
'परिसीमन-हिंदी' को लेकर तमिलनाडु में बढ़ता विवाद? पक्ष-विपक्ष ने सुर में मिलाए सुर
Hindi and delimitation: मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया गया कि यदि परिसीमन किया जाए तो यह 1971 की जनसंख्या के आधार पर किया जाए.
Tamil Nadu CM MK Stalin meeting with political parties: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने बुधवार को राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में विपक्षी दल एआईएडीएमके भी शामिल रहा. इस दौरान दो विवादित मुद्दों—'हिंदी थोपने' और परिसीमन (डिलीमिटेशन) पर चर्चा की गई. ये मुद्दे इन दिनों राज्य और केंद्र सरकार के बीच विवाद के बीच चर्चा में बने हुए हैं.
डीएमके का प्रस्ताव
बैठक में मुख्यमंत्री स्टालिन ने एक प्रस्ताव रखा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया गया कि यदि परिसीमन किया जाए तो यह 1971 की जनसंख्या के आधार पर किया जाए और अगले 30 वर्षों तक इसे स्थायी रूप से लागू किया जाए. उन्होंने यह भी कहा कि यदि सांसदों की संख्या बढ़ाई जाती है तो सभी राज्यों को समान अनुपात में प्रतिनिधित्व देने के लिए संविधान में संशोधन किया जाना चाहिए. डीएमके का यह मानना है कि तमिलनाडु ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं और यदि परिसीमन जनसंख्या के आधार पर किया जाता है तो यह राज्य के लिए नाइंसाफी हो सकता है. स्टालिन ने यह भी स्पष्ट किया कि तमिलनाडु परिसीमन के खिलाफ नहीं है. लेकिन राज्य के लिए इसे एक सजा के रूप में लागू नहीं किया जाना चाहिए. बैठक में यह भी प्रस्तावित किया गया कि तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों के सांसदों की एक संयुक्त समिति बनाई जाए, ताकि परिसीमन के मुद्दे पर जनता में जागरूकता फैलाने के प्रयास किए जा सके.
स्टालिन की चेतावनी
बैठक से पहले स्टालिन ने दक्षिणी राज्यों को चेतावनी दी थी कि परिसीमन के नाम पर हमारे सिर पर तलवार लटकी हुई है. उन्होंने कहा कि इससे तमिलनाडु का संसद में प्रतिनिधित्व घट सकता है और यह राज्य की आवाज को पहले ही दबाए जाने की स्थिति को और बढ़ावा देगा. स्टालिन ने इस मुद्दे को तमिलनाडु के अधिकारों से जोड़ते हुए इसे एक महत्वपूर्ण संघर्ष बताया.
परिसीमन विवाद
परिसीमन अब डीएमके और बीजेपी के बीच एक गंभीर विवाद बन चुका है. खासकर 2026 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनावों के दृष्टिकोण से. डीएमके का आरोप है कि प्रस्तावित सीमांकन के तहत जनसंख्या के आधार पर सीटों का पुनर्विभाजन किया जाएगा, जिससे दक्षिणी राज्यों को नुकसान हो सकता है.
बीजेपी के आलोचक यह तर्क करते हैं कि इस प्रक्रिया से दक्षिणी राज्यों को नुकसान होगा. क्योंकि इन राज्यों की जनसंख्या उत्तर के राज्यों के मुकाबले कम है. इसके परिणामस्वरूप, इन राज्यों को सांसदों की कम संख्या मिलेगी. जबकि उत्तर के राज्यों को अधिक प्रतिनिधित्व मिलेगा. उदाहरण के तौर पर, तमिलनाडु के पास वर्तमान में लोकसभा में 39 सीटें हैं. जो कुल सीटों का 7.2 प्रतिशत हैं. यदि परिसीमन जनसंख्या के आधार पर होता है तो यह हिस्सेदारी घट सकती है.
हालांकि, गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में यह आश्वासन दिया था कि तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों को सीटों में कोई कमी नहीं होगी, बल्कि उन्हें अधिक सीटें मिल सकती हैं. लेकिन स्टालिन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इसका मतलब यह नहीं है कि उत्तर के राज्यों के लिए सीटों में वृद्धि नहीं होगी. जो इस विवाद का एक और पहलू है.
'हिंदी' विवाद
बैठक के दौरान एक और प्रमुख मुद्दा सामने आया—बीजेपी द्वारा तमिलनाडु में तीन भाषा नीति को बढ़ावा देने के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया गया. डीएमके और एआईएडीएमके ने इसे 'हिंदी थोपने' का प्रयास करार दिया. हालांकि, बीजेपी ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति छात्रों को अपनी पसंदीदा तीसरी भाषा चुनने का अवसर देती है और यह जरूरी नहीं कि वह हिंदी हो.