क्या Z प्लस सिक्योरिटी- जासूसी में कोई रिश्ता है, शरद पवार ने बयान दे मचाई सनसनी
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क्या Z प्लस सिक्योरिटी- जासूसी में कोई रिश्ता है, शरद पवार ने बयान दे मचाई सनसनी

केंद्र सरकार ने एनसीपी शरद गुट के मुखिया शरद पवार को जेड प्लस सिक्योरिटी देने का फैसला किया है। हालांकि पवार ने कहा कि लग रहा है चुनाव नजदीक आ गया है।


Sharad Pawar News: अगर कोई सवाल करे कि नेता कौन है, आसान सा जवाब यही होगा जो रास्ता दिखाए, जो नेतृत्व करे जो मुश्किलों में जनता के लिए ढाल बने। यकीनन यह जवाब गलत नहीं है। लेकिन मौजूदा समय में जिस तरह से नेता की परिभाषा बदली है उसमें नेता और नैतिकता के बीच की डोर और पतली हुई है। अब नेता का मतलब लाव लश्कर से है, वो अपने इलाके में कितना रसूख रखता है। अब बात जब नेता की हो रही है तो सुरक्षा का मुद्दा बेहद अहम है। हाल ही में केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार को जेड प्लस सिक्योरिटी मुहैया कराने की पेशकश की है। इस व्यवस्था के तहत सीआरपीएफ के करीब 55 कर्मी साए की तरह उनसे जुड़े होंगे। कहने का अर्थ यह है कि परिंदा भी पर नहीं मार पाएगा। लेकिन शरद पवार की चिंता अलग तरह की है।

शरद पवार को जेड प्लस सिक्योरिटी
शरद पवार कहते हैं कि सुरक्षा देना तो बहाना है असली मकसद जासूसी है. उनके ऊपर निगाह रखना है। सुरक्षा बढ़ाए जाने के बारे में पूछे जाने पर 83 वर्षीय नेता ने गुरुवार को नवी मुंबई में मीडिया से कहा कि उन्हें इस कदम के पीछे के कारण के बारे में जानकारी नहीं है।पवार ने कहा, "गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने मुझे बताया कि सरकार ने तीन लोगों को जेड प्लस सुरक्षा देने का फैसला किया है और मैं उनमें से एक हूं। मैंने पूछा कि अन्य दो कौन हैं। मुझे बताया गया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं।"
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि शायद चूंकि चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए यह (मेरे बारे में) प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने की एक व्यवस्था हो सकती है। पवार की जेड प्लस सुरक्षा के लिए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 55 सशस्त्र कर्मियों की एक टीम को चिह्नित किया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने पहले बताया था कि केंद्रीय एजेंसियों द्वारा खतरे के आकलन की समीक्षा में पवार के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवर की सिफारिश की गई थी।
क्या शरद पवार के दावे में दम है
अब सवाल यह है कि शरद पवार कि बातों में किसी तरह का दम है। इस संबंध में सियासत के जानकार कहते हैं कि आप इसे सामान्य तरीके से समझिए। मान लीजिए कि आप कहीं आते जाते हैं और आपके साथ कोई नहीं होता तो जाहिर सी बात है कि जिससे भी आप मिलते होंगे उस मुलाकात के बारे में सिर्फ दो ही लोग जानेंगे। लेकिन अगर आपके साथ सुरक्षाबलों का लावलश्कर चले और उसकी कमान किसी और के हाथ में हो तो जाहिर सी बात है कि आप किससे मिल रहे हैं उसके बारे में जानकारी होगी। अब सियासत में हर एक नेता एक दूसरे से मिलता है राजनीति की बातें करता है ऐसी सूरत में निश्चित तौर पर जानकारी उसके विरोधियों को हो सकती है। लिहाजा जासूसी की संभावना या आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन शरद पवार अगर ऐसा कह रहे हैं और चुनाव की बात कर रहे हैं तो उसे समझना जरूरी है।
अगर आप शरद पवार की पार्टी को देखें तो वो दो फाड़ में बंटी हुई है। एक की अगुवाई वो खुद और दूसरे धड़े की अगुवाई अजित पवार कर रहे हैं। आम चुनाव 2024 के नतीजों को अगर देखें तो शरद पवार का धड़ा अपने गठबंधन यानी महाविकास अघाड़ी में भले ही अच्छा प्रदर्शन ना कर सका हो भतीजे अजित पवार पर भारी पड़े हैं। अब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में किसी भी धड़े का प्रदर्शन इस बात पर निर्भर करेगा कि वो कितनी बेहतर रणनीति गोपनीयता के साथ बना पाता है। अब अगर सुरक्षा के नाम पर साए की तरह सुरक्षाकर्मी होंगे तो जाहिर सी बात है कि परेशानी बढ़ेगी। अगर आप इतिहास में देखें तो चंद्रशेखर सिंह जब पीएम थे तो उस वक्त कांग्रेस ने कैसे आरोप लगाए थे कि उनकी सरकार हरियाणा पुलिस के जरिए जासूसी करा रही थी और सरकार से समर्थन भी वापस ले लिया था। हालांकि चंद्रशेखर सिंह की सरकार ने कांग्रेस के आरोप को नकार दिया था।
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