
यूपी में विधायकों की दावत में क्या ‘सियासी खिचड़ी’ पकी? शक्ति प्रदर्शन या आगे की रणनीति? अटकलों का ज़ोर
दो दिनों में दो सियासी दावतों ने यूपी में राजनीतिक माहौल को अचानक गरमा दिया है।एक दावत क्षत्रिय विधायकों की हुई जिसके होस्ट विधायक रामवीर सिंह थे जबकि दूसरी दावत सपा के मुस्लिम विधायकों की हुई जिसके मेज़बान शहर के एक मौलाना थे।एक दावत को यूपी में जातीय गोलबंदी की बुनियाद माना जा रहा है तो दूसरी दावत-मीटिंग को माइनॉरिटी पॉलिटिक्स की रणनीति
उत्तर प्रदेश में चुनाव अभी दूर हैं लेकिन सियासत गरमा रही है।पिछले दो दिनों में दो सियासी दावतों ने राजनीतिक माहौल को अचानक गरमा दिया है।एक दावत क्षत्रिय विधायकों की हुई जिसके होस्ट एक विधायक थे जबकि दूसरी दावत सपा के मुस्लिम विधायकों की हुई जिसके मेज़बान शहर के एक मौलाना थे।
एक दावत को यूपी में जातीय गोलबंदी की बुनियाद माना जा रहा है जबकि दूसरी दावत को तमाम मुद्दों के बीच मुसलमानों को राजनीतिक रूप से एकजुट करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
कल्याण सिंह के समय में शुरू हुआ था ‘दावत मीटिंग’ का सिलसिला
क़रीब तीन दशक पहले यूपी की राजनीति में दावतों का सिलसिला चलता था।भाजपा के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के समय में दावत पर बुलाकर राजनीति की चौसर बिछाने का जो सिलसिला शुरू हुआ उससे बीजेपी की अंदरूनी राजनीति में काफ़ी हलचल रही। बाद में यह दौर थम गया लेकिन 2003 में फिर इसकी पुनरावृत्ति हुई जब मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में बहुजन समाज पार्टी को तोड़ने और विधायकों को अपने पाले में मिलाकर नई सरकार बनाने के लिए दावतों का दौर शुरू हुआ।
ख़ास बात यह है कि तब भी क्षत्रिय विधायकों ने इसका नेतृत्व किया था।इसके बाद सब कुछ थमा रहा लेकिन एक बार फिर एक ही जाति के विधायकों की दावत ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है।इस बार भी इसकी अगुआई क्षत्रिय विधायकों ने की है।
बीजेपी के तीन दर्जन क्षत्रिय विधायकों की दावत से बढ़ी सियासी हलचल
यूपी में विधानमंडल का मॉनसून सत्र चल रहा है।सभी विधायक लखनऊ में ही डेरा डाले हुए हैं।लेकिन लखनऊ में सदन के बाहर शहर के बीचोंबीच एक होटल में एक ही जाति के क़रीब 40 विधायक मिले।
डिनर पर मिले इन विधायकों की इस बैठक या जुटान को ‘कुटुंब परिवार’ नाम दिया गया।सोशल मीडिया पर विधायकों की ओर से एक-दो तस्वीरें बाहर आते ही कयास लगाए जाने लगे कि एक ही जाति के 40 विधायकों के एक साथ आने की वजह क्या जातीय शक्ति प्रदर्शन है या कुछ और? हालांकि बैठक या डिनर के सियासी महत्व को इससे भी समझा जा सकता है कि ज्यादातर विधायकों में इसकी तस्वीरें तक पोस्ट नहीं की।पर संदेश देने के लिए कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर थीं।
जो तस्वीरें सामने आयीं उनसे से साफ़ है कि यह अनौपचारिक कार्यक्रम था।जो स्टैंडी लगी है उसमें कुंदरकी उपचुनाव में जीत कर आए विधायक रामवीर सिंह और विधान परिषद सदस्य जयपाल सिंह व्यस्त की तस्वीरें हैं।
दावत के बहाने शक्ति प्रदर्शन?
