तमिलनाडु हिरासत मौत: गवाह की सुरक्षा याचिका ने VWDC देरी को किया उजागर
x

तमिलनाडु हिरासत मौत: गवाह की सुरक्षा याचिका ने VWDC देरी को किया उजागर

सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देशों और बढ़ते मामलों के बावजूद तमिलनाडु सरकार की उदासीनता न्याय प्रक्रिया के लिए गंभीर चुनौती बन गई है। अगर तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो संवेदनशील मामलों के गवाहों की जान और न्याय दोनों खतरे में पड़ सकते हैं।


सिवगंगा में हिरासत में हुई मौत के मामले ने एक बार फिर तमिलनाडु में संवेदनशील मामलों के गवाहों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राज्य अब तक ज़रूरत के मुताबिक Vulnerable Witness Deposition Centres (VWDCs) की स्थापना नहीं कर सका है।

इस मामले में अहम गवाह 34 वर्षीय शक्तिेश्वरन ने अब पुलिस से सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें और उनके परिवार को जान से मारने की धमकी दी जा रही है। शक्तिेश्वरन वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने अजित कुमार की हिरासत में पिटाई का वीडियो गुप्त रूप से रिकॉर्ड कर न्यायालय को सौंपा था। यही वीडियो पुलिस की बर्बरता को उजागर करने का सबसे बड़ा सबूत बना।

पुलिस से मिली धमकी

शक्तिेश्वरन ने तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक (DGP) को लिखे पत्र में बताया कि उन्हें पुलिस अधिकारी राजा द्वारा धमकाया गया, जो अब इस मामले में गिरफ्तार हो चुका है। शक्तिेश्वरन ने एक वीडियो बयान में कहा कि “मेरी जान को खतरा है,”. यह अब राज्यभर में वायरल हो गया है। मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै पीठ ने इस मामले की जांच मदुरै के चौथे अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को सौंपी है।

VWDCs की कमी बनी गवाहों की सुरक्षा में बड़ी बाधा

शक्तिेश्वरन की याचिका ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि क्यों तमिलनाडु सरकार सुप्रीम कोर्ट के 2018 के आदेश के बावजूद अब तक जिलों में VWDCs स्थापित नहीं कर पाई। कोर्ट ने आदेश दिया था कि देश के सभी ज़िला न्यायालयों में एक वर्ष के भीतर इन केंद्रों की स्थापना की जाए। ये केंद्र गवाहों को एक सुरक्षित, अलग और भरोसेमंद माहौल में गवाही देने की सुविधा देते हैं, जिससे वे किसी भय के बिना बयान दर्ज करा सकें।

VWDCs क्या हैं?

VWDCs यानी Vulnerable Witness Deposition Centres एक विशेष न्यायिक ढांचा है, जहां बच्चों, महिलाओं, या संवेदनशील मामलों से जुड़े गवाहों को मुख्य अदालत से अलग स्थान पर गवाही देने की सुविधा दी जाती है। इन केंद्रों में माइक्रोफोन, स्क्रीन, अलग प्रतीक्षा कक्ष और वीडियो लिंक जैसी सुविधाएं होती हैं, जिससे गवाह की मानसिक स्थिति पर असर न पड़े और न्याय प्रक्रिया सुरक्षित रहे।

RTI खुलासा

RTI से सामने आया है कि तमिलनाडु के दक्षिणी जिलों में VWDCs की स्थिति बेहद खराब है। केवल करूर ज़िला ऐसा है, जहां VWDC पूरी तरह कार्यरत है। थेनि, तिरुचिरापल्ली और मदुरै में निर्माण अधूरा है। डिंडीगुल में हाई कोर्ट की अनुमति का इंतजार है। रामनाथपुरम, तंजावुर, सिवगंगा, तिरुनेलवेली, और कन्याकुमारी में प्रस्ताव लोक निर्माण विभाग (PWD) के पास लंबित हैं। पुडुकोट्टई में VWDC के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट को परिवर्तित करने की योजना ठंडे बस्ते में है। कन्याकुमारी में PWD ने इसे असंभव बता दिया है।

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कड़ा विरोध

मदुरै के एक वरिष्ठ वकील ने कहा कि VWDCs की अनुपस्थिति संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह गवाहों की सुरक्षा को कमजोर करती है और न्यायपालिका पर जनता का भरोसा डगमगाता है। सिवगंगा और थेनि जैसे हालिया मामलों में पुलिस प्रताड़ना और हिरासत में मौतों ने जवाबदेही के अभाव को उजागर किया है।

दक्षिणी जिलों में खतरा ज्यादा

मानवाधिकार शोधकर्ता आशीर्वथम ने कहा कि दक्षिणी जिलों में गवाहों की हत्या की घटनाएं सबसे ज़्यादा होती हैं। कई बार लोग कोर्ट से लौटते समय मारे जाते हैं। जातीय संघर्ष और समूहीय हिंसा यहां ज्यादा है। अगर पुरुषों की हालत ऐसी है तो सोचिए महिलाओं और बच्चों का क्या होता होगा। इन जिलों में VWDCs बनाना अति आवश्यक है।

Read More
Next Story