क्या अजित गुट में मच सकती है भगदड़, शरद पवार खेमे के दावे में कितना दम
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क्या अजित गुट में मच सकती है भगदड़, शरद पवार खेमे के दावे में कितना दम

क्या अजित पवार का खेमा संकट के दौर से गुजर रहा है, क्या उनके विधायक किसी और ठिकाने की तलाश कर रहे हैं. दरअसल शरद पवार के ग्रैंडसन ने भविष्यवाणी की है


महाराष्ट्र की सियासत में अजित पवार बड़े नाम हैं. इस समय वो एनसीपी के एक धड़े के मालिक है. एक धड़ा यूं क्योंकि अपने चाचा शरद पवार से बगावत की और पार्टी के दो फाड़ कर दिए. इस समय वो महायुति के साथ मिलकर एकनाथ शिंदे सरकार में बने हुए हैं. महायुति के नेताओं को उम्मीद थी कि उनका करिश्मे का फायदा लोकसभा चुनाव में होगा. लेकिन नतीजा निराशाजनक रहा. अपने धड़ के प्रदर्शन की समीक्षा के लिए उन्होंने हाल ही में एक बैठक बुलाई थी और पता चला कि उनके खेमे के पांच विधायक गायब रहे. इन सबके बीच शरद पवार के ग्रैंडसन रोहित पवार का कहना है कि अजित खेमे में भगदड़ मचने वाली है. रोहित पवार के मुताबिर फंड आवंटन को लेकर रोष है. हालांकि अजित पवार और सुनील तटकरे इस तरह के दावे को निराधार बताते हैं.

शरद पवार खेमे का दावा
रोहित ने पहले भी यह बयान दिया था, लेकिन तब अजित पवार और राज्य एनसीपी अध्यक्ष सुनील तटकरे ने उनके बयान को निराधार और झूठा बताते हुए नकार दिया था। विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे पर रोहित ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान एनसीपी (सपा) ने कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) को ज़्यादा सीटें दी थीं और उन्हें उम्मीद है कि दोनों सहयोगी दल भी इसी तरह का रवैया अपनाएंगे और शरद पवार की अगुआई वाली एनसीपी को ज़्यादा सीटें देंगे। लेकिन सीटों के बंटवारे पर अंतिम फ़ैसला तीनों दलों के हाईकमान द्वारा लिया जाएगा।

क्यों मच सकती है भगदड़
अब रोहित पवार की तरफ से इस तरह की बात क्यों कही जा रही है. उसे लेकर महाराष्ट्र की समझ करने वाले जानकार दो बड़ी वजह बताते हैं. पहली वजह तो ये कि हाल ही आरएसएस के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में लिखे लेख में सवाल उठाया गया था कि बीजेपी ने अजित खेमे को क्यों साथ में लिया. इसकी वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा. हालांकि इस विषय पर अजित खेमे की तरफ से सफाई भी आ गई कि यह बयान बीजेपी का नहीं है. लेख में कोई भी शख्स अपने विचारों को रख सकता है. इसके साथ ही दूसरी वजह राज्यसभा में अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के नामांकन को लेकर था. ऐसा कहा जा रहा था कि छगन भुजबल नाराज थे.बाद में उन्होंने कहा कि सुनेत्रा ताई का राज्यसभा में जाने का फैसला पार्टी का है और उसे वो स्वीकार करते हैं. हालांकि अपने दर्द को छिपा नहीं सके थे.

जानकार कहते हैं कि आम चुनाव 2024 में एनसीपी अजित खेमे का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. इसकी वजह से अजित पवार के साथ गए विधायकों में अनिश्चितता का माहौल है, उनके सामने दो तरह की परेशानी है. पहला तो ये क्या अजित पवार, बीजेपी के साथ मोलभाव कर पाएंगे. क्या बीजेपी अब अजित खेमे को पर्याप्त संख्या में सीट देगी. अगर एक पल को मान लें कि सीट मिल भी जाती है तो क्या वो चुनाव जीत पाने में कामयाब होंगे. क्योंकि आम चुनाव 2024 में जनता ने अपना पूरा आशीर्वाद शरद पवार खेमे को दिया है. बारामती का उदाहरण देते हुए सियासी पंडित बताते हैं कि निश्चित तौर पर सुनेत्रा पवार और सुप्रिया सुले के बीच चुनाव करना मतदाताओं के लिए भी आसान नहीं था. लेकिन जनता ने अपने फैसले में बता दिया कि महाराष्ट्र की सियासत में अभी भी बड़े पवार की ही चलेगी.

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