तमिलनाडु भाषा नीति पर राजनीतिक विवाद, BJP ने दिया सुंदर पिचाई का मिसाल
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तमिलनाडु भाषा नीति पर राजनीतिक विवाद, BJP ने दिया सुंदर पिचाई का मिसाल

DMK two-language policy: अन्नामलाई ने डीएमके मंत्रियों पर अपने बच्चों को तीन भाषाओं में शिक्षा देने और वंचित वर्ग के बच्चों को ऐसा करने से रोकने का भी आरोप लगाया है.


Tamil Nadu language policy: 13 मार्च को तमिलनाडु की भाषा नीति को लेकर राजनीतिक विवाद और तेज हो गया. राज्य भाजपा प्रमुख के अनामलाई ने डीएमके की दो-भाषा नीति की आलोचना करते हुए गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई का उदाहरण दिया, जिनकी शिक्षा बहुभाषी रही है.

दोहरी नीति का आरोप

अनामलाई ने डीएमके पर दोहरे मानकों का पालन करने का आरोप लगाया. उनका कहना था कि राज्य के कई मंत्री, जैसे कि सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री पीटीआर पलानीवेल राजन के बच्चों को तीन भाषाओं में शिक्षा दी जा रही है. जबकि गरीब छात्रों को यह अवसर नहीं दिया जा रहा.

पीटीआर पलानीवेल राजन का बचाव

इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पीटीआर पलानीवेल राजन ने कहा कि उनके दो बेटे कड़ाई से दो-भाषा नीति के तहत शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने मदुरै में यह भी कहा कि समझदार लोग किसी भी हाल में तीन-भाषा प्रणाली का समर्थन नहीं करते.

अनामलाई का सवाल

तमिलनाडु के तेंकासी में 12 मार्च को एक सार्वजनिक सभा में अनामलाई ने पीटीआर के बयान को चुनौती दी. उन्होंने सवाल उठाया कि पीटीआर ने कहा कि उनके बेटे दो-भाषा नीति का पालन करते थे. लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि कौन सी भाषाएं थीं. अगर ये अंग्रेजी और फ्रेंच या स्पेनिश थीं तो क्या यह तमिलनाडु सरकार की दो-भाषा नीति है? इसके साथ ही अनामलाई ने पीटीआर के दावे को यह कहते हुए नकारा कि दक्षिण भारत के कई प्रमुख मल्टीनेशनल कंपनियों के सीईओ दो-भाषा प्रणाली में पढ़े हैं और हिंदी का इनमें कोई योगदान नहीं था.

सुंदर पिचाई का उदाहरण

डीएमके की स्थिति को चुनौती देने के लिए अनामलाई ने सुंदर पिचाई का उदाहरण दिया. पिचाई, जो तमिलनाडु में जन्मे और बहुभाषी शिक्षा से सफलता प्राप्त करने वाले एक प्रमुख व्यक्ति हैं, अनामलाई ने उन्हें एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में प्रस्तुत किया. अनामलाई ने कहा कि हम सिर्फ यह सवाल उठा रहे हैं कि तमिलनाडु सरकार सरकारी स्कूलों के छात्रों को हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में क्यों नहीं पढ़ने देती. जबकि NEP 2020 में इसका समर्थन किया गया है. उन्होंने पिचाई की तीन भाषाओं में शिक्षा, जिसमें हिंदी भी शामिल था, को एक उदाहरण के रूप में पेश किया.

विवाद में नया मोड़

अनामलाई का पिचाई का उदाहरण देना इस ongoing भाषा विवाद में नया मोड़ लेकर आया है. इसे अब वैश्विक प्रतिस्पर्धा और क्षेत्रीय संरक्षणवाद के बीच संघर्ष के रूप में देखा जाने लगा है. इससे डीएमके और उसके सहयोगियों से भी कड़ी प्रतिक्रिया मिली है, जिन्होंने NEP 2020 को हिंदी थोपने की कोशिश माना. मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 12 मार्च को तिरुवल्लूर में आयोजित एक रैली में इस नीति को "गरीब विरोधी" और "सफ्रोनाइज्ड" करार दिया और केंद्र सरकार पर संघीयता को कमजोर करने का आरोप लगाया.

पीटीआर पलानीवेल राजन का बचाव

पीटीआर ने भाजपा के आरोपों को "आधे सच" करार दिया और दो-भाषा नीति का बचाव करते हुए इसे 1968 में सीएन अन्नादुरई द्वारा स्थापित एक धरोहर बताया. उन्होंने कहा कि दो-भाषा नीति तमिलनाडु की सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए आवश्यक है.

बीजेपी की रणनीति

तमिलनाडु के राजनीतिक माहौल में आगामी चुनावों को देखते हुए अनामलाई द्वारा पिचाई को इस भाषाई और सांस्कृतिक विवाद में खींचने से भाजपा की रणनीति स्पष्ट होती है. यह कदम डीएमके के गढ़ को चुनौती देने का प्रयास प्रतीत हो रहा है. हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह रणनीति मतदाताओं में कितनी गूंज पैदा करती है. लेकिन भाषा नीति पर यह विवाद अब व्यक्तिगत हमलों और हस्तियों के संदर्भ में और बढ़ गया है.

डीएमके का विरोध

अनामलाई द्वारा पीटीआर पर की गई व्यक्तिगत आलोचना, जिसमें पिचाई का संदर्भ दिया गया, डीएमके की तमिल पहचान के बचाव के खिलाफ एक स्पष्ट विरोध के रूप में सामने आया. इस बीच तमिलनाडु के बिजली मंत्री वी. सेनथिल बालाजी और वीसीके नेता थिरुमावलवण ने भी अनामलाई पर हमला बोला. कोयंबटूर में एक सार्वजनिक बैठक में सेनथिल बालाजी ने अनामलाई पर भाषा मुद्दे को लेकर झूठे वादे करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि अनामलाई, जो यूके में एक विशेष राजनीतिक कोर्स के लिए गए थे, कहते हैं कि वे हिंदी बोल सकते हैं? उन्हें केवल अंग्रेजी में ही बातचीत की गई थी. यह स्पष्ट रूप से यह दिखाता है कि हिंदी से किसी को कोई फायदा नहीं होगा.

भारत में पढ़ाई और नौकरी के अवसर

चेन्नई हवाई अड्डे पर मीडिया से बात करते हुए थिरुमावलवण ने कहा कि यह भ्रांति फैलाई जा रही है कि भारत में पढ़ाई करने से वैश्विक नौकरी के अवसर मिलते हैं. उन्होंने कहा कि दो भाषाएं पढ़ना हमारे लिए पर्याप्त है; जो लोग हिंदी पढ़ते हैं, वे अक्सर तमिलनाडु में नौकरी की तलाश में आते हैं.

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