कानूनी मर्यादा या जल्दबाज़ी? तमिलनाडु ADGP जयराम मामले पर सुप्रीम कोर्ट भड़का
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जयराम पर एक 16 वर्षीय लड़के के अपहरण में सहायता करने का आरोप है, क्योंकि उसके भाई ने अपने परिवार की इच्छा के विरुद्ध एक लड़की से विवाह कर लिया था। फोटो: X

कानूनी मर्यादा या जल्दबाज़ी? तमिलनाडु ADGP जयराम मामले पर सुप्रीम कोर्ट भड़का

तमिलनाडु के एडीजीपी जयराम की गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई। हाईकोर्ट के आदेश को चौंकाने वाला बताया और निलंबन पर सवाल उठाए।


18 जून बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एडीजीपी (ADGP) एचएम जयराम की गिरफ्तारी के मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर कड़ी आपत्ति जताई। जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने कहा कि वह एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं। इस तरह के आदेश चौंकाने वाले और मनोबल गिराने वाले होते हैं।

तेज कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने उठाए सवाल

सुप्रीम कोर्ट जयराम द्वारा मद्रास हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें न्यायालय ने उनकी गिरफ्तारी और निलंबन पर सवाल उठाया। कोर्ट ने जोर दिया कि किसी भी वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई करते समय न्यायिक प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।

राज्य सरकार की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि एडीजीपी जयराम को औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया था, बल्कि उन्होंने कोर्ट के निर्देश पर स्वेच्छा से जांच में शामिल होकर बयान दर्ज करवाया था। सरकार ने बताया कि जयराम को मंगलवार शाम को छोड़ दिया गया था।

क्या है मामला?

यह केस तिरुवल्लूर की रहने वाली एक महिला लक्ष्मी की शिकायत से जुड़ा है। लक्ष्मी ने आरोप लगाया कि उसके 16 वर्षीय छोटे बेटे का अपहरण कर लिया गया, क्योंकि उसके बड़े बेटे ने परिवार की मर्जी के खिलाफ जाकर शादी कर ली थी।मद्रास हाईकोर्ट में जब केवी कुप्पम के विधायक पूवई जगन मूर्ति ने अग्रिम जमानत की याचिका दायर की, तब न्यायमूर्ति पी वेलमुरुगन ने सुनवाई के दौरान जयराम की गिरफ्तारी का आदेश देते हुए कहा कि उन्होंने इस अपहरण को अंजाम देने में अपनी आधिकारिक गाड़ी मुहैया करवाई थी।न्यायाधीश ने टिप्पणी करते हुए कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं हैऔर इस पूरी घटना को कंगारू कोर्ट करार देते हुए सख्त रुख अपनाया।

गिरफ्तारी और निलंबन

हाईकोर्ट के आदेश के बाद, तमिलनाडु सरकार ने 17 जून को एडीजीपी जयराम को निलंबित कर दिया। हालांकि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जयराम को औपचारिक रूप से गिरफ्तार नहीं किया गया था और उन्हें पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया।सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में जयराम की याचिका पर सुनवाई करेगा, जिसमें हाईकोर्ट द्वारा जारी गिरफ्तारी आदेश की वैधता और त्वरित निलंबन को चुनौती दी गई है।

घंटों चली पूछताछ, जयराम का बयान दर्ज

तमिलनाडु के तिरुवालंगाडु थाने में जयराम से घंटों पूछताछ हुई। यह पूछताछ मद्रास हाईकोर्ट के समन के तहत हुई जिसमें उनका बयान विधिवत रूप से दर्ज किया गया। पूछताछ के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि उन्होंने खुद जांच में शामिल होकर सहयोग किया और उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई।

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