10 साल का हुआ तेलंगाना, जानें इस युवा राज्य के बारे में 10 अहम बातें
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10 साल का हुआ तेलंगाना, जानें इस युवा राज्य के बारे में 10 अहम बातें

संयुक्त आंध्र प्रदेश को विभाजित करके अलग राज्य बने तेलंगाना ने 2 जून को अपने गठन का एक दशक पूरा कर लिया है.


Telangana Anniversary: संयुक्त आंध्र प्रदेश को विभाजित करके अलग राज्य बने तेलंगाना ने रविवार (2 जून) को अपने गठन का एक दशक पूरा कर लिया है. चुनौतियों पर विजय प्राप्त करते हुए यह उभरता हुआ राज्य पिछले दशक में भारत के सबसे मजबूत और सबसे विकसित राज्यों में से एक बन गया है. ऐसे में द फेडरल आपको तेलंगाना की यात्रा, राज्य के लिए संघर्ष से लेकर विकास के मामले में तेजी से आगे बढ़ने के एक दशक के सफर पर ले जाएगा.

राज्य का दर्जा

तेलंगाना को अलग राज्य का दर्जा शिक्षा, रोजगार, क्षेत्र के पिछड़े क्षेत्रों के विकास के लिए धन के आवंटन, सिंचाई और पेयजल सुविधाओं के प्रावधान और आंध्र शासकों द्वारा क्षेत्र के संसाधनों के दोहन में कथित पक्षपात के खिलाफ विभिन्न चरणों में लोगों द्वारा दशकों के तीव्र संघर्ष के बाद हासिल हुआ था. पहला बड़ा संघर्ष साल 1968-69 में हुआ था, जो हिंसक आंदोलन में बदल गया था और क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में पुलिस की गोलीबारी में लगभग 360 लोगों की जान चली गई थी. इसे तत्कालीन केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार ने बेरहमी से कुचल दिया था.

संघर्ष का फल

पिछले कुछ सालों में तेलंगाना राज्य के लिए आंदोलन की गति धीमी पड़ने के बाद के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) नामक एक राजनीतिक संगठन बनाकर इसे फिर से हवा दी. आंदोलन ने जल्द ही गति पकड़ ली और केसीआर को लोगों का भारी समर्थन मिला, जिसका असर स्थानीय निकाय चुनावों और बाद में साल 2004 के विधानसभा चुनावों में देखने को मिला. हालांकि, आंध्र प्रदेश में कांग्रेस नेताओं की ओर से इसे कड़ा प्रतिरोध झेलना पड़ा. तेलंगाना आंदोलन सितंबर 2009 में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में आंध्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस राजशेखर रेड्डी की असामयिक मृत्यु के बाद ही पटरी पर आया. यह आंदोलन का अंतिम चरण था, जो नवंबर 2009 में केसीआर के आमरण अनशन से शुरू हुआ था, जिसने यूपीए सरकार को 9 दिसंबर 2009 को अलग तेलंगाना राज्य के लिए प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा करने के लिए मजबूर किया.

अनसुलझे मुद्दे

दोनों तेलुगू राज्यों के बीच कई ऐसे मुद्दे हैं, जो विभाजन के 10 साल बाद भी अनसुलझे हैं. दोनों राज्य कृष्णा और गोदावरी जल बंटवारे को लेकर कोर्ट में लड़ रहे हैं. आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की अनुसूची 9 और 10 में उल्लेखित कई परिसंपत्तियों का विभाजन अभी भी एक विवादास्पद मुद्दा बना हुआ है. 91 पीएसयू में से 22 पीएसयू का बंटवारा अभी भी अनसुलझा है.बिजली के बकाये के भुगतान को लेकर तेलंगाना और आंध्र के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है.आंध्र प्रदेश मांग कर रहा है कि तेलंगाना उसे आपूर्ति की गई बिजली के लिए 7,000 करोड़ रुपये का बकाया चुकाए.

राज्य का नाम

इतिहास के विद्वान जयधीर तिरुमाला राव के अनुसार, तेलंगाना नाम गोंडी भाषा से आया है.राव का दावा है कि यह नाम तेलंगाध से लिया गया है, जिसका गोंडी में अर्थ दक्षिण होता है और इसे लगभग 2000 साल पुरानी गोंड लिपि में संदर्भित किया गया है. तेलंगाना जैसे शब्द का सबसे पहला प्रयोग मलिक मकबूल तिलंगानी (14वीं शताब्दी ई.) के नाम में भी देखा जा सकता है, जिन्हें तिलंगानी कहा जाता था, जिसका अर्थ है कि वे तेलंगाना से थे.वे वारंगल किले (कटका पालुडु) के कमांडर थे और बाद में फिरोज शाह तुगलक के अधीन वजीर बने.

