
बिहार में अहम राजनीतिक घटनाक्रम : आरसीपी सिंह और प्रशांत किशोर एक हुए
कभी जेडीयू का संगठन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह बिहार में सीएम नीतीश कुमार के सामने पीके के साथ खड़े नजर आएंगे
बिहार की राजनीति में एक अहम घटनाक्रम हुआ है। कभी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के संगठन को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले रामचंद्र प्रसाद सिंह (आरसीपी सिंह) ने अब प्रशांत किशोर से हाथ मिला लिया है।जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के पूर्व नेता आरसीपी सिंह ने रविवार को जन सुराज पार्टी की सदस्यता ले ली।
भाजपा से विदाई के बाद पार्टी का जन सुराज में विलय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके आरसीपी सिंह ने हाल ही में भाजपा छोड़ दी थी। इसके बाद उन्होंने अपनी नई पार्टी "आसा (आप सबकी आवाज़)" बनाई। अब उन्होंने अपनी इस पार्टी का विलय प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज में कर दिया है।
आरसीपी सिंह का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वह अपनी पार्टी का विलय जन सुराज में करेंगे, लेकिन "शायद ऊपरवाले को यही मंजूर था।"
नीतीश से दूरी और भाजपा में हाशिए पर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जब आरसीपी सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ करीबी बढ़ाई, तो यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को नागवार गुज़रा। इसी के चलते जदयू ने उनसे दूरी बना ली। बाद में जब नीतीश कुमार खुद एनडीए में लौटे, तो आरसीपी सिंह का भाजपा में रहना अप्रासंगिक हो गया और वे हाशिए पर चले गए।
प्रशांत किशोर ने इस मौके का फायदा उठाते हुए उन्हें जन सुराज में शामिल कर लिया। माना जा रहा है कि बिहार में जदयू संगठन की नींव रखने में आरसीपी सिंह की भूमिका को देखते हुए पीके (प्रशांत किशोर) ने उन्हें अपने साथ जोड़ा है।
जदयू नेताओं से आरसीपी की अपील
मीडिया से बातचीत में आरसीपी सिंह ने कहा,"मैंने अपनी पार्टी 'आसा' का विलय जन सुराज में कर दिया है और प्रशांत किशोर का आभार व्यक्त करता हूं।"
उन्होंने जदयू के नेताओं से अपील करते हुए कहा कि, "जो लोग नीतीश कुमार की असली सोच से जुड़कर राजनीति और जनसेवा करना चाहते थे, वे अब जन सुराज का साथ दें, क्योंकि जदयू में अब ऐसी कोई भावना नहीं बची।"
‘आसा’ की शुरुआत और भविष्य की योजना
आरसीपी सिंह ने 31 अक्टूबर 2023 को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर अपनी पार्टी 'आसा' की घोषणा की थी। पार्टी का नाम "आप सबकी आवाज़" के भाव से प्रेरित था। उस समय उन्होंने दावा किया था कि 140 से अधिक लोग उनकी पार्टी से चुनाव लड़ने को तैयार हैं और संगठन प्रखंड से लेकर राज्य स्तर तक सक्रिय होगा।