बेवजह दखल दे रही है ED, स्टालिन सरकार में मंत्री के एन नेहरू के भाई की दलील
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ईडी की यह याचिका ऐसे समय में आई है जब एजेंसी के अधिकारियों ने टीवीएच ग्रुप के खिलाफ जांच के तहत तमिलनाडु में केएन नेहरू के भाई एन रविचंद्रन के कई ठिकानों पर छापेमारी की है। फोटो: @KN_NEHRU/X

बेवजह दखल दे रही है ED, स्टालिन सरकार में मंत्री के एन नेहरू के भाई की दलील

रविचंद्रन के वकीलों ने ED की भूमिका पर कड़ा विरोध जताया है, एजेंसी के पास अधिकार क्षेत्र का अभाव है क्योंकि वह CBI केस में न तो शिकायतकर्ता है और न ही पीड़ित।


तमिलनाडु के नगर प्रशासन मंत्री केएन नेहरू के भाई और ट्रू वैल्यू होम्स (TVH) के प्रमोटर एन रविचंद्रन द्वारा दायर याचिका में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने हस्तक्षेप की मांग की है। यह याचिका सीबीआई की चार्जशीट को खारिज करने के लिए दाखिल की गई थी, जिसमें रविचंद्रन पर 30 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड का आरोप है।

मंगलवार, 15 अप्रैल को हुई सुनवाई में मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एम निर्मल कुमार ने ईडी को 12 जून तक हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने की अनुमति दी।

ईडी की स्वतंत्र जांच और कोर्ट में दखल की मांग

ईडी की ओर से विशेष लोक अभियोजक एन रमेश ने कोर्ट को बताया कि एजेंसी ने सीबीआई की एफआईआर के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की स्वतंत्र जांच की है, जिसमें कई अहम सबूत सामने आए हैं। ईडी का कहना है कि वह अपने निष्कर्ष कोर्ट के सामने रखना चाहती है, ताकि रविचंद्रन द्वारा दाखिल याचिका पर न्यायोचित निर्णय लिया जा सके।

सीबीआई की चार्जशीट में रविचंद्रन पर इंडियन ओवरसीज बैंक को 30 करोड़ रुपये का चूना लगाने का आरोप है। ईडी का दावा है कि जांच में जो दस्तावेज और सबूत सामने आए हैं, वे केस के लिए महत्वपूर्ण हैं और इसलिए एजेंसी का हस्तक्षेप जरूरी है।

"राजनीतिक मकसद से प्रेरित कार्रवाई": बचाव पक्ष

रविचंद्रन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनआर एलंगो और विक्रम चौधरी ने ईडी की दखल पर कड़ा विरोध जताया। उन्होंने तर्क दिया कि ईडी को इस मामले में हस्तक्षेप का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, क्योंकि वह ना तो शिकायतकर्ता है, और ना ही पीड़ित पक्ष। एलंगो ने ईडी की कार्रवाई को "राजनीतिक प्रेरित" बताते हुए कहा कि यह एक कानूनी नहीं बल्कि राजनीतिक कदम है।

एलंगो ने कोर्ट से अपील की कि अगर सीबीआई की चार्जशीट को मेरिट पर खारिज कर दिया जाए, तो ईडी को भी अपनी मनी लॉन्ड्रिंग जांच रोकने का निर्देश दिया जाए। चौधरी ने पूछा कि जब ईडी अपने मामलों में स्थानीय पुलिस को हस्तक्षेप नहीं करने देती, तो वह खुद सीबीआई मामलों में कैसे हस्तक्षेप कर सकती है? उन्होंने कहा कि किसी भी हस्तक्षेप के लिए औपचारिक याचिका जरूरी है, मौखिक निवेदन नहीं चलेंगे।

"रविचंद्रन को डर क्यों है?" — ईडी का पलटवार

ईडी के वकील रमेश ने राजनीतिक पूर्वाग्रह के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि एजेंसी ने इससे पहले भी कई मामलों में हस्तक्षेप किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर रविचंद्रन निर्दोष हैं, तो उन्हें ईडी की जांच से डर क्यों लग रहा है?

इस बीच, सीबीआई के विशेष लोक अभियोजक के. श्रीनिवासन ने कोर्ट से समय मांगा ताकि वे याचिका के खिलाफ जवाबी हलफनामा दाखिल कर सकें। उन्होंने ईडी के हस्तक्षेप को लेकर फैसला कोर्ट के विवेक पर छोड़ दिया।

कई शहरों में ईडी की छापेमारी, मंत्री नेहरू के शहर में भी कार्रवाई

ईडी की टीम ने हाल ही में चेन्नई, तिरुचिरापल्ली और कोयंबटूर समेत कई जगहों पर छापेमारी की थी। ये छापेमारी रविचंद्रन के TVH समूह से संबंधित मामलों में की गई। खास बात यह है कि तिरुचिरापल्ली, जो मंत्री केएन नेहरू का गृह क्षेत्र है, वहां भी छापेमारी की गई।

डीएमके सरकार और सत्तारूढ़ पार्टी ने इन छापों को केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध बताया है। उन्होंने इसे एक राजनीतिक एजेंडे के तहत की गई कार्रवाई करार दिया।

निष्कर्ष:

मद्रास हाईकोर्ट में चल रहे इस केस से तमिलनाडु की राजनीति और नौकरशाही की जटिलताओं की एक नई परत खुल रही है। ईडी और सीबीआई की भूमिका, राज्य सरकार की प्रतिक्रिया और अदालत की संवेदनशीलता — ये सब आने वाले दिनों में इस केस की दिशा तय करेंगे। अब निगाहें 12 जून पर टिकी हैं, जब ईडी अपनी औपचारिक याचिका दाखिल करेगी और कोर्ट में आगे की सुनवाई होगी।

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