टीएस बनाम टीजी

तेलंगाना में मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने इस साल की शुरुआत में कैबिनेट मीटिंग में राज्य के कोड को 'टीएस' से बदलकर 'टीजी' करने का फैसला किया था.रेड्डी ने कहा कि पिछली सरकार ने अपनी मर्जी से 'टीएस' चुना था र किसी अन्य राज्य के कोड में 'राज्य' नहीं है.नवीनतम परिवर्तन सभी वाहन पंजीकरण प्लेटों पर दिखाई देगा. तत्कालीन सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने तेलंगाना के लिए संक्षिप्त नाम के रूप में टीएस का उपयोग करने का फैसला किया, जिसे साल 2014 में आंध्र प्रदेश से अलग करके बनाया गया था.। बीआरएस को पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के रूप में जाना जाता था, जिसे उनकी राष्ट्रीय आकांक्षाओं को दर्शाने के लिए बदल दिया गया था. सीएम रेड्डी ने दावा किया कि केसीआर ने अपनी पार्टी के नाम से मेल खाने के लिए संक्षिप्त नाम टीएस चुना था.

हैदराबाद

हैदराबाद अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संयुक्त राजधानी नहीं रहेगा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, यह रविवार से लागू होगा. आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2014 के अनुसार, 2 जून को नियत तिथि से मौजूदा आंध्र प्रदेश राज्य में हैदराबाद तेलंगाना राज्य और आंध्र राज्य की साझा राजधानी होगी, जिसकी अवधि 10 वर्ष से अधिक नहीं होगी. अधिनियम की धारा 5(2) के अनुसार, इस अवधि की समाप्ति के बाद हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी होगी और आंध्र प्रदेश के लिए एक नई राजधानी होगी.

बोलियां

अगर आंध्र प्रदेश साल 1956 में भाषाई आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य था तो विडंबना यह है कि इसका एक हिस्सा तेलंगाना, जो एक लंबे संघर्ष के बाद 2 जून 2014 को एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, यह साबित करने वाला पहला राज्य है कि भाषा अब एक राज्य के रूप में लोगों को बांधने वाला कारक नहीं है. भाषा के मामले में भी दोनों क्षेत्रों में बोली जाने वाली तेलुगु में थोड़ा बहुत अंतर है. हालांकि, लिखित रूप में कोई अंतर नहीं है. आंध्र क्षेत्र में बोली जाने वाली तेलुगु को आंध्रमु कहा जाता है, जिस पर संस्कृत का प्रभाव ज़्यादा है. जबकि, तेलंगाना की तेलगु में संस्कृत का प्रभाव कम है और यह द्रविड़ भाषा समूह का हिस्सा है.

हासिल क्या हुआ?

तेलंगाना आंदोलन इस नारे पर पनपा- नील्लु, निधुलु, नियमकालु" (पानी, धन और भर्ती). आंदोलन का नेतृत्व करने वालों ने आरोप लगाया कि इस क्षेत्र को आंध्र के शासकों से भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. राज्य का दर्जा मिलने के बाद तेलंगाना अपने संसाधनों का इस्तेमाल खुद के लिए करने में सक्षम हो गया. जबकि, पहले ऐसा नहीं था, तब संसाधनों को आंध्र प्रदेश को दे दिया जाता था।. यह अपने जल संसाधनों का भी काफी हद तक इस्तेमाल करने में सक्षम हो गया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में तेलंगाना की अर्थव्यवस्था तीन गुना बढ़ गई और सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 155.71% की वृद्धि दर्ज की गई, जो देश में सबसे अच्छी वृद्धि थी. इसी तरह राज्य की प्रति व्यक्ति आय भी 12.1% की औसत दर से बढ़ी. जबकि, भारत की औसत पीसीआई वृद्धि दर 9.2% है.

भावना

यद्यपि भौगोलिक दृष्टि से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना का विभाजन हो गया है, फिर भी दोनों तरफ के लोगों के बीच भावनात्मक बंधन बरकरार है. कई लोगों का मानना है कि आंध्र और तेलंगाना के लोग राज्य के विभाजन से पहले की तुलना में अब ज़्यादा करीब आ गए हैं. पिछले 10 सालों में आंध्र से निवेश का प्रवाह बढ़ रहा है और इसी तरह शिक्षा और रोज़गार के लिए आंध्र के लोगों का हैदराबाद की ओर पलायन भी बढ़ रहा है. इसी तरह तेलंगाना में आंध्र के व्यंजन पहले से कहीं ज़्यादा लोकप्रिय हैं. जहां बड़े शहरी केंद्रों में आंध्र के खाने के ज़्यादा से ज़्यादा आउटलेट खुल रहे हैं. आंध्र में भी हैदराबादी बिरयानी आउटलेट और हलीम सेंटर में उछाल देखा जा सकता है.

तेलंगाना का गान

तेलंगाना ने अपना 10वां स्थापना दिवस एक नए गीत "जय जय हे तेलंगाना" के साथ मनाया. इस गीत को एंडे श्री ने लिखा है और संगीत अकादमी पुरस्कार विजेता केरावनी ने दिया है. सिकंदराबाद के परेड ग्राउंड में आयोजित मुख्य आधिकारिक समारोह में इस गीत का आधिकारिक प्रस्तुतीकरण (लघु संस्करण) आकर्षण का केंद्र रहा. गीत बजते ही मुख्यमंत्री रेड्डी, कैबिनेट सहयोगी, शीर्ष अधिकारी और अन्य प्रतिभागी खड़े हो गए. इस समारोह में एंडे श्री और कीरावनी दोनों ही मौजूद थे. यह उस कवि के लिए एक भावुक क्षण था, जिसने 20 साल पहले यह गीत लिखा था. दिसंबर 2023 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद इस गीत को राज्य के आधिकारिक गान के रूप में अपनाया गया था.

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