली बार नहीं है जब यहां पानी भरा है। पिछली बार जब बारिश हुई थी, तो कारें पानी में तैर रही थीं। एक साल में उन्होंने कुछ नहीं किया... अभी तक किसी वरिष्ठ अधिकारी ने यहां का दौरा नहीं किया है..."


कोई तो जिम्मेदारी ले

सरकार की तरफ से बड़ी बड़ी बात कही जा रही हैं। लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हो रहा। कोई जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता। हमारी तो सिर्फ यही मांग है कि कम से कम संबंधित छात्र के बारे में कोई जानकारी तो ले।

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