
थडगाम से ग्राउंड रिपोर्ट: फलता-फूलता घोटाला और बढ़ते मानव-हाथी संघर्ष
2021 में ईंट भट्टों को पूरी तरह बंद किए जाने के बाद भी तमिलनाडु की थडगाम घाटी में जो कुछ हो रहा है,वो चौंकाने वाला है। यहां लाल मिट्टी के खदान के निशान मिले हैं
2021 में अवैध ईंट भट्टों के बंद होने के बावजूद, तमिलनाडु की थडगाम घाटी एक बड़े घोटाले का केंद्र बनी हुई है। ₹3,250 करोड़ का कथित लाल मिट्टी खदान घोटाला, २४१ ऐसे स्थल जिनका मुआयना ही नहीं हुआ है और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोपों ने लोगों में गुस्सा है।
‘द फेडरल’ की ग्राउंड रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है कि कार्यकर्ता जनवरी 10, 2025 को गठित स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) से मांग कर रहे हैं कि वह सिर्फ थोंडामुथुर ही नहीं, बल्कि थडगाम घाटी में भी जांच का दायरा बढ़ाए। इस मामले में सच्चाई धीरे-धीरे गायब हो रही है, क्या न्याय मिलने से पहले सबूत मिट जाएंगे?
सुबह की सैर बनी जानलेवा
23 जनवरी 2025 को, 69 वर्षीय नटराज, जो कोयंबटूर के थडगम घाटी स्थित थलियूर गांव के निवासी थे, रोज़ की तरह सुबह की सैर पर निकले। लेकिन इस दिन उनके लिए सब कुछ बदल गया। एक जंगली हाथी 'कोंबन' ने उन पर हमला कर दिया। धुंध से अचानक निकले हाथी ने उन्हें गंभीर रूप से घायल कर दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
उनकी पत्नी अभी भी सदमे में हैं। उन्होंने कहा: "हमें उस दिन हाथी के बारे में कोई चेतावनी नहीं मिली थी। अगर उन्हें पता होता, तो वे बाहर नहीं जाते। यह स्वीकार करना बहुत कठिन है कि वे अब हमारे बीच नहीं हैं।"
नटराज का दुःख अकेला नहीं है। थडगम घाटी में मानव-हाथी संघर्ष अब एक आम समस्या बन गई है।
थडगम घाटी में मानव-हाथी संघर्ष का इतिहास
2021 के एक RTI रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2021 के बीच तमिलनाडु में 140 मानव-हाथी संघर्ष के मामलों में से 53 मौतें अकेले थडगाम घाटी में हुई थीं।
2019 से 2020 के बीच सिर्फ एक साल में 14 लोगों की मौत हुई थी।
सिर्फ इंसान ही नहीं, 146 हाथियों की मौत में से 41 हाथी भी थडगम में मारे गए।
यह गंभीर सवाल खड़ा करता है कि आखिर क्यों यह घाटी संघर्ष का केंद्र बन गई है?
अवैध खनन का असर
पश्चिमी घाट की तलहटी में स्थित थडगाम घाटी कभी नारियल और केले के बागानों से समृद्ध थी। लेकिन अवैध ईंट भट्टों ने इस समृद्ध भूमि को खोखला कर दिया। लाल मिट्टी के अवैध खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचा।
2021 में, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के बाद 329 अवैध ईंट भट्टे बंद कर दिए गए, जिनमें से 186 सिर्फ थडगाम घाटी में थे। हालांकि खनन बंद हो चुका है, लेकिन इसका विनाशकारी प्रभाव अभी भी मौजूद है।
गहरे खदान गड्ढों ने हाथियों के पारंपरिक रास्तों को नष्ट कर दिया, जिससे वे गांवों में प्रवेश करने लगे। प्राकृतिक गलियारों के नष्ट होने से थडगाम घाटी एक स्थायी संघर्ष क्षेत्र बन गई है।
241 खदानें जिनकी जांच ही नहीं हुई
2021 की संयुक्त समिति की रिपोर्ट पूरी तरह से नुकसान का आकलन करने में विफल रही। स्वतंत्र सर्वेक्षण में 806 खनन साइटों की पहचान की गई थी, लेकिन आधिकारिक रिपोर्ट में सिर्फ 565 साइटों की जांच की गई—241 स्थल आज भी अनछुए हैं।
कार्यकर्ता गणेश ने कहा: "थडगाम घाटी से ₹3,250 करोड़ की मिट्टी का अवैध खनन हुआ है। अदालत को इन गायब स्थलों की जांच करनी चाहिए ताकि पूरी तबाही का पता चल सके।"
सबूतों से छेड़छाड़ की आशंका
‘द फेडरल’ की टीम ने एक सील किए गए ईंट भट्टे का दौरा किया और वहां हाल में खुदाई के संकेत देखे। पहले से रखी गई लाल मिट्टी को समतल कर दिया गया था, जिससे यह संदेह उत्पन्न हुआ कि कहीं सबूत मिटाने की कोशिश तो नहीं की जा रही?
संभावना है कि अवैध खनन के दौरान इकट्ठा की गई रेत और ईंटें चोरी-छिपे बेची जा रही हैं।
कार्यकर्ता गणेश ने दावा किया: "हमने 30 से अधिक वाहनों को पकड़ा जो इन बंद ईंट भट्टों से सामग्री ले जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें जाने दिया।"
"कड़ी मशक्कत के बाद, कुछ वाहनों को जब्त किया गया और चालकों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन असली मास्टरमाइंड आज भी खुलेआम घूम रहे हैं।"
ग्राम पंचायत अध्यक्ष पर आरोप
स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि क्षेत्र के प्रभावशाली लोग अवैध खनन में शामिल थे और अब न्याय को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
एक कार्यकर्ता राजेंद्रन ने कहा: "पिछले हफ्ते, हमने एक व्यक्ति को पकड़ा जो इन अवैध सामग्रियों की ढुलाई कर रहा था। वह हमारे गांव के पंचायत अध्यक्ष का गुर्गा है।"
"उसे गिरफ्तार किया गया था, लेकिन तुरंत रिहा कर दिया गया क्योंकि उसने दावा किया कि वह केवल कृषि उद्देश्यों के लिए इसे ले जा रहा था, जो कि कानूनन अवैध है।"
क्या लापता 241 स्थलों की जांच होगी?
10 जनवरी 2025 को, मद्रास हाईकोर्ट ने कोयंबटूर के हाथी गलियारों में अवैध खनन की जांच के लिए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की। लेकिन थडगाम घाटी को इस जांच से बाहर रखा गया।
अब कार्यकर्ता मांग कर रहे हैं कि SIT की जांच में थडगम घाटी की 241 अनजांची साइटों को भी शामिल किया जाए। यदि तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो:
-अवैध खनन के सबूत नष्ट हो सकते हैं।
-आर्थिक और पर्यावरणीय नुकसान का पूरा खुलासा कभी नहीं हो पाएगा।
-मानव और हाथी—दोनों के लिए न्याय अधूरा रह जाएगा।
नटराज के परिवार और न्याय की मांग करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए समय तेजी से निकल रहा है।
क्या इन 241 लापता खदानों की कभी जांच होगी?
या फिर थडगाम घाटी हमेशा सवालों में घिरी रहेगी?