
'मेरा मायका छुड़वाया, मुझे अनाथ बना दिया', रोहिणी आचार्य की व्यथा गाथा
रोहिणी आचार्य ने अपने पिता लालू यादव को बचाने के लिए किडनी दी थी। गालियों और आरोपों से व्यथित होकर उन्होंने दर्दभरा सच उजागर किया।
बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद लालू यादव परिवार को दोहरा झटका लगा है। एक तरफ आरजेडी सरकार बनाने में नाकाम रही वहीं उनकी बेटी रोहिणी आचार्य ने परिवार और पार्टी दोनों से नाता तोड़ दिया है। उन्होंने कई ट्वीट के जरिए अपनी व्यथा की गाथा भी दुनिया के सामने पेश की है। वो कहती हैं कि कल मुझे गालियां दी गईं, कहा गया कि मैं गंदी हूँ। मैंने अपने पिता को गंदी किडनी लगवा दी। करोड़ों रुपये लिए, टिकट लिया, तब किडनी दी…! यह सिर्फ आरोप नहीं थे, यह एक बेटी के त्याग पर सवाल था।
रोहिणी ने अपने पिता के लिए वह किया, जो हर बेटी अपने पिता के लिए करना चाहती है। लेकिन हर किसी में वह हिम्मत नहीं होती। वह बताती हैं कि किडनी देने से पहले उन्होंने न अपने पति से अनुमति ली, न अपने ससुराल से। उनके लिए उस पल में सिर्फ एक ही बात महत्वपूर्ण थी “मेरे पिता को बचाना है।”
तीन बच्चों की मां होकर भी उन्होंने अपने परिवार, जिम्मेदारियों और सामाजिक दबावों को पीछे छोड़ दिया। डॉक्टरों की प्रक्रियाएं, दर्द, खतरे सब सहा। क्योंकि उन्हें लगा था कि वह अपने ‘भगवान’ को बचा रही हैं।लेकिन आज वही लोग, वही परिवार, वही समाज उन्हें गंदा कह रहा है।
त्याग को अपराध बनाकर पेश किया गया
बेटी होना आसान नहीं, लेकिन बेटी का त्याग आज “गुनाह” साबित कर दिया गया। रोहिणी के शब्द किसी भी बेटी के दिल को चीर सकते हैं सब शादीशुदा बेटी-बहनों से कहूंगी अपने पिता को कभी मत बचाना। अपने घर को, अपने बच्चों को देखना। बेटों को कहो कि वो किडनी दें या किसी हरियाणवी दोस्त की दिलवा दें।
यह दर्द सिर्फ एक महिला का दर्द नहीं, समाज के दोहरे मानकों का खुला सच है। जब बेटा अपना जीवन दांव पर लगाता है, उसे बहादुर कहा जाता है।जब बेटी वही करती है, उसे कंधों पर उठाने के बजाय, उसके चरित्र पर सवाल खड़े कर दिए जाते हैं।
अपनी ही कुर्बानी पर उठे सवाल
रोहिणी कहती हैं मेरी गलती यह थी कि मैंने सिर्फ अपने पिता को देखा। अपने बच्चों को नहीं देखा। अपने पति को, अपने ससुराल को नहीं देखा। एक बेटी का त्याग इतना बड़ा होता है कि वह खुद को भी भूल जाती है। लेकिन समाज को यह त्याग दिखाई नहीं देता, उसे सिर्फ आरोप दिखते हैं कब, क्यों, किसके लिए, क्या फायदा मिला?लेकिन क्या किसी पिता का जीवन कोई सौदा होता है?
मेरे जैसी गलती मत करना'
कल एक बेटी, एक बहन , एक शादीशुदा महिला , एक मां को जलील किया गया , गंदी गालियां दी गयीं , मारने के लिए चप्पल उठाया गया , मैंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया, सच का समर्पण नहीं किया , सिर्फ और सिर्फ इस वजह से मुझे बेइज्जती झेलनी पडी ..कल एक बेटी मजबूरी में अपने रोते हुए मां - बाप बहनों को छोड़ आयी , मुझसे मेरा मायका छुड़वाया गया मुझे अनाथ बना दिया गया। आप सब मेरे रास्ते कभी ना चलें , किसी घर में रोहिणी जैसी बेटी - बहन पैदा ना हो।

