
आपदा का वो दर्दनाक चेहरा जो तस्वीरों में नहीं दिखता, पंजाब के अमृतसर से ग्राउंड रिपोर्ट
पंजाब में आई बाढ़ और उससे हुए नुकसान का हाल जानने 'द फेडरल देश' की टीम पहुंची अमृतसर की अजनाला तहसील के माछीवाला गांव में। यहां भले ही पानी उतर गया है, लेकिन समस्यायें बढ़ गई हैं।
पंजाब के अमृतसर की अजनाला तहसील का पिंड माछीवाला। पिंड मतलब जिसे हिंदी में गांव कहा जाता है। इस गांव के निवासी अमरीक सिंह के घर में 'द फेडरल देश' की टीम पहुंची। यहां बाढ़ के दौरान करीब पांच फुट पानी भरा था। अब पानी तो उतर गया है, लेकिन नए तरह के संकट पैदा हो गए हैं।
बाढ़ घर की दीवारों पर अपने निशान छोड़ गई है। दीवारोें पर अभी भी नमी सी दिख रही है और एक क्षैतिज रेखा भी दिख रही है जिससे अंदाजा लग रहा है कि बाढ़ के पानी का लेवल क्या रहा होगा।
ऐसा सिर्फ अमरीक सिंह के घर पर ही नहीं दिखा, पिंड माछीवाला के लगभग हर घर में सैलाब कोई न कोई निशानी छोड़ गया है। लेकिन त्रासदी की कुछ निशानियां ऐसी हैं जोकि नंगी आंखों से नहीं दिखतीं। जो कैमरे में कैद नहीं हो पातीं। जो तस्वीरों में नजर नहीं आतीं।
वो बाढ़ का सबसे दर्दनाक चेहरा है, जो बाढ़ पीड़ित परिवारों से मिलकर और उनसे बातचीत करके ही पता चलता है। जैसे अमरीक सिंह का परिवार पिछले दस दिन से बिना बिजली के रह रहा है। पीने के पानी के लिए भी उन्हें पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं।
'द फेडरल देश' से अपना दर्द बयां करते हुए अमरीक सिंह बोले, "हमारे पिंड में 27 अगस्त तारीख को बाढ़ आई थी। तभी से बिजली ठप है। किसी तरह इनवर्टेर और जेनरेटर का इस्तेमाल करके पंखा चलाने के लिए बिजली का इंतजाम कर पा रहे हैं।"
इस सवाल पर कि क्या बिजली विभाग वालों ने कोई सुध नहीं ली तब से?, अमरीक सिंह बिफर पड़े, बोले-"कोई नहीं आया जी। और सिर्फ हमारे घर की ही बात नहीं है। पूरे गांव का यही हाल है। सब लोग बगैर बिजली के रह रहे हैं।"
अमरीक सिंह की मां बोलीं, "बिजली नहीं है तो सारे काम ठप हो गए हैं। पीने का पानी तो कहीं न कहीं से ले आते हैं। खरीद लेते हैं। लेकिन बिजली कहां से लाएं?"
अमरीक सिंह ने बताया कि 27 अगस्त को जब बाढ़ आई थी तो घर का सारा सामान भीग गया। कई सामान खराब हो गया। गांववालों ने ही एक दूसरे की मदद की। वह बोले, "एनडीआरएफ के जो लोग बोट लेकर आए, वो भी केवल सेलिब्रिटी की ही मदद करते हुए दिखे।"
इस परिवार से बातचीत में द फेडरल देश की टीम को बाढ़ का एक और चिंताजनक पहलू नजर आया। बाढ़ पीड़ितों को पानी-बिजली जैसी बुनियादी समस्याओं का सामना तो करना ही पड़ रहा है, उन्हें त्वचा संबंधी शिकायतें भी होने लगी हैं।