लोकसभा सीट परिसीमन पर स्टालिन का विरोध, कहा- अन्याय नहीं करेंगे बर्दाश्त
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लोकसभा सीट परिसीमन पर स्टालिन का विरोध, कहा- अन्याय नहीं करेंगे बर्दाश्त

स्टालिन ने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमारा संदेश साफ है- संसदीय क्षेत्रों का सीमांकन केवल जनसंख्या के आधार पर न किया जाए.


तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह संसदीय क्षेत्रों का सीमांकन केवल जनसंख्या के आधार पर न करे. क्योंकि इससे दक्षिणी राज्यों को अनुचित रूप से 'सजा' दी जाएगी. उन्होंने यह चेतावनी दी कि इस प्रकार के किसी भी कदम का कड़ा विरोध किया जाएगा. तमिलनाडु और उनकी पार्टी DMK कभी भी इस तरह के अन्याय को स्वीकार नहीं करेंगे.

AI और अनुवाद तकनीक का समर्थन

मुख्यमंत्री स्टालिन ने शिक्षा प्रणाली में बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि छात्रों को अतिरिक्त भाषाओं को अनिवार्य रूप से सीखने के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए. इसके बजाय, उन्होंने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और उन्नत अनुवाद तकनीकी को एक प्रभावी समाधान के रूप में प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि सच्ची प्रगति नवाचार में है, न कि भाषाई दबावों में.

बीजेपी के हिंदी समर्थन पर प्रतिक्रिया

बीजेपी नेताओं के हिंदी के समर्थन में उठाए गए तर्कों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए स्टालिन ने कहा कि उत्तर भारत में हिंदी के उपयोग को लेकर जो तर्क दिए जा रहे हैं, उन्हें AI और अनुवाद तकनीकी के माध्यम से हल किया जा सकता है. स्टालिन ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि AI के इस युग में, किसी भी भाषा को तीसरी भाषा के रूप में स्कूलों में थोपने की आवश्यकता नहीं है. उन्नत अनुवाद तकनीकी पहले ही भाषा की दीवारों को हटा देती है. छात्रों को मातृभाषा और अंग्रेजी में दक्षता हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और विज्ञान और तकनीकी में विशेषज्ञता प्राप्त करने के बाद, अगर जरूरत पड़े तो वे किसी भी अन्य भाषा को बाद में सीख सकते हैं.

तमिलनाडु का स्पष्ट रुख

स्टालिन ने स्पष्ट किया कि तमिलनाडु की स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा. उन्होंने कहा कि हमारा संदेश साफ है- संसदीय क्षेत्रों का सीमांकन केवल जनसंख्या के आधार पर न किया जाए. जिन राज्यों ने जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार कदम उठाए हैं, उन्हें दंडित न किया जाए.

तमिलनाडु के भविष्य पर कोई समझौता नहीं

अपने 72वें जन्मदिन की पूर्व संध्या पर स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि हम तमिलनाडु के भविष्य और भलाई के साथ किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे. हमें एकजुट होकर हमारे राज्य के अधिकारों की रक्षा करनी होगी. तमिलनाडु इसका विरोध करेगा और जीत जाएगा. उनका जन्मदिन सामान्य तौर पर भव्य रूप से नहीं मनाया जाता है. लेकिन पार्टी कार्यकर्ता इस दिन को लोगों के बीच कल्याण सहायता वितरित करने, सार्वजनिक बैठकों का आयोजन करने और पार्टी के सिद्धांतों का प्रचार करने के रूप में मनाते हैं.

राज्य की चुनौतियों पर जोर

मुख्यमंत्री ने राज्य की दो मुख्य चुनौतियों का उल्लेख किया - "भाषा का संघर्ष," जो तमिलनाडु की पहचान है, और "सीमांकन का संघर्ष," जो राज्य का कानूनी अधिकार है. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे इन दोनों मुद्दों को लोगों तक सही तरीके से पहुंचाएं. क्योंकि संसदीय सीमांकन राज्य की आत्मसम्मान, सामाजिक न्याय और कल्याण योजनाओं को सीधे प्रभावित करता है.

राज्य की रक्षा के लिए खड़ा होना होगा

स्टालिन ने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि आपमें से हर किसी को यह संदेश लोगों तक पहुंचाना चाहिए. हमें राज्य की रक्षा के लिए खड़ा होना होगा. हम इस संघर्ष में अग्रणी हैं और पूरे देश के लिए एक रास्ता दिखा रहे हैं.

कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना और अन्य राज्यों से समर्थन की उम्मीद

मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना और अन्य राज्यों से समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने राज्यों पर अपनी इच्छाएं थोपने से इंकार किया है. लेकिन उनके कार्य इससे उलट हैं.

तीन-भाषा नीति पर सवाल

स्टालिन ने केंद्र की तीन-भाषा नीति पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह नीति तमिलनाडु के अधिकारपूर्ण फंड्स को रोकने का कारण बन रही है. केंद्र का दावा है कि तमिलनाडु की संसदीय सीटों में कोई कमी नहीं की जाएगी. लेकिन वे यह सुनिश्चित करने के लिए तैयार नहीं हैं कि अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व असमान रूप से न बढ़े.

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