
2030 तक तमिलनाडु का 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था का लक्ष्य, सपना या हकीकत
टॉकिंग सेंस विद श्रीनी के नवीनतम संस्करण में, द फेडरल के प्रधान संपादक एस श्रीनिवासन और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के अर्थशास्त्री और प्रोफेसर ए कलैयारासन ने तमिलनाडु की आर्थिक प्रगति का विश्लेषण किया। उनका विश्लेषण राज्य के वित्त मंत्री थंगम थेन्नारसु द्वारा वित्त वर्ष 25-26 के लिए बजट पेश करने के बाद आया है।
‘Talking Sense With Srini’ के नवीनतम संस्करण में, The Federal के संपादक-इन-चीफ एस. श्रीनिवासन और मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़ के अर्थशास्त्री एवं प्रोफेसर ए. कलैयारासन ने तमिलनाडु की आर्थिक स्थिति का गहराई से विश्लेषण किया। यह चर्चा तब हुई जब तमिलनाडु के वित्त मंत्री थंगम थेनारासु ने वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया, जो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले का अंतिम पूर्ण बजट है।
महत्वाकांक्षा बनाम वास्तविकता
तमिलनाडु ने 2030 तक $1 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है, जिसे लेकर आशावाद और संदेह दोनों हैं। कलैयारासन का मानना है कि इस तरह की अर्थव्यवस्था संबंधी महत्वाकांक्षाएं राजनीतिक रूप से आकर्षक हो सकती हैं, लेकिन वे अक्सर वास्तविकता से दूर होती हैं।उन्होंने कहा,"वर्तमान गति से तमिलनाडु को इस लक्ष्य तक पहुंचने में लगभग 15 साल लग सकते हैं।"
चुनौतियां:
तमिलनाडु का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) $310 बिलियन है।
5 वर्षों में इसे तीन गुना बढ़ाने के लिए 26% की असाधारण विकास दर चाहिए, जबकि वर्तमान दर 8% के आसपास है।
केवल तेज़ी से बढ़ना ही नहीं, बल्कि टिकाऊ और समावेशी विकास सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।
उद्योग और रोजगार की चुनौतियां
तमिलनाडु को लंबे समय से उद्योगों का केंद्र माना जाता रहा है। यहां ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे हाई-टेक उद्योगों के साथ-साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) का मजबूत आधार भी है।
ऑटोमेशन बढ़ने से नौकरियों की संख्या घटी है।
47% का उच्च सकल नामांकन अनुपात (GER) होने के बावजूद स्नातकों को उपयुक्त रोजगार नहीं मिल रहा है।
गिग इकॉनमी (अस्थायी नौकरियों) का चलन बढ़ा है।
कलैयारासन ने कहा,"चुनौती यह है कि शैक्षिक व्यवस्था को उस कौशल के साथ संरेखित किया जाए जिसकी वास्तव में श्रम बाजार में जरूरत है।"श्रीनिवासन ने कहा,"तमिलनाडु में भारत में महिलाओं की सबसे उच्चतम कार्य भागीदारी दरों में से एक है, लेकिन चुनौती यह है कि औद्योगीकरण रोजगार के अवसरों में परिवर्तित हो सके।"
Apple और Foxconn जैसे वैश्विक निवेशक आए हैं, लेकिन असली परीक्षा यह है कि MSMEs को इन आपूर्ति श्रृंखलाओं में कैसे जोड़ा जाए ताकि नए रोजगार पैदा हों।
कृषि क्षेत्र का घटता योगदान
तमिलनाडु की अर्थव्यवस्था में कृषि का योगदान घटकर 6-10% रह गया है, फिर भी सरकार अलग कृषि बजट पेश करती है।
श्रीनिवासन का तर्क: "हालांकि कृषि आर्थिक रूप से छोटी होती जा रही है, लेकिन यह सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनी हुई है।"
तमिलनाडु का सबसे बड़ा पर्व, पोंगल, एक कृषि उत्सव है।
शहरीकरण के बावजूद, कई लोग अपने ग्रामीण जड़ों से जुड़े हुए हैं।
कलैयारासन ने जलवायु परिवर्तन को बड़ी चुनौती बताया: बार-बार बाढ़ आने से फसल उत्पादन घट रहा है। जलवायु-सहिष्णु बीजों और पोस्ट-हार्वेस्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश आवश्यक है।"जैसे-जैसे कृषि आय गिर रही है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग बिना आर्थिक संकट के विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में स्थानांतरित हो सकें," उन्होंने कहा।
अंग्रेज़ी भाषा और आर्थिक लाभ
तमिलनाडु राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) और तीन-भाषा फॉर्मूला का विरोध कर रहा है, क्योंकि वह हिंदी थोपे जाने के खिलाफ है।कलैयारासन ने कहा, "अंग्रेज़ी पर तमिलनाडु का जोर ही उसकी आर्थिक सफलता की कुंजी है। इससे राज्य आईटी और वैश्विक व्यापार क्षेत्रों में आगे बढ़ा है।"
बहुभाषी होना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन अंग्रेज़ी दक्षता ने तमिलनाडु को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अच्छी स्थिति में रखा है।
तमिलनाडु का घटता केंद्रीय अनुदान
तमिलनाडु केंद्र से मिलने वाले अनुदानों में गिरावट को लेकर चिंता जता रहा है।
पूर्व वित्त मंत्री पलनिवेल थियागराजन के अनुसार, तमिलनाडु जितना कर योगदान देता है, उसकी तुलना में बहुत कम अनुदान प्राप्त करता है। ₹45,000 करोड़ बकाया हैं, जो राज्य के वित्तीय घाटे का 44% है।
श्रीनिवासन ने कहा,"तमिलनाडु का तर्क है कि केंद्रीय अनुदान वितरण में उसके साथ अन्याय हो रहा है, जो उसके विकास योजनाओं पर असर डाल सकता है।" तमिलनाडु की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से दोगुनी है।लेकिन केंद्रीय धनराशि अधिक जनसंख्या वाले और कम उत्पादक राज्यों को दी जाती है। यह वित्तीय असंतुलन केंद्र और राज्य के बीच बड़ा विवाद बना हुआ है।
तमिलनाडु की $1 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था की महत्वाकांक्षा को 15 वर्षों की आवश्यकता है, जबकि लक्ष्य 5 वर्षों में निर्धारित है। औद्योगीकरण और ऑटोमेशन के बावजूद रोजगार के अवसरों में गिरावट चिंता का विषय है। कृषि क्षेत्र का योगदान घटने के बावजूद यह राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण बना हुआ है। तमिलनाडु की अंग्रेज़ी दक्षता ने उसे आईटी और वैश्विक व्यापार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखा है। राज्य का केंद्रीय अनुदान में हिस्सा घट रहा है, जो उसके वित्तीय संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
आगे का रास्ता
तमिलनाडु के लिए विकास दर बढ़ाने, नौकरियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और वित्तीय न्याय की मांग करने की रणनीति बेहद महत्वपूर्ण होगी।