
असम में पत्रकार की गिरफ्तारी, मीडिया स्वतंत्रता पर नया सवाल
पत्रकार पर एक आदिवासी की ‘भावनाओं को ठेस पहुंचाने’ के आरोप में एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया. क्योंकि उसने उस बैंक के एमडी की प्रतिक्रिया मांगी थी, जिसके सीएम हिमंत बिस्वा सरमा निदेशक हैं.
असम में एक पत्रकार की गिरफ्तारी ने राज्य में मीडिया स्वतंत्रता को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं. दिलावर हुसैन मजूमदार एक डिजिटल मीडिया पत्रकार हैं. उनको 26 मार्च की आधी रात के बाद गिरफ्तार किया गया, जब वह एक बैंक के खिलाफ हो रहे भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शन की रिपोर्टिंग करने गए थे. हैरान करने वाली बात यह है कि इस बैंक के निदेशक मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और भाजपा विधायक बिस्वजीत फुकन हैं.
गिरफ्तारी का विवादास्पद आधार
यह गिरफ्तारी एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत की गई है, जिसमें मजूमदार पर आरोप है कि उन्होंने एक आदिवासी समुदाय के व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुंचाई. हालांकि, गिरफ्तारी के आधार में अस्पष्टता है. पुलिस के अनुसार, मजूमदार ने एक व्यक्ति को "बोरो जाति का होने के कारण सीमा पार करने वाला" कहा. लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि यह टिप्पणी कब और किसके खिलाफ की गई थी.
पत्रकार के खिलाफ आरोप
गिरफ्तारी के आधार में पुलिस ने यह कहा कि पत्रकार ने शिकायतकर्ता को अपमानजनक और derogatory टिप्पणी की. मजूमदार के वकील एस. तपादर ने इसे "झूठा और दुर्भावनापूर्ण" आरोप बताया. उनका कहना है कि गिरफ्तारी में कई प्रक्रियागत चूकें हुई हैं. मजूमदार को गिरफ्तारी से पहले भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 35(3) के तहत नोटिस भी नहीं दिया गया. जो कि पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तारी से पहले समन भेजने की प्रक्रिया है.
घटनाओं की सीरीज
गुवाहाटी में वरिष्ठ पत्रकार अफ्रीदा हुसैन ने घटनाओं के क्रम की जानकारी दी. बताया गया कि असम अपेक्स कोऑपरेटिव बैंक में एक भर्ती घोटाले को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहा था और मजूमदार उसी को कवर करने के लिए वहां गए थे. जब बैंक के एमडी दामबरू सैयकिया प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे तो मजूमदार ने उनसे टिप्पणी के लिए संपर्क किया. सैयकिया ने उन्हें अपने ऑफिस बुलाया. लेकिन बैंक से बाहर आते ही मजूमदार को पुलिस ने पैनबाजार पुलिस स्टेशन बुलाया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया.
पत्रकारों का विरोध और आक्रोश
मजूमदार की गिरफ्तारी के बाद गुवाहाटी प्रेस क्लब और भारतीय प्रेस क्लब (PCI) ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की. गुवाहाटी प्रेस क्लब (GPC) ने पत्रकारों के उत्पीड़न के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया और मजूमदार की तत्काल रिहाई की मांग की. GPC ने यह भी कहा कि राज्य सरकार के अधिकारियों द्वारा पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती असहिष्णुता ने मीडिया के कामकाजी माहौल को चुनौती दी है.
राजनीतिक दलों का विरोध
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस गिरफ्तारी को प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करार दिया. उनका कहना था कि यह असम सरकार का एक नया प्रयास है, जो मीडिया को दबाने के लिए किया गया हैय यह पहली बार नहीं है कि मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और उनकी सरकार पर पत्रकारों के खिलाफ हमले का आरोप लगा हो. पिछले साल, सरमा ने एक अल्पसंख्यक समुदाय के पत्रकार से सवाल पूछे जाने पर आपत्ति जताई थी और आपत्तिजनक टिप्पणी की थी.
मजूमदार को जमानत
मजूमदार को 26 मार्च को अदालत में पेश किया गया और जमानत मिल गई. उनके वकील एस. तपादर ने बताया कि इस गिरफ्तारी के बाद वह राहत की सांस ले रहे हैं. लेकिन इस पूरी घटना ने असम में मीडिया की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.