
केरल में पीएम श्री पर विवाद गहराया: अगली कैबिनेट बैठक से बाहर रह सकती सीपीआई
पिनाराई विजयन ने अपने सहयोगी को यह समझाने की कोशिश की कि इस पहल पर हस्ताक्षर मजबूरी के कारण किए गए थे, लेकिन भाकपा पीछे हटने के मूड में नहीं थी।
PM Shri Scheme And Kerala : केरल की सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार के भीतर प्रधानमंत्री स्कूल्स फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम-श्री) योजना को लेकर मतभेद गहराते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पिनारायी विजयन और सीपीआई राज्य सचिव बिनॉय विस्वम के बीच सोमवार को हुई बैठक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी।
दोनों नेताओं की यह मुलाकात एलाप्पुझा में हुई थी, जिसका उद्देश्य योजना को लेकर बढ़ते विवाद को शांत करना था। सूत्रों के अनुसार, बातचीत बिना सहमति के समाप्त हुई, और सीपीआई के मंत्री 29 अक्टूबर (बुधवार) को होने वाली अगली कैबिनेट बैठक से अनुपस्थित रहकर विरोध दर्ज करा सकते हैं। यह विवाद 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले एलडीएफ समर्थकों के लिए चिंता का कारण बन गया है।
सीपीआई का विरोध: “एलडीएफ की नीति के खिलाफ फैसला”
सीएम विजयन ने बैठक में बताया कि किन परिस्थितियों में राज्य सरकार को केंद्र के साथ इस एमओयू पर हस्ताक्षर करने पड़े। लेकिन सीपीआई नेता विस्वम ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी पार्टी इस फैसले से सहमत नहीं है।
सीपीआई का कहना है कि यह समझौता एलडीएफ के उस वैचारिक रुख के खिलाफ है, जिसमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) का विरोध शामिल है।
सीपीएम ने हालांकि स्थिति संभालने के लिए बैठक की और यह तय किया कि पीएम-श्री योजना के क्रियान्वयन को अभी टाला जाएगा। एलडीएफ एक उप-समिति बनाएगा जो यह अध्ययन करेगी कि राज्य कैसे केंद्र की निधि तक पहुंच सकता है बिना अपनी वैचारिक स्थिति से समझौता किए।
वित्तीय संकट से बचने की मजबूरी
सीपीएम का तर्क है कि यह फैसला व्यावहारिक कारणों से लिया गया, ताकि शिक्षा योजनाओं में वित्तीय संकट न आए।
राज्यसभा सांसद ए. ए. रहीम ने कहा कि “समग्र शिक्षा अभियान (SSA) 60:40 अनुपात में चलता है, जिसमें केंद्र की हिस्सेदारी अधिक होती है। लेकिन भाजपा सरकार ने पीएम-श्री पर हस्ताक्षर न करने का हवाला देकर फंड रोक दिए। राज्य अकेले इस योजना को नहीं चला सकता था। इसलिए यह फैसला मजबूरी थी, समझौता नहीं।”
उन्होंने यह भी कहा कि “एनईपी की खामियों से सभी वाकिफ हैं, पर हम सुनिश्चित करेंगे कि संघ परिवार का एजेंडा हमारे स्कूलों में न पहुंचे।”
एकतरफा फैसला बताकर सीपीआई नाराज़
सीपीआई नेताओं का आरोप है कि राज्य सरकार ने एमओयू पर हस्ताक्षर से पहले उनसे पर्याप्त परामर्श नहीं किया।
वहीं सीपीएम का कहना है कि सीपीआई की प्रतिक्रिया अतिरेकपूर्ण है, क्योंकि इससे पहले उच्च शिक्षा में भी ऐसा ही कदम उठाया गया था।
पिछले वर्ष केरल सरकार ने केंद्र के साथ प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (PM-USHA) का एमओयू साइन किया था, जो एनईपी से जुड़ी एक योजना है। उस समय सीपीआई ने विरोध नहीं किया था, और दो साल से यह योजना बिना किसी पाठ्यक्रमीय हस्तक्षेप के सुचारु रूप से चल रही है।
सीपीएम का कहना है कि पीएम-श्री में भी वही सुरक्षा प्रावधान लागू रहेंगे “पाठ्यक्रम या सिलेबस में कोई बदलाव नहीं होने दिया जाएगा।”
टकराव से बचने की कोशिश
एलडीएफ के भीतर बढ़ते तनाव के बावजूद सीपीएम टकराव से बचना चाहती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, सीएम विजयन ने व्यक्तिगत रूप से समझाया कि यह निर्णय राजनीतिक मजबूरी था, ताकि केंद्र की फंडिंग कटौती से राज्य की कल्याण योजनाएं प्रभावित न हों।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब केंद्र ने समग्र शिक्षा अभियान (SSA) की राशि रोक दी थी, क्योंकि राज्य ने पहले पीएम-श्री समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया था।
अब सीपीएम की कोशिश है कि एलडीएफ की एकता बनी रहे। सीपीआई जहां 4 नवंबर को अपनी राज्य परिषद की बैठक में आगे की रणनीति तय करेगी, वहीं एलडीएफ राज्य समिति उससे पहले बैठक बुलाकर विवाद सुलझाने का प्रयास करेगी।
फिलहाल, सीपीएम अपने सहयोगियों को यह समझाने में जुटी है कि पीएम-श्री एमओयू पर हस्ताक्षर नीति परिवर्तन नहीं बल्कि व्यावहारिक कदम था ताकि केरल के स्कूल चलते रहें और राज्य सिद्धांत व शासन, दोनों के बीच संतुलन बनाए रख सके।

