
स्टालिन का दबाव या वजह कुछ और, परिसीमन पर तमिलनाडु बीजेपी के बदले सुर
परिसीमन पर तमिलनाडु BJP अध्यक्ष अन्नामलाई के स्पष्टीकरण को जानकार पार्टी के असर को बनाए रखने की कोशिश देखते हैं, क्योंकि सीएम एमके स्टालिन मजबूत होकर उभरे हैं।
अगले वर्ष होने वाले परिसीमन अभ्यास को लेकर उठ रहे विवाद को शांत करने के प्रयास में, तमिलनाडु बीजेपी प्रमुख के. अन्नामलाई ने शनिवार (22 मार्च) शाम को दावा किया कि लोकसभा सीटों का पुन: आवंटन "प्रो-राटा" आधार पर किया जाएगा। इसका मतलब यह हो सकता है कि लोकसभा में सीटों की कुल संख्या में वृद्धि के बावजूद, राज्यों के बीच सीटों का अनुपात वर्तमान की तरह ही बना रहेगा।
प्रो-राटा ढांचा
तमिलनाडु के पुथिया थलैमुरई टीवी चैनल के साथ एक विशेष बातचीत में अन्नामलाई ने कहा, "यह सिर्फ मेरा विचार नहीं है, बल्कि यह बीजेपी की आधिकारिक नीति है कि प्रो-राटा ढांचे का पालन किया जाए। उदाहरण के लिए, तमिलनाडु मौजूदा 7.18% प्रो-राटा अनुपात के साथ जारी रहेगा। पूरे देश में एक ही निष्पक्ष प्रणाली लागू होगी, दो अलग-अलग नियम नहीं होंगे।"
इस बयान का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह ऐसे समय में आया है जब डीएमके के नेतृत्व में गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और वरिष्ठ नेताओं का एक दिवसीय सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
अमित शाह का बयान
गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में तमिलनाडु दौरे के दौरान कहा था,"मैं दक्षिण भारत की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूं कि मोदी जी ने आपकी चिंताओं का ध्यान रखा है। प्रो-राटा आधार पर किसी भी सीट को कम नहीं किया जाएगा। जो भी वृद्धि होगी, उसमें दक्षिणी राज्यों को उचित हिस्सेदारी मिलेगी। इस पर संदेह करने की कोई जरूरत नहीं है।"
राजनीतिक मजबूरियां?
शाह के इस बयान के कुछ दिन बाद ही डीएमके नेता ए. राजा ने तीखी प्रतिक्रिया दी और पूछा, "क्या परिसीमन जनसंख्या जनगणना के आधार पर होगा या मौजूदा संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के अनुसार?" उन्होंने इसे गृह मंत्री की "झूठी गारंटी" बताया।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अन्नामलाई का यह स्पष्टीकरण तमिलनाडु में बीजेपी की स्थिति को मजबूत करने का प्रयास है, क्योंकि मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने दक्षिणी राज्यों की चिंताओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से उठाया है।
दक्षिणी राज्यों की चिंता
चूंकि 2026 में होने वाली जनगणना और परिसीमन अभ्यास की तारीखों की अभी तक घोषणा नहीं हुई है, इसलिए दक्षिणी राज्यों में इसे लेकर तनाव बना हुआ है। खासतौर पर तमिलनाडु चिंतित है, क्योंकि अगले साल वहां विधानसभा चुनाव भी होने हैं।
इसके अलावा, तीन-भाषा नीति, नई शिक्षा नीति और केंद्र एवं राज्यों के बीच संसाधनों के बंटवारे जैसे मुद्दों को लेकर भी दक्षिणी राज्यों और केंद्र सरकार के बीच मतभेद बने हुए हैं, हालांकि उनकी तीव्रता राज्य दर राज्य भिन्न है।
बीजेपी का दिल्ली अभियान
अन्नामलाई ने कहा कि अमित शाह परिसीमन की प्रक्रिया को संसद में स्पष्ट करेंगे। उन्होंने डीएमके पर निशाना साधते हुए कहा,"39 सांसदों वाली डीएमके को यह मुद्दा संसद में उठाना चाहिए, न कि चेन्नई में नाटक करना चाहिए। अगर वे संसद में सवाल उठाते हैं, तो अमित शाह खुद इस पर स्पष्टीकरण देंगे।"उन्होंने यह भी संकेत दिया कि बीजेपी संवाद के लिए तैयार है। उन्होंने कहा,
"वक्फ बोर्ड जैसे मुद्दों पर, बीजेपी ने विपक्षी दलों द्वारा सुझाए गए 14 सुधारों को स्वीकार किया था। इसी तरह, हम डीएमके और अन्य पार्टियों के विचारों पर भी विचार करने के लिए तैयार हैं।" इससे पहले, स्टालिन की अध्यक्षता में गठित संयुक्त कार्रवाई समिति (Joint Action Committee) ने दक्षिणी राज्यों के नेताओं के साथ बैठक की, जिसमें उन्होंने जनसंख्या-आधारित परिसीमन के कारण संभावित संसदीय प्रतिनिधित्व में कमी को लेकर अपनी एकजुटता जताई।