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शशि थरूर: "अगर कांग्रेस मुझे नहीं चाहती तो मेरे पास और भी विकल्प हैं"
जब से शशि थरूर ने केरला की लेफ्ट सरकार की कार्यप्रणाली की तारीफ़ की और प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ़ की, तब से कांग्रेस के अन्दर ही शशि थरूर की आलोचना हो रही है।
Shashi Tharoor And Congress: कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और संसद सदस्य शशि थरूर ने हाल ही में एक अहम संदेश दिया है, जिसमें उन्होंने पार्टी आलाकमान को संकेत दिया है कि अगर कांग्रेस उनकी सेवाएं नहीं चाहती हैं, तो उनके पास अन्य विकल्प भी हैं। थरूर का यह संदेश उस समय आया है, जब वह अपनी पार्टी कांग्रेस से विवादों में घिरे हुए हैं। इन विवादों का मुख्य कारण उनके द्वारा वामपंथी सरकार की नीतियों की सराहना करना और पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं द्वारा उनकी आलोचना करना है।
वामपंथी सरकार की तारीफ पर विवाद
शशि थरूर ने हाल ही में मलयालम भाषा के पॉडकास्ट 'वर्थमानम' में केरल में वामपंथी सरकार, यानी सीपीएम की नीतियों की तारीफ की थी। उन्होंने राज्य के विकास और खनिज क्षेत्र में सरकार की सफलता का उल्लेख किया था, जिससे पार्टी के भीतर घमासान मच गया था। उनके इस बयान को लेकर कांग्रेस के अंदर और बाहर आलोचनाओं का सिलसिला शुरू हो गया। हालांकि, थरूर ने इस पर अपनी सफाई देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य केवल राज्य के विकास पर चर्चा करना था, न कि किसी राजनीतिक दल के समर्थन में बात करना।
उन्होंने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत विचार था, और यदि इस पर किसी को आपत्ति है, तो वह इस पर बात करने के लिए तैयार हैं। लेकिन उनका यह स्पष्ट संदेश था कि यदि पार्टी उन्हें पसंद नहीं करती, तो वह अपनी राजनीतिक यात्रा को जारी रखने के लिए स्वतंत्र हैं।
"मेरे पास और भी विकल्प हैं"
अपने बयान में थरूर ने यह भी कहा, "अगर पार्टी मुझे चाहती है तो मैं पार्टी के लिए मौजूद रहूंगा। अगर नहीं, तो मेरे पास अपने काम करने के कई विकल्प हैं। मेरे पास किताबें, भाषण, दुनिया भर से बातचीत के लिए निमंत्रण हैं। मुझे केवल पार्टी के लिए ही नहीं, बल्कि देश और दुनिया के लिए भी योगदान देने का अवसर मिलेगा।"
यह बयान पार्टी के भीतर उनकी स्थिति को लेकर संकेत था कि थरूर सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं, बल्कि राजनीतिक, बौद्धिक और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी अपनी पहचान बनाए रख सकते हैं। उनके इस बयान ने यह सवाल उठाया है कि क्या पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं को सही दिशा में इस्तेमाल कर पा रही है और क्या थरूर जैसे नेताओं को पार्टी के भीतर सम्मान मिल रहा है।
केरल में कांग्रेस का संकट
केरल में कांग्रेस पार्टी की स्थिति पर चर्चा करते हुए थरूर ने कहा कि कांग्रेस को राज्य में अपनी अपील बढ़ाने की आवश्यकता है, वरना वह लगातार तीसरी बार विपक्ष में बैठ सकती है। उन्होंने कहा, "कांग्रेस केवल अपने पारंपरिक वोट बैंक के सहारे चुनाव नहीं जीत सकती। हमें उन मतदाताओं को भी आकर्षित करना होगा, जिन्होंने पिछले दो चुनावों में कांग्रेस को नकारा किया है।" उन्होंने यह भी कहा कि अगर कांग्रेस को 2024 के राष्ट्रीय चुनावों में सत्ता में आना है, तो उसे अपने वोट बैंक में 26-27% अतिरिक्त वोट जोड़ने होंगे।
राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस की स्थिति
थरूर ने कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर वोट शेयर की स्थिति पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा, "कांग्रेस का राष्ट्रीय स्तर पर वोट शेयर करीब 19% है। क्या हम केवल इस पर संतुष्ट हो सकते हैं? यदि हमें सत्ता में आना है, तो हमें अपने वोट बैंक को बढ़ाना होगा और उन लोगों का समर्थन प्राप्त करना होगा, जो पिछले चुनावों में कांग्रेस से दूर हो गए थे।"
यह बयान कांग्रेस की चुनावी रणनीति पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। थरूर का कहना है कि कांग्रेस को अपने पारंपरिक वोटर्स से बाहर जाकर नए मतदाताओं को आकर्षित करने की आवश्यकता है, ताकि वह आगामी चुनावों में सफलता हासिल कर सके।
आलोचनाओं का जवाब और भविष्य की दिशा
वहीं, शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी मुलाकातों को लेकर भी आलोचनाएं झेली हैं। खासकर, उनके द्वारा मोदी और ट्रंप की मुलाकात की तारीफ करने को लेकर पार्टी के कुछ नेताओं ने उन्हें निशाने पर लिया था। थरूर ने अपनी आलोचना का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने यह टिप्पणियां भारत के हित को ध्यान में रखते हुए की थीं, और यह जरूरी नहीं कि हर राजनेता हमेशा अपनी पार्टी के नजरिए के हिसाब से ही बात करें। उनका मानना था कि कभी-कभी राष्ट्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
शशि थरूर का यह संदेश कांग्रेस पार्टी और उसके आलाकमान के लिए एक चेतावनी के रूप में देखा जा सकता है। उनका यह कहना कि अगर पार्टी उन्हें नहीं चाहती तो उनके पास और भी विकल्प हैं, इस ओर इशारा करता है कि वह अपनी राजनीतिक पहचान को लेकर स्पष्ट हैं और अपनी स्वतंत्रता को महत्व देते हैं। उनके बयान से यह भी साफ है कि वह अपनी पार्टी के भीतर अपनी स्थिति को लेकर किसी प्रकार के समझौते के लिए तैयार नहीं हैं।