आखिर क्या है संगम नोज जहां मची भगदड़, श्रद्धालुओं की पहली पसंद
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आखिर क्या है संगम नोज जहां मची भगदड़, श्रद्धालुओं की पहली पसंद

महाकुंभ में बीती रात संगम नोज पर भगदड़ मच गई। इस भगदड़ में 50 से अधिक लोग घायल हैं। यहां हम बताएंगे कि संगम नोज किसे कहते हैं।


What Is Sangam Nose: 2024 के महाकुंभ को पूर्ण महाकुंभ बताया जा रहा है। मौनी अमावस्या पर आज अमृत स्नान भी होना था। लेकिन बीती रात संगम नोज के करीब भगदड़ मची जिसमें कई लोग घायल हो गए हैं। कुछ श्रद्धालुओं की हालत गंभीर है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रयागराज में 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु हैं, लिहाजा दबा है हालांकि हालात नियंत्रण में है। इन सबके बीच आपके मन में यह जानने की उत्सुकता होगी की आखिर संगम नोज क्या है और इस जगह पर स्नान करने का महत्व क्या है।

क्या होता है संगम नोज?

संगम का मतलब जहां दो नदियां मिलती हैं। प्रयागराज में तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती नदी मिलती हैं लिहाज इसे त्रिवेणी कहते हैं। हालांकि सरस्वती नदी दिखाई नहीं देती है। गंगा और यमुना का जहां मिलन होता उसका आकार नाक की तरह है लिहाजा इसे संगम नोज कहते हैं। इस जगह को तीन नदियों के मिलन की वजह से धार्मिक महत्व बढ़ जाता है। साधु संत इसी जगह पर स्नान करते हैं, इसके साथ ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की चाह भी इस जगह पर स्नान करने की होती है,लिहाजा यहां भीड़ का दबाव अधिक रहता है।

संगम नोज क्षेत्र के दायरे को हर दफा बढ़ाया जाता है। इसके पीछे दो वजह है, पहला तो ये कि गंगा की धारा अक्सर बदलती रहती है। यानी कि यमुना से मिलने की कोई फिक्स जगह नहीं है। दूसरी ओर श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखकर संगम नोज क्षेत्र को बढ़ा दिया जाता है। पहले की व्यवस्था यह थी कि हर घंटे 50 हजार लोग स्नान कर सकें। लेकिन इस बार हर घंटे 2 लाख लोगों के स्नान की व्यवस्था की गई है।

साधु संतों की खास अपील

अब संगम नोज में स्नान की महत्ता देखते हुए श्रद्धालुओं का रेला चल पड़ा और हालात नियंत्रण के बाहर हुआ। भीड़ नियंत्रित करने के लिए कुछ गेट को और बैरिकेडिंग को हटाई गई। लेकिन अफरातफारी का माहौल बन गया। इन सबके बीच साधु संतों ने अपील की है कि वे संगम नोज की तरफ जानें से बचें। जो लोग जिस घाट के पास हैं वहीं स्नान कर लें।

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