बिहार चुनाव से पहले आरजेडी का बड़ा दांव, जातीय समीकरणों पर नजर
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बिहार चुनाव से पहले आरजेडी का बड़ा दांव, जातीय समीकरणों पर नजर

तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा जहानाबाद से शुरू होकर 10 जिलों की 66 सीटों को कवर करेगी। चुनावी समीकरण बदलने और RJD को धार देने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।


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Bihar Adhikar Yatra: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की सियासत में नया मोड़ आने वाला है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव मंगलवार से जहानाबाद से अपनी ‘बिहार अधिकार यात्रा’ की शुरुआत करने जा रहे हैं। यह यात्रा पाँच दिन चलेगी और 10 जिलों की 66 विधानसभा सीटों को कवर करेगी।

राहुल गांधी के बाद अब तेजस्वी की बारी

कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के बाद अब तेजस्वी यादव मैदान में उतर रहे हैं। फर्क यह है कि राहुल की यात्रा INDIA ब्लॉक के सहयोगी दलों के साथ थी, जबकि तेजस्वी की यह यात्रा पूरी तरह आरजेडी-केंद्रित होगी। इसमें किसी अन्य विपक्षी दल के नेता की मौजूदगी नहीं होगी।


यात्रा का रूट और कार्यक्रम

तेजस्वी यादव अपनी यात्रा जहानाबाद के गांधी मैदान से शुरू करेंगे और 20 सितंबर को वैशाली में इसका समापन होगा।

यात्रा का रूटमैप

जहानाबाद, नालंदा, पटना, बेगूसराय, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, समस्तीपुर, वैशाली।

इन इलाकों में वे जनसंपर्क और जनसंवाद के जरिए माहौल बनाने की कोशिश करेंगे।

66 सीटों पर बराबरी की जंग

2020 के विधानसभा चुनाव में इन 66 सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच मुकाबला लगभग बराबरी का रहा था।

एनडीए: 34 सीटें (जेडीयू 19, बीजेपी 15, एलजेपी 1)

महागठबंधन: 32 सीटें (आरजेडी 23, कांग्रेस 3, वामपंथी दल 6)

जहानाबाद में एनडीए का खाता नहीं खुला था, जबकि सुपौल में महागठबंधन को कोई सफलता नहीं मिली थी। यही वजह है कि इस बार इन सीटों पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

सियासी मकसद और जातीय समीकरण

तेजस्वी का यह कदम सिर्फ चुनावी यात्रा नहीं बल्कि एक रणनीतिक चाल भी है।जहानाबाद जैसे आरजेडी गढ़ को मजबूत बनाए रखना।नालंदा और बेगूसराय जैसे जेडीयू-बीजेपी के गढ़ में पैठ बनाना।यादव, भूमिहार और अतिपिछड़ी जातियों पर पकड़ मजबूत करना।विशेषज्ञों का मानना है कि यह यात्रा तेजस्वी के लिए कमज़ोर क्षेत्रों में उपस्थिति दर्ज कराने और पार्टी को चुनावी रूप से धार देने की कवायद है।

राहुल गांधी से प्रेरित, लालू यादव की विरासत

विश्लेषकों के अनुसार, जिस तरह राहुल गांधी की यात्रा ने कांग्रेस में नई जान डाली, उसी तरह तेजस्वी भी इस यात्रा से आरजेडी कार्यकर्ताओं और नेताओं का मनोबल बढ़ाना चाहते हैं।

तेजस्वी की रणनीति अपने पिता लालू प्रसाद यादव की तरह जनता से सीधा जुड़ाव बनाने की है। लालू हमेशा यात्राओं और रैलियों के जरिए जनता से संवाद करते रहे। यह यात्रा लालू की उस विरासत को आगे बढ़ाने का प्रयास मानी जा रही है।

पूरी तैयारी में आरजेडी

आरजेडी ने इस यात्रा को लेकर पूरी ताकत झोंक दी है।जिलाध्यक्षों और विधायकों को निर्देश दिया गया है कि भीड़ जुटाने में कोई कमी न छोड़ी जाए।हर जिले में एक बड़ा कार्यक्रम तय किया गया है ताकि अधिकतम लोग यात्रा का हिस्सा बनें।आरजेडी नेताओं का कहना है कि यह यात्रा किसानों, युवाओं, महिलाओं, रोज़गार और आम जनता के अधिकारों की आवाज़ बनेगी।

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