ताकि माहौल खराब ना हो, संभल केस में जानें क्या है 'सुप्रीम' आदेश
संभर जामा मस्जिद केस में निचली अदालत के सर्वे वाले फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। मस्जिद समिति की तरफ से अर्जी लगाई गई थी।
Sambhal Jama Mosque Survey Case: संभल के जामा मस्जिद में सर्वे के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से कहा कि वो कोई ऐक्शन ना ले। चीफ जस्टिस संजीव कुमार खन्ना ने कहा कि शांति और सौहार्द बना रहे पहली प्राथमिकता यह होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा बिना हमें बताए आप कोई निर्णय नहीं करेंगे। इन सबके बीच सर्वे के विरोध में याचिका लगाने वाले (मस्जिद कमेटी ने याचिका लगाई है।) से अदालत ने पूछा कि आप इस केस पहले हाईकोर्ट में क्यों नहीं लेकर गए। यहां बता दें कि निचली अदालत के सर्वे के आदेश को सु्प्रीम कोर्ट में मस्जिद कमेटी ने चुनौती दी है।
सौहार्द ना हो खराब
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि क्या इस मामले को 227 के तहत हाईकोर्ट ले जाना उचित नहीं होगा। बेहतर यह है कि इस केस को हम अपने पास लंबित रखते हैं. आप यानी मस्जिद कमेटी उचित पीठ के सामने अपनी बात रखे। हमारी यह कोशिश है कि माहौल खराब न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिला प्रशासन सभी दलों के साथ मिलकर शांति समिति बनाए. हम इस मामले में तटस्थ रहेंगे। लेकिन याचिकाकर्ता ने कहा कि पूरे देश में संभल जामा मस्जिद सर्वे केस जैसे कुल 10 केस लंबित है, खास बात यह है कि पांच केस का नाता यूपी से है। इससे भी बड़ी बात यह है कि पहले मुकदमा दायर किया गया और अब कहानी गढ़ी जा रही है।
स्थानीय अदालत के निर्देश पर हुआ था सर्वे
स्थानीय अदालत के निर्देश पर 19 नवंबर और 24 नवंबर को दो दिन सर्वे हुआ था। 19 नवंबर को सर्वे के दौरान शांति कायम रही। लेकिन 24 नवंबक को सर्वे के बाद हिंसा भड़क गई। 24 नवंबर को हिंसा में कुल पांच लोगों की मौत हुई। लेकिन विवाद चार मौत को लेकर हुआ। मृतकों के परिजन यूपी पुलिस पर आरोप लगाते हैं। हालांकि यूपी पुलिस ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला दे कट्टे से फायरिंग की दलील पेश करती है। यूपी पुलिस पर जब यह आरोप लगा कि पुलिस अधिकारी गोली चलाने की बात कर रहे थे तो उसके जवाब में पुलिस अधिकारियों ने उपद्रवियों को डराने के लिए बात की जा रही थी ना कि गोली मारना था।