कम से कम चाय तो पी लीजिए, ममता बनर्जी की बेबसी या सियासी स्ट्रोक
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कम से कम चाय तो पी लीजिए, ममता बनर्जी की बेबसी या सियासी स्ट्रोक

आरजी कर अस्पताल के हड़ताली डॉक्टरों को मनाने के लिए ममता बनर्जी कहती हैं कि वो खुले दिल से बातचीक के लिए तैयार हैं। लेकिन मीटिंग की लाइवस्ट्रीमिंग पर बात नहीं बन पा रही है


Mamata Banerjee News: ममता बनर्जी पिछले 13 साल से बंगाल की सत्ता पर काबिज हैं। पश्चिम बंगाल के रायटर्स बिल्डिंग से लाल सलाम की गूंज को ऐसा खत्म किया कि लेफ्ट दल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। इन सबके बीच अपने सफर में ममता बनर्जी बेबस नजर आ रही हैं। शुक्रवार यानी 13 सितंबर को नबन्ना के कांफ्रेंस रूम की तस्वीर आई जहां वो कुर्सी पर बैठे नजर आईं। उनके अगल बगल कुर्सियां जिन पर आरजी कर अस्पताल के हड़ताली डॉक्टरों को बैठना था लेकिन वो नहीं आए। ममता बनर्जी ने कहा कि वो दो घंटे तक इंतजार करती रहीं। बड़े होने के नाते हड़ताली डॉक्टरों को माफ कर दिया है। इसके साथ अपने अफसरों को कहा कि वो डॉक्टरों से संपर्क में बने रहे।

बातचीत की कोशिश फिर नाकाम
अफसरों की कोशिश रंग लाई। हड़ताली डॉक्टरों का एक जत्था ममता बनर्जी के आवास पर पहुंचा। लेकिन बातचीत फिर नहीं हो सकी। सरकारी पक्ष का कहना है कि बातचीत के लिए 15 डॉक्टरों की टीम को बुलाया गया। लेकिन मीटिंग के लिए 40 लोग पहुंचे। इस विषय पर ममता बनर्जी ने कहा कि अब किसी के घर में इतनी जगह नहीं होती। इसीलिए उन्होंने नबन्ना में मीटिंग रखी। खैर, जब डॉक्टर यहां पहुंचे तो बारिश हो रही थी, भींगने से बचने के लिए उन्होंने छाता उपलब्ध कराया। डॉक्टरों से कहा कि बातचीत मत करिए लेकिन कम से कम चाय तो पी लीजिए। लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि चाय पीएंगे लेकिन न्याय मिलने के बाद। लेकिन सवाल यही है कि स्वास्थ्य मंत्री और गृहमंत्री होने के नाते भी जो कार्रवाई उन्हें करनी थी क्यों नहीं की। दरअसल इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट भी सवाल उठा चुका है। यहीं नहीं उनके खास सहयोगी रहे जवाहर सरकार ने तो कहा कि उन्हें लगा कि ममता जी अपने पुराने अंदाज में नजर आएंगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इस वजह से लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति नहीं
ममता बनर्जी ने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण लाइव स्ट्रीमिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती। जब डॉक्टर उनके कालीघाट स्थित आवास पर पहुंचे, तो उन्होंने मांग की थी कि बैठक का सीधा प्रसारण किया जाए या कम से कम वीडियो रिकॉर्ड किया जाए।हालांकि मुख्यमंत्री नेबैठक का सीधा प्रसारण करने से इनकार कर दिया था और प्रदर्शनकारियों को बैठक का वीडियो रिकॉर्ड करने और सुप्रीम कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद ही उन्हें एक प्रति उपलब्ध कराने की पेशकश की थी।उन्होंने प्रदर्शनकारियों से कहा था, "मैं मिनट्स तैयार करूंगी और उस पर हस्ताक्षर भी करूंगी।"उन्होंने प्रदर्शनकारियों से यह भी कहा था कि वे उनका अपमान न करें, क्योंकि वह पहले भी तीन बार उनका इंतजार कर चुकी हैं।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि बारिश में इंतजार करते रहे लेकिन उन्हें वापस भेज दिया गया। प्रदर्शनकारियों ने बाद में आपस में चर्चा करने के बाद घटना का लाइवस्ट्रीम या शूटिंग करने की मांग छोड़ दी। उन्होंने आरोप लगाया कि बाद में उन्हें बताया गया कि बैठक के लिए बहुत देर हो चुकी है। अकीब ने कहा, "हमने सिर्फ बैठक के मिनट मांगे थे, लेकिन हमें बताया गया कि बैठक में देरी हो गई है और अब कुछ नहीं किया जा सकता। हम बारिश में इंतजार करते रहे, लेकिन हमें बिना किसी समाधान के लौटना पड़ा और सभी जूनियर डॉक्टर निराश हो गए। सीबीआई द्वारा साक्ष्यों से छेड़छाड़ करने के आरोप में आरजी कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष की गिरफ्तारी पर टिप्पणी करते हुए अकीब ने कहा कि इससे साबित हो गया है कि प्रदर्शनकारियों की मांग सही थी।

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