संभल के पुलिस अधिकारी को मिला सीएम योगी का समर्थन, जुमे की नमाज घर पर भी हो सकती है
x

संभल के पुलिस अधिकारी को मिला सीएम योगी का समर्थन, जुमे की नमाज घर पर भी हो सकती है

एक कार्यक्रम में जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से संभल के पुलिस अधिकारी के बयान पर सवाल किया तो उन्होंने कहा कि वो पहलवान रह चुके हैं इसलिए सीधे बोल दिया लेकिन उन्होंने सही कहा है।


Holi Festival And Juma Namaz : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल के पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी के बयान का समर्थन किया है, जिसमें उन्होंने होली और जुमे की नमाज को लेकर टिप्पणी की थी। मुख्यमंत्री ने कहा कि होली साल में एक बार आती है, जबकि जुमे की नमाज हर सप्ताह होती है, ऐसे में सामाजिक समरसता को बनाए रखने के लिए आवश्यक लचीलापन अपनाया जा सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री के इस रुख से के बार फिर से राजनीती का पारा चढ़ने वाला है। योगी ने ये बात एक कार्यक्रम में कही, जब उनसे अनुज चौधरी के बयान को लेकर सवाल किया गया।


योगी आदित्यनाथ का बयान

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वाभाविक तौर पर जुमे की नमाज हर सप्ताह होती है। होली के अवसर पर एक दुसरे की भावनाओ का सम्मान होना चाहिए। संभल के पुलिस अधिकारी अनुज चौधरी ने अपनी बात सीधे और स्पष्ट तरीके से रखी थी। उन्होंने चौधरी की पृष्ठभूमि की भी चर्चा करते हुए कहा कि वे पहलवान थे, अर्जुन अवार्डी हैं और देश के लिए ओलंपिक खेल चुके हैं

योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा कि कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी इस अपील का समर्थन किया है कि जुमे की नमाज को दोपहर 2 बजे के बाद पढ़ा जाए, ताकि होली के दौरान किसी तरह की अव्यवस्था न हो। उन्होंने कहा कि नमाज घर पर भी पढ़ी जा सकती है, लेकिन यदि कोई मस्जिद में नमाज अदा करना चाहता है तो उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रंग से परहेज न किया जाए। नमाज पढने के लिए मस्जिद जाना अनिवार्य नहीं है।


क्या कहा था अनुज चौधरी ने

संभल के सीओ अनुज चौधरी ने कहा था कि जुमा साल में 52 बार आता है जबकि होली एक बार। अगर मुस्लिम समुदाय के लोगों को लगता है कि होली के रंग से उनका धर्मं भ्रष्ठ हो जायेगा तो वे उस दिन घर से बाहर न निकलें।


विपक्ष का विरोध

संभल के सीओ अनुज चौधरी ने हाल ही में बयान दिया था कि होली साल में एक बार आती है, जबकि जुमे की नमाज हर हफ्ते होती है। इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में गर्मागर्मी बढ़ गई थी। विपक्षी दलों ने पुलिस अधिकारी के बयान पर नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि एक सरकारी अधिकारी को राजनीति की भाषा नहीं बोलनी चाहिए


सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

  • समर्थन: भाजपा और योगी सरकार के समर्थकों ने इस बयान को तर्कसंगत बताते हुए कहा कि सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए सभी समुदायों को लचीला रुख अपनाना चाहिए

  • विरोध: विपक्षी पार्टियों ने इस बयान को असंवेदनशील बताते हुए कहा कि प्रशासन को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए

  • धर्मगुरुओं की प्रतिक्रिया: कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस बयान का समर्थन किया, जबकि कुछ ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता में दखल बताया।


ज्ञात रहे कि ये मामला काफी तूल पकड़ चूका है। यही वजह भी है कि यह मामला राजनीतिक और सामाजिक बहस का केंद्र बन चुका है। जहां एक ओर सरकार और कुछ धार्मिक संगठनों का मानना है कि त्योहारों के दौरान लचीलापन जरूरी है, वहीं विपक्ष इसे प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग मान रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं।


Read More
Next Story