मणिपुर संकट: सरकार की बहाली के लिए तेज सियासी हलचल
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मणिपुर संकट: सरकार की बहाली के लिए तेज सियासी हलचल

मणिपुर में चल रहे जातीय संघर्ष को सुलझाने की दिशा में राष्ट्रपति शासन कोई ठोस कदम उठाने में विफल रहा है।


मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू होने के दो महीने बाद भी स्थिति में कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आया है। इस बीच, कुकी और नागा समुदायों के बीच तनाव बढ़ने से संकट और गहरा गया है। कई भाजपा विधायक दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मुलाकात कर राज्य में लोकतांत्रिक सरकार की बहाली की मांग कर रहे हैं।​

दिल्ली में भाजपा विधायकों की बैठक

भाजपा के थोकचोम राधेश्याम, करम श्याम, पोनम ब्रोजन और ख्वैरकम रघुमानी सहित विधायक दिल्ली में केंद्रीय नेताओं से मिलकर राज्य में लोकतांत्रिक सरकार की बहाली की मांग कर रहे हैं। इन विधायकों का आरोप है कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व में सरकार में लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन नहीं हो रहा है। कई विधायकों ने अपनी जिम्मेदारियों से इस्तीफा भी दिया है। जैसे कि करम श्याम ने पर्यटन निगम के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया। ​

कुकी और नागा समुदायों के बीच बढ़ता तनाव

कांगपोकपी जिले के कोंसाखुल गांव में 5 अप्रैल को कुकी सशस्त्र समूहों द्वारा नागा नागरिकों पर हमले की घटना ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। नागा समुदाय ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए प्रशासन से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। नागा संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द न्याय नहीं मिला तो वे लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करेंगे। ​

प्रशासनिक विफलता

राष्ट्रपति शासन के तहत प्रशासनिक उपायों का कोई ठोस परिणाम नहीं निकला है। राज्य सरकार की पहल, जैसे कि सार्वजनिक परिवहन की बहाली, हिंसा में वृद्धि का कारण बनीं। इसके अलावा, मेइती और कुकी-जो समुदायों के बीच नई दिल्ली में आयोजित बैठक भी असफल रही। सशस्त्र समूहों द्वारा वसूली और समुदायों के बीच नए तनावों ने राष्ट्रपति शासन की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं। ​

नागा संगठनों की प्रतिक्रिया

नागा संगठनों ने कांगपोकपी जिले में नागा नेताओं पर हमले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इस हमले को नागा परंपराओं का उल्लंघन और आदिवासी सम्मान पर हमला बताया है। इन संगठनों ने प्रशासन से दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है।

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