वोटर लिस्ट के संशोधन पर बीजेपी की सहयोगी TDP को आपत्ति, चुनाव आयोग से की बड़ी मांग
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टीडीपी ने चुनाव आयोग से कहा है कि विशेष सघन पुनरीक्षण का मकसद साफ हो। इस प्रक्रिया का उद्देश्य केवल वोटर लिस्ट में सुधार और नए नाम जोड़ना होना चाहिए, न कि नागरिकता की जांच

वोटर लिस्ट के संशोधन पर बीजेपी की सहयोगी TDP को आपत्ति, चुनाव आयोग से की बड़ी मांग

चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने चुनाव आयोग से कहा है कि आंध्र प्रदेश में अगर कोई व्यक्ति पहले से वोटर लिस्ट में दर्ज है, तो उसे दोबारा अपनी पात्रता साबित करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए, जब तक कोई ठोस वजह न हो।


बिहार में मतदाता सूची के रिवीजन को लेकर विपक्षी दल सवाल उठा रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार में बीजेपी की सहयोगी तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने भी अपनी आपत्ति दर्ज करा दी है। हालांकि टीडीपी ने आंध्र प्रदेश का मसला उठाया है। टीडीपी ने मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण को लेकर मंगलवार को चुनाव आयोग से कई अहम सुझाव और आपत्तियाँ दर्ज कराईं।

पार्टी ने मांग की कि यह प्रक्रिया किसी भी बड़े चुनाव से कम से कम छह महीने पहले तक पूरी हो जानी चाहिए, और इसके लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।

यह अपील उस समय आई है जब बिहार में इसी तरह की प्रक्रिया को लेकर विवाद चल रहा है। वहां विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि चुनाव से ऐन पहले की जा रही इस कवायद में नए वोटरों को अतिरिक्त दस्तावेज देने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे असमंजस और नाराज़गी बढ़ रही है।

टीडीपी की प्रमुख मांगें और सुझाव

1. पुनरीक्षण का उद्देश्य स्पष्ट हो

टीडीपी ने कहा कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य केवल नई प्रविष्टियों और संशोधन तक सीमित होना चाहिए, न कि नागरिकता की जांच। इसके लिए फील्ड अफसरों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएं।

2. पहले से नाम दर्ज है तो दोबारा पहचान न मांगी जाए

पार्टी ने सुझाव दिया कि अगर किसी व्यक्ति का नाम पहले से मतदाता सूची में दर्ज है, तो जब तक कोई ठोस आपत्ति न हो, उसे दोबारा पात्रता साबित करने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि नाम हटाने की जिम्मेदारी अफसरों या आपत्ति दर्ज करने वालों की होनी चाहिए, न कि खुद मतदाता की।

3. समय रहते शुरू हो SIR प्रक्रिया

आंध्र प्रदेश में अगला विधानसभा चुनाव 2029 में है। इसलिए टीडीपी चाहती है कि यह प्रक्रिया समय रहते शुरू की जाए, जिससे समुचित योजना और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

4. प्रवासियों और अस्थायी निवासियों को भी मिले वोटर अधिकार

राज्य के कई इलाकों, खासकर ग्रामीण और तटीय क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग पलायन करते हैं। टीडीपी चाहती है कि ऐसे लोगों को मोबाइल बीएलओ टीमों की मदद से सूची में शामिल किया जाए।

5. नाम हटाने की प्रक्रिया पारदर्शी हो

अगर किसी का नाम हटाया जा रहा है तो कारण स्पष्ट रूप से बताया जाए और संबंधित व्यक्ति को जवाब देने का उचित अवसर दिया जाए।

टीडीपी ने चुनाव आयोग से कहा है कि विशेष सघन पुनरीक्षण का मकसद साफ हो। इस प्रक्रिया का उद्देश्य केवल वोटर लिस्ट में सुधार और नए नाम जोड़ना होना चाहिए, न कि नागरिकता की जांच। इसके लिए फील्ड अफसरों को स्पष्ट निर्देश दिए जाएं।

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