
बंद होने की कगार पर वाइजैग स्टील प्लांट, आंध्र प्रदेश में सभी पार्टियां चुप
राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड को वाइजैग स्टील के नाम से भी जाना जाता है. इस प्लांट के पूरी तरह बंद से होने की आशंकाएं बढ़ गई हैं.
Vizag Steel Plant Privatization: सरकारी स्वामित्व वाली राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) को वाइजैग स्टील के नाम से भी जाना जाता है. इस प्लांट में कर्मचारियों की चल रही अनिश्चितकालीन हड़ताल को 1,314 दिन हो गए हैं. वहीं, फैक्ट्री के पूरी तरह बंद से होने की आशंकाएं भी बढ़ गई हैं. क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा प्लांट के निजीकरण के प्रयास के खिलाफ आरआईएनएल के कामगारों विरोध के कारण कच्चे माल, कोकिंग कोयले की कमी हो गई है.
प्लांट का तीसरा ब्लास्ट फर्नेस बंद होने की कगार पर है. क्योंकि कोकिंग कोल का स्टॉक एक सप्ताह से अधिक नहीं चल सकता है. आरआईएनएल के पास तीन ब्लास्ट फर्नेस हैं, जिनमें से एक मार्च 2024 से चालू नहीं है और दूसरा 12 सितंबर 2024 को बंद हो गया था.
चिंताजनक स्थिति
सीआईटीयू से जुड़े स्टील प्लांट एम्प्लाइज यूनियन के महासचिव यू रामास्वामी ने कहा कि स्थिति चिंताजनक है. साल 1982 में प्लांट की स्थापना के बाद पहली बार कंपनी को नकदी की कमी के कारण बंद होने का खतरा है. उन्होंने शिकायत की कि राज्य के राजनीतिक दलों में इस मामले में कोई तत्परता नहीं दिखती. हालांकि कारखाने को बंद करना केंद्र के लिए संयंत्र का शीघ्र निजीकरण करने की एक चाल बन जाएगा. विशाखापत्तनम स्थित कार्यकर्ता और पूर्व आईएएस अधिकारी ईएएस सरमा ने बताया कि केंद्र सरकार अत्यधिक मूल्यवान सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्तियों और जनशक्ति को एक निजी कंपनी को सस्ते दामों पर सौंपने के लिए प्रतिकूल माहौल बना रही हैय
अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कंपनी गंभीर नकदी संकट से जूझ रही है और गंगावरम और विशाखापत्तनम बंदरगाहों पर फंसे कोयले के शिपमेंट शुल्क का भुगतान भी नहीं कर पा रही है. भाजपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य जीवीएल नरसिम्हा राव ने भी कुछ समय पहले केंद्र से संकट से निपटने के लिए 3,110 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता जारी करने का आग्रह किया था. उन्होंने केंद्रीय वित्त सचिव टीवी सोमनाथन से मुलाकात की और तत्काल वित्तीय सहायता की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा. हालांकि, केंद्र से कोई मदद नहीं मिली है.
राजनीतिक दल चुप
कई लोगों को आश्चर्य इस बात पर है कि राजनीतिक दलों की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, चाहे वह सत्ताधारी दल हो या विपक्ष. विधानसभा चुनाव के साथ ही वाइजैग स्टील से उनका भावनात्मक लगाव खत्म होता दिख रहा है. जब केंद्र ने 2021 में अगले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए कंपनी के निजीकरण की नीति की घोषणा की थी तो उस समय राजनीतिक दलों ने इसे बड़ा मुद्दा बनाने के लिए आपस में होड़ लगा दी थी.
नीति का विरोध करते हुए आंध्र प्रदेश विधानसभा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया. इसका समर्थन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली विपक्षी टीडीपी ने किया, जिन्होंने मांग की थी कि मुख्यमंत्री को केंद्र को आरआईएनएल के निजीकरण के फैसले को रद्द करने के लिए मनाने के लिए दिल्ली में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करना चाहिए. बाद में, नॉर्थ वाइजैग निर्वाचन क्षेत्र से टीडीपी विधायक गंटा श्रीनिवासराव ने इस कदम का विरोध करते हुए सदन से इस्तीफा तक दे दिया.
साल 2023 में तत्कालीन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने भी इसमें हाथ डाला. यह कहते हुए कि वह संयंत्र के निजीकरण की अनुमति नहीं देंगे, जो कई बलिदानों के बाद हासिल हुआ था. राव ने कहा कि तेलंगाना की सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड (एससीसीएल) और तेलंगाना खनिज विकास निगम कंपनी का अधिग्रहण करने के लिए बोली में शामिल होंगे. हालांकि, जगन और केसीआर चुनाव हार गए और आंध्र प्रदेश में टीडीपी-जन सेना-बीजेपी गठबंधन सत्ता में आ गया है.
