
GROUND REPORT| सिगाची ब्लास्ट: क्या पुरानी मशीनें बनी 42 मौतों की वजह?
तेलंगाना की इस भीषण फैक्ट्री दुर्घटना ने एक बार फिर साबित किया है कि अगर सुरक्षा नियमों को नजरअंदाज किया जाए तो परिणाम जानलेवा हो सकते हैं। यूनियन और श्रमिक संगठनों ने अब सख्त कार्रवाई और पारदर्शिता की मांग की है। लेकिन सवाल ये है कि क्या अब भी सरकार और कंपनियां चेतेंगी?
तेलंगाना के पाशमायलारम स्थित सिगाची इंडस्ट्रीज की फार्मा यूनिट में हाल ही में हुए विस्फोट और आग की घटना में 42 मजदूरों की मौत और 33 अन्य घायल हो गए। हादसे ने राज्य में श्रमिक सुरक्षा और फैक्ट्री निरीक्षण व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राज्य में 19,580 फैक्ट्रियां संचालित हैं, जिनमें करीब 6.94 लाख मजदूर कार्यरत हैं। इनमें से बड़ी संख्या ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ से आए प्रवासी श्रमिकों की है।
यूनियन नेता का आरोप
तेलंगाना हिंदू मजदूर सभा यूनियन के अध्यक्ष रियाज अहमद ने The Federal Telangana से बातचीत में आरोप लगाया कि फैक्ट्रियों में सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी होने के बावजूद फैक्ट्री विभाग के अधिकारी रिश्वत लेकर नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिगाची इंडस्ट्रीज में हुए हादसे की मुख्य वजह पुरानी मशीनरी का उपयोग और सुरक्षा उपायों की अनदेखी थी। अहमद ने कंपनी को बंद करने की मांग करते हुए प्रबंधन पर आपराधिक मामला दर्ज करने और पीड़ित परिवारों को मुआवज़ा दिलाने की मांग की है।
सुरक्षा मानकों का खुला उल्लंघन
फैक्ट्री अधिनियम 1948 और तेलंगाना फैक्ट्री नियम 1950 के तहत हर माह सुरक्षा समिति की बैठक और नियमित निरीक्षण अनिवार्य हैं। लेकिन यूनियन के मुताबिक, पिछले 5 वर्षों में 706 फैक्ट्रियों में आग और विस्फोट की घटनाएं हो चुकी हैं, जो लापरवाही की कहानी बयां करती हैं।
हादसे की वजह बनीं पुरानी मशीनें?
सिगाची प्लांट में काम करने वाले श्रमिकों ने बताया कि मशीनें और उपकरण पुराने हो चुके थे, जिनकी वारंटी भी समाप्त हो चुकी थी। कंपनी ने इन्हें न बदलकर, खतरनाक रसायनों के साथ लापरवाह संचालन किया, जिससे विस्फोट हुआ। हादसे के दो दिन बाद तक कंपनी का प्रबंधन लापता था, जबकि ऐसे रासायनिक हादसों में आपातकालीन प्रतिक्रिया योजना लागू करना उनका कर्तव्य था।
सुरक्षा अभ्यास सिर्फ नाम के लिए
फैक्ट्रियों में श्रमिकों के लिए आरामगृह, कैंटीन, साफ पानी और स्वास्थ्य केंद्र जैसी सुविधाएं दी जानी चाहिए। साथ ही मॉक ड्रिल और अग्निशमन उपकरणों की नियमित जांच होनी चाहिए। लेकिन यूनियन का कहना है कि इन उपायों को गंभीरता से नहीं लिया जाता।
निरीक्षण केवल औपचारिकता
उच्च जोखिम वाली इकाइयों की हर दो साल और निम्न जोखिम वाली इकाइयों की हर पांच साल में जांच होनी चाहिए। लेकिन कई निरीक्षण सिर्फ कागज़ी खानापूर्ति बनकर रह जाते हैं और प्रबंधन सुधार की दिशा में कोई कदम नहीं उठाता।
सुरक्षा उल्लंघन के प्रमाण
15 नवंबर 2023 को डिप्टी चीफ इंस्पेक्टर एम. प्रवीन कुमार ने मेडक ज़िले की एक फैक्ट्री एमएस अग्रवाल फाउंड्रीज़ प्रा. लि. के क्रशर प्लांट पर सुरक्षा नियमों के उल्लंघन के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश (No. A 244) जारी किया था। 12 नवंबर को, वहां 25 वर्षीय मजदूर जिन्टू गौड़ा की मौत हो गई थी, जब वह एक कन्वेयर बेल्ट में फंस गया। जांच में सामने आया कि संयंत्र में सुरक्षा कवच और मशीनों की स्थिति बेहद खराब थी।
मुआवज़े की घोषणा
बुधवार को सिगाची इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने प्रत्येक मृतक के परिजनों को ₹1 करोड़ एक्स-ग्रेसिया देने की घोषणा की। कंपनी ने कहा कि हादसे में 40 कर्मचारियों की मौत हुई है और 33 घायल हुए हैं। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने मंगलवार को कहा कि गंभीर रूप से घायलों को ₹10 लाख और आंशिक रूप से घायल लेकिन कार्य में लौट सकने वालों को ₹5 लाख मुआवज़ा दिया जाएगा। उन्होंने कंपनी से मृतकों के परिजनों को ₹1 करोड़ मुआवज़ा दिलाने के लिए वार्ता का आश्वासन भी दिया।