कहा यह जा रहा है कि ‘कुटुंब परिवार’ नाम से हुई यह डिनर-मीटिंग बीजेपी की अंदरूनी राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है और इसके ज़रिए जाति की ताक़त भी दिखाई गई है।कुछ समय से बीजेपी में जिस तरह से यूपी को लेकर चर्चा चल रही है उस लिहाज से इस अनौपचारिक मीटिंग का उद्देश्य क्षत्रिय विधायकों को एक मंच ओर लाना था।
कहा तो यह भी जा रहा है कि एक ह्वाट्सऐप ग्रुप भी बनाया गया है।हालांकि इस आयोजन में दो-तीन विधायक दूसरी जाति के भी पहुंचे थे पर बीजेपी के क्षत्रिय विधायकों के एक जगह एकत्र होने के मायने निकाले जा रहे हैं।
‘द फ़ेडरल देश’ को दावत में शामिल पश्चिमी यूपी के एक विधायक ने बताया कि विधायक रामवीर सिंह ने ही इसका आयोजन किया था।बैठक में अनौपचारिक चर्चा हुई जिसमें सभी मुद्दे शामिल हैं।बीजेपी के तीन दर्जन क्षत्रिय विधायकों के अलावा इसमें सपा से निष्कासित दोनों क्षत्रिय विधायक राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह और बसपा के एकमात्र विधायक उमाशंकर सिंह भी शामिल हुए।
इसके अलावा विधायक धीरेंद्र सिंह, अभिजीत सांगा, सत्यपाल सिंह राठौड़, शैलेंद्र सिंह समेत क़रीब तीन दर्जन क्षत्रिय विधायक भाजपा के थे।लोकसभा चुनाव में पश्चिम यूपी में क्षत्रिय नेताओं की नाराज़गी की ख़बरें आई थीं जो बाद में मध्य यूपी तक आ गईं।माना जाता है कि बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन में इस नाराज़गी की भी भूमिका रही।बीजेपी में अभी प्रदेश अध्यक्ष बनना है और योगी मंत्रिमंडल विस्तार की भी चर्चा चल रही है।ऐसे में एक जाति के विधायकों की दावत के मायने निकाले जा रहे हैं।
सपा के मुस्लिम विधायकों की दावत
दूसरी ओर लखनऊ के मौलाना खालिद रसीद फरंगी महली के मंगलवार को एक दावत दी।इसमें समाजवादी पार्टी के मुस्लिम विधायक आमंत्रित थे।हालाँकि कहा यह जा रहा है कि सपा के 34 मुस्लिम विधायकों में से सिर्फ़ 15 विधायक डिनर पर पहुंचे।इस बैठक में दावत के साथ कई मुद्दों पर चर्चा हुई।आने वाले समय में राज्यसभा के चुनाव होने हैं। साथ ही कई मुद्दे मुस्लिम पॉलिटिक्स की दृष्टि से भी अहम हैं।ऐसे में इस दावत के भी सियासी मायने निकाले जा रहे हैं।
लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुस्लिम विधायकों ने भी दावत की
मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य हैं।उनको समाजवादी पार्टी के करीबी और रणनीतिकारों में से एक माना जाता है।सबसे ख़ास बात यह है कि इस दावत में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के करीबी विधायक आशु मलिक, इक़बाल महमूद और आज़मगढ़ से विधायक नफीस अहमद भी शामिल थे जिसको बेस बनाकर समाजवादी पार्टी PDA को मज़बूत करने की कोशिश कर रही है।
ज़ाहिर है चुनाव से काफ़ी पहले लगातार दो दिनों में होने वाली ये दोनों डिनर पार्टी अहम है जिसका नतीजा जल्दी ही दिखने की उम्मीद है।