तमिलनाडु सरकारी कर्मचारी SIR ड्यूटी से हटे, ‘वर्क स्टॉपेज प्रोटेस्ट’ घोषित
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तमिलनाडु सरकारी कर्मचारी SIR ड्यूटी से हटे, ‘वर्क स्टॉपेज प्रोटेस्ट’ घोषित

तमिलनाडु रेवेन्यू ऑफिशियल्स एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष एमपी मुरुगैयन ने द फेडरल से कहा कि यह विरोध सरकार के खिलाफ नहीं है। असल समस्या यह है कि मौजूदा हालात में हम यह काम कर ही नहीं सकते।


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तमिलनाडु की सात बड़ी सरकारी कर्मचारी यूनियनों ने मंगलवार (18 नवंबर) से मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के काम का पूरी तरह बहिष्कार करने का ऐलान किया है। इन यूनियनों में रेवेन्यू ऑफिशियल्स एसोसिएशन भी शामिल है। यूनियनों का कहना है कि यह सीधा सरकार के खिलाफ फैसला नहीं, बल्कि “वर्क स्टॉपेज प्रोटेस्ट” है, जिससे वे चुनाव आयोग के 30 दिन के टारगेट को ज़मीनी हकीकत में असंभव बताना चाहते हैं।

BLOs पर Collector का दबाव

तमिलनाडु रेवेन्यू ऑफिशियल्स एसोसिएशन के राज्य अध्यक्ष एमपी मुरुगैयन ने द फेडरल से कहा कि यह विरोध सरकार के खिलाफ नहीं है। असल समस्या यह है कि मौजूदा हालात में हम यह काम कर ही नहीं सकते। उन्होंने बताया कि जिला कलेक्टर बूथ लेवल ऑफिसर्स (BLOs) पर दबाव डाल रहे हैं कि 30 दिन के बजाय 2–3 दिनों में पूरा एन्यूमरेशन खत्म करें। BLO पहले ही मिड-डे मील, आंगनवाड़ी, रेवेन्यू विभाग और कभी-कभी शिक्षण कार्य जैसी जिम्मेदारियों में व्यस्त रहते हैं।

कोई अतिरिक्त स्टाफ नहीं दिया गया और न एक रुपया खर्च के लिए, न फॉर्म की फोटो कॉपी, न यात्रा भत्ता, न भोजन — कुछ भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। राज्यभर में BLOs से रोज 200 तक आवेदन जांचने को कहा जा रहा है। यूनियन यह भी जांच कर रही है कि कहीं स्टाफ पर राजनीतिक दबाव तो नहीं डाला जा रहा।

ग्राउंड पर भारी अव्यवस्था

द फेडरल की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु में राजनीतिक दलों के बूथ इंचार्ज और BLOs ने ज़मीनी स्तर पर कई गंभीर समस्याएं बताईं।

पुराने रिकॉर्ड मांगने से जनता परेशान

फॉर्म भरने के लिए 2002–2005 की पुरानी मतदाता सूचियों का डेटा मांगा जा रहा है। EPIC नंबर ऑनलाइन देखने पर “TN-” की जगह अजीब “FYL” कोड दिख रहा है। पुरानी फाइलें धुंधली, स्कैन की हुई और नॉन- सर्चेबल हैं।

BLOs को जल्दबाजी में ट्रेनिंग

हर BLO पर 1000 से ज्यादा वोटरों का काम। छोटे एड्रेस बदलाव या नए किरायेदारों पर क्या नियम है — साफ नहीं बताया गया। कई BLO फॉर्म घर–घर नहीं देकर राशन दुकानों पर ही बांट रहे हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोग छूट रहे हैं।

मजदूर, प्रवासी और नए वोटर सबसे ज्यादा प्रभावित

EC दावा कर रहा है कि 92% फॉर्म दे दिए गए, लेकिन असलियत में रोज़ कमाने वाले और हाल ही में आए प्रवासी लोग प्रक्रिया से बाहर छूट रहे हैं। आम जनता में वोट काटे जाने की आशंका बढ़ गई है।

ऑनलाइन पोर्टल ठप

* वेबसाइट बार-बार क्रैश

* EPIC नंबर सर्च टूल नहीं

* ग्रामीण इलाकों में फॉर्म को “वोटर स्लिप” मानकर लोग डर रहे हैं कि उनका नाम कट सकता है।

12 नवंबर तक EC के मुताबिक 5.67 करोड़ फॉर्म बांटे गए हैं, लेकिन लोगों में बड़े पैमाने पर नाम हटने का डर है — खासकर अल्पसंख्यक समुदाय में।

मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) का बयान

राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) अर्चना पटनायक ने बयान जारी कर कहा कि राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंट (BLA) अब रोज़ 50 सत्यापित फॉर्म सीधे BLOs को दे सकेंगे। इससे बोझ कम होगा और काम तेज़ी से पूरा होगा। उन्होंने BLAs से कहा कि वे सत्यापन के साथ फॉर्म जमा करें, क्योंकि यह 6.4 करोड़ मतदाताओं को प्रभावित करने वाली बड़ी प्रक्रिया है।

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