बदला हुआ राजनीतिक परिदृश्य
कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि इस शांत प्रतिक्रिया के पीछे राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव है. न तो सत्तारूढ़ दल, टीडीपी और जनसेना और न ही विपक्षी वाईएसआर कांग्रेस निजीकरण के कदम का पहले की तरह कड़ा विरोध करने की स्थिति में है. गौरतलब है कि वामपंथी दलों को छोड़कर कोई भी अन्य पार्टी स्टील प्लांट कर्मचारियों के चल रहे आंदोलन में शामिल नहीं हुई है. वाईएसआरसी ट्रेड यूनियन कांग्रेस के अध्यक्ष पुनुरु गौतम रेड्डी ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू इस मुद्दे पर खुलकर बात नहीं करेंगे. क्योंकि सत्ता में आने के बाद उनकी प्राथमिकताएं बदल गई हैं.
रेड्डी ने आरोप लगाया कि इस बात पर आम सहमति है कि आरआईएनएल वित्तीय संकट से गुजर रहा है और उत्पादन बंद होने की आशंका है. नायडू कच्चे माल और कोयले की खरीद के लिए तत्काल धन जारी करने की मांग करते हुए कैबिनेट प्रस्ताव पारित कर सकते थे. उन्होंने ऐसा नहीं किया है. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वे निजीकरण को आगे बढ़ाने में केंद्र की अप्रत्यक्ष रूप से मदद कर रहे हैं.
आंध्र का विशेष बंधन
आंध्र प्रदेश के लोगों का वाइजैग स्टील से खास रिश्ता है. साल 1963 में जब केंद्र ने देश में स्टील प्लांट लगाने का फैसला किया था तो इस प्रोजेक्ट को हासिल करने के लिए ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु से कड़ी प्रतिस्पर्धा थी. सरकार ने प्लांट के लिए उपयुक्त स्थान की सिफारिश करने के लिए ब्रिटिश अमेरिकन स्टील वर्क्स फॉर इंडिया कंसोर्टियम (BASIC) को नियुक्त किया था. गुंटूर के गांधीवादी टी अमृता राव के आमरण अनशन से शुरू हुए हिंसक आंदोलन के बाद बंदरगाह शहर विशाखापत्तनम को आखिरकार स्थान के रूप में चुना गया. इस आंदोलन में 32 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1970 में वाइजैग में प्लांट के स्थान की घोषणा करनी पड़ी.
इस प्लांट की आधारशिला जनवरी 1971 में इंदिरा गांधी ने रखी थी. 68 गांवों से 22,000 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी और पहली ब्लास्ट फर्नेस का उद्घाटन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने करीब दो दशक बाद 1990 में किया था. प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार और अन्य अवसरों के साथ इसने उत्तरी आंध्र प्रदेश की आर्थिक तस्वीर बदल दी है. विशाल भूमि बैंक निजी कंपनियों के लिए आकर्षण का केंद्र है. हालांकि, आंध्र के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने लोगों को आश्वासन दिया कि वे वाइजैग स्टील के निजीकरण को रोकने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे.
17 सितंबर को बाढ़ राहत कार्यों के दौरान विशाखापट्टनम में मीडिया को संबोधित करते हुए उन्होंने याद दिलाया कि कैसे उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में प्लांट के विनिवेश के प्रयासों को रोका था. उन्होंने आरआईएनएल की मौजूदा स्थिति के लिए पिछली वाईएसआर कांग्रेस सरकार की उदासीनता को जिम्मेदार ठहराया.
केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
इस बीच केंद्र सरकार ने दोहराया है कि वह नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई के विनिवेश की अपनी योजना पर आगे बढ़ेगी. 10 सितंबर को वाईएसआर कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य गोल्ला बाबूराव को पत्र लिखते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि आरआईएनएल में भारत सरकार की इक्विटी के रणनीतिक विनिवेश से इष्टतम उपयोग, क्षमता के विस्तार, प्रौद्योगिकी के निवेश और बेहतर प्रबंधन प्रथाओं के लिए पूंजी का निवेश होगा. इससे उत्पादन और उत्पादकता बढ़ेगी और प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों का विस्तार होगा. राज्यसभा में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में लिखे गए इस पत्र में केंद्र की इस रणनीति को और अधिक रेखांकित किया गया है कि संयंत्र को बंद करने से पहले उसे गंभीर वित्तीय संकट के कगार पर पहुंचने दिया गया.