नकदी संकट में उम्मीद: टीएमसी की योजना कितनी फायदेमंद?
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"नकदी संकट में उम्मीद: टीएमसी की योजना कितनी फायदेमंद?"

पिछली योजनाओं से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोप, फ्रीबीज़ की राजनीति के कारण राज्य पर भारी कर्ज का बोझ, ममता सरकार के लिए नई बूथ-विकास योजना राज्य के लिए जोखिम भरा प्रतीत होता है.


West Bengal Politics : चुनाव नजदीक आते ही ममता बनर्जी की आर्थिक रूप से जूझ रही तृणमूल कांग्रेस (TMC) सरकार एक नई जनकल्याण योजना शुरू करने जा रही है। इसे एक राजनीतिक कदम माना जा रहा है, जिसका असर दोनों तरह से पड़ सकता है – फायदेमंद भी और नुकसानदायक भी।


आमादेर पारा, आमादेर समाधान’ योजना:

इस योजना का नाम है आमादेर पारा, आमादेर समाधान’ (हमारा मोहल्ला, हमारा समाधान)। यह योजना पोलिंग बूथ स्तर पर स्थानीय विकास को लेकर लाई जा रही है — कुछ हद तक वैसे ही जैसे विधायकों और सांसदों के लिए स्थानीय क्षेत्र विकास योजना होती है, लेकिन इसमें थोड़ा अलग दृष्टिकोण होगा।

8,000 करोड़ रुपये की योजना:

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार, 23 जुलाई को घोषणा की कि यह योजना 2 अगस्त से पूरे पश्चिम बंगाल में लागू की जाएगी। इसे सरकार और जनता की भागीदारी से चलाया जाएगा।

राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 8,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं। राज्य के लगभग 80,000 पोलिंग बूथों में से प्रत्येक को 10 लाख रुपये आवंटित किए जाएंगे।

चुनाव आयोग के अनुसार, राज्य में लगभग 7.64 करोड़ मतदाता हैं — यानी प्रति बूथ औसतन 1,000 से कम वोटर हैं।

योजना का उद्देश्य और क्रियान्वयन:

यह राशि स्थानीय स्तर पर छोटी-छोटी विकास जरूरतों को पूरा करने के लिए दी जाएगी, जैसे कि:

  • पीने के पानी के स्रोत स्थापित करना
  • टूटी हुई सड़कों की मरम्मत
  • आंगनबाड़ी केंद्रों (ICDS) और प्राथमिक स्कूलों की छत की मरम्मत

तीन पोलिंग बूथों को मिलाकर हर इलाके में पब्लिक आउटरीच कैंप आयोजित किए जाएंगे। इन कैंपों में स्थानीय नागरिकों की समस्याएं सुनी जाएंगी और उनका समाधान किया जाएगा।

  • यह कार्यक्रम 60 दिनों तक चलेगा, बीच में दुर्गा पूजा के लिए 15 दिन का विराम रहेगा।
  • साथ ही, लोग ऑनलाइन माध्यम से भी अपने सुझाव भेज सकते हैं।

राज्य और जिला स्तर पर टास्क फोर्स गठित की जाएगी जो योजना के क्रियान्वयन की निगरानी करेगी। राज्य के मुख्य सचिव मनोज पंत राज्य स्तरीय टास्क फोर्स का नेतृत्व करेंगे।

TMC पार्टी ने इस योजना को ‘जन-केंद्रित क्रांति’ बताया है, जो लोगों को यह अधिकार देगा कि वे अपने मोहल्ले की प्राथमिकताएं खुद तय करें।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और योजना की मंशा पर सवाल:

हालांकि योजना का उद्देश्य स्थानीय विकास बताया जा रहा है, लेकिन इसके पीछे राजनीतिक प्रेरणा भी देखी जा रही है।

पिछले चार वर्षों में राज्य सरकार ने अपनी 94 से अधिक जनकल्याणकारी योजनाओं पर अत्यधिक खर्च किया है, जिससे ग्रामीण इलाकों में बुनियादी ढांचे की स्थिति कमजोर हो गई है।

पंचायत प्रगति सूचकांक से पता चलता है कि राज्य के कई ग्राम पंचायतों का प्रदर्शन कमजोर है, जिसका कारण केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा और ग्रामीण आवास योजनाओं के तहत फंड रोका जाना बताया जा रहा है।

पेयजल संकट या खस्ताहाल सड़कों को लेकर ग्रामीण इलाकों में आए दिन विरोध प्रदर्शन होते हैं — ये समस्याएं आगामी विधानसभा चुनावों में TMC के लिए राजनीतिक खतरा बन सकती हैं।

ममता बनर्जी की यह नई योजना इन्हीं कमजोरियों को दूर करने का एक प्रयास मानी जा रही है, लेकिन यह एक दोधारी तलवार भी बन सकती है, खासकर तब जब सरकार पर कर्ज का भारी बोझ पहले से ही है।

बढ़ता कर्ज:

वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित बजट अनुमान के अनुसार, राज्य सरकार का कुल बकाया कर्ज 7,06,531.61 करोड़ रुपये है। यह कर्ज उस राशि से लगभग चार गुना ज्यादा है जो TMC सरकार ने 2011 में सत्ता में आते समय विरासत में पाई थी।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “TMC की रेवड़ी राजनीति ने राज्य के खजाने को खाली कर दिया है, यहां तक कि राज्य कर्मचारियों को बकाया महंगाई भत्ता (DA) भी नहीं दिया जा सका है।”

बकाया DA और सुप्रीम कोर्ट का आदेश:

मई 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह बकाया DA का कम से कम एक चौथाई हिस्सा, यानी लगभग 10,425 करोड़ रुपये, 27 जून तक कर्मचारियों को दे।

लेकिन राज्य सरकार ने भारी वित्तीय संकट का हवाला देते हुए DA भुगतान के लिए 6 महीने की मोहलत मांगी

अब तक दो कर्मचारियों के संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की है, जिस पर सुनवाई अगले महीने हो सकती है।

अगर कोर्ट राज्य सरकार के खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करता है, तो यह चुनावों से पहले TMC के लिए बड़ा झटका होगा। साथ ही, DA न मिलने से राज्य के करीब 14 लाख सरकारी कर्मचारी पार्टी से नाराज़ हो सकते हैं।

पहले की योजनाओं की विवादित छवि:

TMC की कई योजनाएं — लक्ष्मी भंडार, कृषक बंधु, स्वास्थ्य साथी, सबूज साथी, और द्वारे सरकार — ने पार्टी को 2011 से लगातार चुनावी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

हालांकि, इन योजनाओं पर यह आरोप भी लगे हैं कि वे भ्रष्टाचार और कट-मनी संस्कृति को बढ़ावा देती हैं।

CPM नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, “हम सब जानते हैं कि ‘द्वारे सरकार’ योजना TMC के स्थानीय कार्यकर्ताओं के लिए दबाव का हथियार बन गई थी। नई योजना का भी वही हश्र हो सकता है।”

अब तक TMC नेता और कार्यकर्ताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद चुनावी नुक़सान से बचती रही है। लेकिन हर चीज़ की एक हद होती है। अगर ‘आमादेर पारा, आमादेर समाधान’ योजना से जुड़े किसी बड़े घोटाले या रिश्वतकांड का खुलासा होता है, तो वह TMC के लिए निर्णायक क्षण साबित हो सकता है — खासकर तब जब पार्टी पहले से ही कई घोटालों के आरोपों का सामना कर रही है।


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