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Manipur ground report: हमारे भविष्य के साथ BJP ने क्यों की राजनीति?' महिला कार्यकर्ताओं ने किया सवाल
मणिपुर की स्थिति को लेकर भाजपा की लापरवाही को मणिपुरियों के साथ न्याय करने में भारत की विफलता के रूप में देखा जा रहा है. राष्ट्रपति शासन से केंद्र को अपनी छवि बचाने का मौका मिलेगा?
Manipur President rule: मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री के नाम पर सहमति न बन पाने के कारण राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया है. हलांकि, यह अस्थायी व्यवस्था है. जैसे चल रहा था, चीजें वैसे ही चलती रहेंगी. लेकिन इस बीच राज्य के लोगों और समूहों में खासी नाराजगी है. जिन्होंने बीजेपी को सपोर्ट किया था. एक महिला कार्यकर्ता समूह 'इमागी मेइरा' की अध्यक्ष थोकचोम सुजाता अपनी आंसुओं को रोक नहीं पाई और कहा कि उन्हें बीजेपी और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से धोखा महसूस हुआ है. उन्होंने कांपती आवाज में सवाल किया कि हमने ऐसा क्या किया है कि हमें यह सहना पड़ा? बीजेपी सरकार केंद्र में हमारे भविष्य के साथ राजनीति क्यों कर रही है? इतना ही नहीं, इंफाल के तेरा अमुदोन स्थित अपने समूह के कार्यालय में इकट्ठे हुए उनके संगठन के अन्य सदस्य भी उनके साथ इस भावना को शेयर कर रहे थे.
मणिपुर की एक प्रभावशाली महिला समूह के सदस्यों से निकलती यह गहरी भावना न केवल बीजेपी के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए भी खतरे की घंटी है. यह महसूस किया जा रहा है कि यह धोखा खासकर मेइती लोगों के साथ किया गया. जो राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से 40 सीटों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
बीजेपी का समर्थन
सुजाता ने कहा कि अधिकांश महिला समूहों ने साल 2017 में बीजेपी का समर्थन किया था. क्योंकि उन्होंने मणिपुर के हितों की रक्षा का वादा किया था और यह चुनाव मुख्य रूप से राज्य की "भौगोलिक अखंडता" की रक्षा करने के मुद्दे पर लड़ा गया था. उन्होंने दावा किया कि वे बीजेपी के कट्टर समर्थक थे.
नॉर्थ-ईस्ट में हिंदुत्व परियोजना
राज्य के समाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ता आशांग कासर ने बताया कि मणिपुर में बीजेपी की वृद्धि विशेषकर घाटी में भारतीय राष्ट्रीयता के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ मानी जाती थी. क्योंकि यहां पर मेइती उप-राष्ट्रवाद का मजबूत प्रभाव था. क्योंकि, अधिकांश मेइती हिंदू हैं, बीजेपी ने उन्हें अपने हिंदुत्व परियोजना के प्राकृतिक सहयोगी के रूप में देखा. जिसे मोदी ने 'अष्टलक्ष्मी' के रूप में नामित किया.
सांस्कृतिक हस्तक्षेप
राजनीतिक और प्रशासनिक संचार में हिंदी के बढ़ते उपयोग को "सांस्कृतिक हस्तक्षेप" के रूप में देखा जा रहा है. सुजाता ने स्वीकार किया कि महिलाओं द्वारा पारंपरिक मेइती वस्त्र, फानेक की बजाय साड़ी और सलवार-कुर्ता पहनने की प्रवृत्ति बढ़ रही है.
‘मेइती-हिंदू धर्म को भारतीय बनाना’
यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) के पूर्व अध्यक्ष राजकुमार मेघेन ने कहा कि इसका उद्देश्य मेइती-हिंदू धर्म को "भारतीय बनाना" है. जो एक अत्यंत स्वदेशी तत्व है. जैसे कि थाई बौद्ध धर्म.
बीजेपी की योजना और मणिपुर में जातीय संघर्ष
बीजेपी द्वारा मणिपुर में होने वाले जातीय संघर्ष के दौरान स्थिति को संभालने में असफलता और प्रधानमंत्री मोदी का राज्य में एक भी बार न जाना घाटी के लोगों के लिए एक चौंकाने वाला संकेत था. केंद्र सरकार की नीति से यह भावना विकसित हुई कि सरकार कूकी समुदाय के साथ खड़ी है. जिससे मेइती समुदाय में असंतोष और परायापन की भावना गहरी हो गई.
मणिपुर का ताना-बाना नष्ट
राजकुमार मेघेन ने कहा कि बीजेपी ने जानबूझकर मणिपुर के ताने-बाने को नष्ट किया. इसका उद्देश्य दमन था. लेकिन परिणाम उल्टा साबित हुआ.
राष्ट्रपति शासन अवसर
राजनीतिक कार्यकर्ता कासर ने कहा कि राष्ट्रपति शासन लागू करने से केंद्र सरकार के पास इस संघर्ष को हल करके अपनी छवि को सुधारने का अवसर होगा.
2027 चुनाव में बीजेपी का सामना
सुझाता ने कहा कि अगर शीघ्र शांति बहाल नहीं हुई तो 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ेगा. उन्होंने कहा किबीजेपी के पास करीब दो साल का समय है. लेकिन पहले उन्हें उस गड़बड़ी को साफ करना होगा, जिसे उन्होंने खुद उत्पन्न किया है. यह अहसास ही था, जो आखिरकार बीजेपी विधायिका दल में विद्रोह का कारण बना और बीरेन सिंह को रविवार (9 फरवरी) को मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने पर मजबूर किया.