यूपी में उपभोक्ताओं को लग सकता है बिजली का झटका!
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यूपी में उपभोक्ताओं को लग सकता है बिजली का झटका!

यूपी में उपभोक्ताओं का बिजली का बिल बढ़ सकता है। पॉवर कॉरपोरेशन ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिजली की दरें बढ़ाने के लिए विद्युत नियामक आयोग के पास प्रस्ताव भेजा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद उसका विरोध कर रहा है।


उत्तर प्रदेश के लोगों को बिजली का झटका लग सकता है। बिजली महंगी हो सकती है। बिजली दरें बढ़ाने का जो प्रस्ताव यूपी पॉवर कॉरपोरेशन (Uttar Pradesh Power Corporation Limited) ने राज्य विद्युत नियामक आयोग (Uttar Pradesh Electricity Regulatory Commission) को भेजा है, उसके तहत शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही 40 से 45 प्रतिशत बढ़ी दरों से बिजली बिल देना पड़ेगा। इससे न सिर्फ प्रति यूनिट बिजली का बिल बढ़ेगा, बल्कि फिक्स्ड चार्ज भी बढ़ाने को तैयारी है। इसका असर घरेलू उपभोक्ताओं के साथ छोटे व्यापारियों, दुकानदारों पर भी पड़ेगा। हालांकि, राज्य विद्युत्त उपभोक्ता परिषद ने इसका विरोध शुरू कर दिया है।

महंगी हो सकती है बिजली

यूपी में जल्द ही बिजली महंगी हो सकती है। बिजली की दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव पॉवर कारपोरेशन ने तैयार किया है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इसकी जानकारी होने के बाद नियामक आयोग में याचिका दाखिल की है, जिस पर जल्द सुनवाई होगी। रिवाइज्ड दरों के प्रस्ताव में जहां प्रति यूनिट वृद्धि करने का प्रस्ताव है। वहीं, मीटर पर फिक्स्ड चार्ज को भी बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है। ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में ये वृद्धि होगी। जानकारी के अनुसार पॉवर कारपोरेशन ने जो प्रस्ताव तैयार किया है, उसके अनुसार हर यूनिट के लिए 11-13 रुपये तक का भुगतान करना पड़ सकता है।

सबसे बड़ा राज्य

यूपी में प्रतिदिन 32 हज़ार मेगावाट बिजली की मांग है तो वहीं उत्पादन सिर्फ़ 29 से 30 हज़ार मेगावाट है। ऐसे में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए रोस्टर (Roaster) A लागू किया गया है। बिजली उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं कि बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में 100 यूनिट तक 3 रुपए में बिजली देने का वायदा किया था। इस प्रस्ताव में भी बढ़ोतरी की गई है।

हर स्लैब में होगी वृद्धि

अगर वर्तमान में बिजली दरों को बात की जा आए तो ग्रामीण इलाकों के जनरल उपभोक्ताओं को अभी 100 unit तक 3.35 रुपए देने पड़ते हैं। इस प्रस्ताव में उसे 4 रुपए 50 पैसे करने का प्रस्ताव किया गया है। वहीं, 101 यूनिट से 150 यूनिट तक अभी 3.85 रुपए देने पड़ते हैं। इस प्रस्ताव में उसे 7 रुपए करने का प्रस्ताव किया गया है। अब तक ग्रामीण क्षेत्र के बिजली उपभोक्ताओं को 151 यूनिट से 300 यूनिट तक मौजूदा समय में 5.50 रुपए देने पड़ते हैं। इस प्रस्ताव के बाद 300 से ज़्यादा यूनिट के ऊपर 8 रुपए प्रति यूनिट देना होगा।

वहीं, अगर शहरी क्षेत्रों की बात करें तो 0- 100 यूनिट तक 5.50 रूपए प्रति यूनिट का भुगतान करना पड़ता है। अब इसके लिए 6 रुपए 50 पैसे देने होंगे। वहीं 101 यूनिट से 150 यूनिट तक का स्लैब अब खत्म किया जाएगा। नए स्लैब में 101 से 300 यूनिट तक अभी 8 रुपए प्रति यूनिट देने होंगे। अभी तक शहरी क्षेत्रों में 300 से ज़्यादा यूनिट पर प्रति यूनिट 6.50 रुपए देना पड़ता है। इस प्रस्ताव के बाद 9 रुपए देने होंगे।

बिजली उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं ‘यहीं पर खेल हुआ है। क्योंकि पूरा का पूरा स्लैब खत्म कर दिया गया है। दरअसल अगर किसी उपभोक्ता ने 101 से थोड़ा भी ज़्यादा खर्च किए तो भी उसे 300 यूनिट तक के लिए निर्धारित दर से चार्ज देना पड़ेगा।’ दरअसल 4 की जगह 3 स्लैब ( slab) कर देने से घरेलू उपभोक्ताओं के साथ छोटे व्यापारी, दुकानदारों को भी नुकसान होगा, जिनकी बिजली की खपत कम है।

फिक्स्ड चार्ज में भी बदलाव

इसके साथ ही प्रस्ताव में फिक्स्ड चार्ज में भी बढ़ोतरी कर नई दरों का प्रस्ताव किया गया है। शहरी इलाके के मीटर में प्रति किलोवॉट फिक्स्ड चार्ज 110 रुपए से बढ़ाकर 190 रुपए करने का प्रस्ताव है और ग्रामीण इलाकों में 90 रुपए किलोवाट से बढ़ाकर 150 रुपए करने की तैयारी है। इस तरह से अगर फिक्स्ड चार्ज और खर्च होने वाली यूनिट को जोड़ा जाए तो शहरी इलाकों में बिजली उपभोक्ताओं को 11-13 रुपए तक प्रति यूनिट की दर से चुकाना पड़ सकता है। यूपी पॉवर कॉरपोरेशन ने 19 मई को बिजली कंपनियों का घाटा 9200 करोड़ से बढ़ाकर 19600 करोड़ दिखाते हुए बिजली दरों में वृद्धि का प्रस्ताव किया था। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि ‘ये पूरी तरह से असंवैधानिक है। हमने नियामक आयोग में लोकमहत्व का प्रस्ताव दाखिल किया है, जिसकी सुनवाई होनी है। हम इस तरह बिजली दरें बढ़ाने का पूरा विरोध करेंगे।’ अवधेश वर्मा कहते हैं जब बिजली कंपनियों के पास उपभोक्ताओं का 33,122 करोड़ रुपया सरप्लस पड़ा हुआ है तो जनता को बिल में सब्सिडी मिलनी चाहिए। उसकी जगह बिल बढ़ाया जा रहा है।

12 साल में दोगुनी मांग

उत्तर प्रदेश में बिजली की मांग पिछले 12 साल में दुगनी हो गई है। 2013-14 में जहां प्रदेश में बिजली की मांग 15,670 मेगावाट थी। वहीं जून 2025 में मांग 32,000 मेगावाट से भी ज़्यादा हो गयी है। 6 जून को 28,581 मेगावाट, 7 जून को 29,502 मेगावाट और 8 जून को 30,161 मेगावाट बिजली आपूर्ति की गई। गर्मी को देखते हुए आगे मांग और ज़्यादा बढ़ने की उम्मीद है।

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